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लोन न भरने वालों के लिए हाईकोर्ट का बड़ा निर्णय, EMI Bounce को लेकर जानें अहम अपडेट!

हाईकोर्ट ने लोन न भरने वालों के लिए अहम फैसला सुनाया है। अब EMI Bounce होने पर आपको किस तरह की कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है, यह स्पष्ट किया गया है। कोर्ट के इस फैसले से लोन डिफॉल्टर्स को बड़ी राहत मिल सकती है। जानें इस नए निर्णय के बारे में पूरी जानकारी और कैसे इससे प्रभावित होंगे लोन धारक।
 
लोन न भरने वालों के लिए हाईकोर्ट का बड़ा निर्णय, EMI Bounce को लेकर जानें अहम अपडेट!
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Haryana update : लोन न चुकाने पर बैंक की कार्रवाई आज के समय में बढ़ती आर्थिक जरूरतों के कारण लोन लेना एक सामान्य बात बन चुकी है, लेकिन कई बार लोग आर्थिक संकट के कारण लोन चुकाने में असमर्थ हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में बैंक कठोर कदम उठाते हैं, जो लोनधारकों के लिए मुश्किलें पैदा कर सकते हैं। हाल ही में, दिल्ली हाईकोर्ट ने एक ऐसे मामले में फैसला सुनाया, जो लोन न चुकाने वाले व्यक्तियों के लिए राहत का कारण बन सकता है।

क्या होती है लोन न चुकाने पर कार्रवाई? जब कोई व्यक्ति लोन लेता है, तो उसे एक निश्चित समय सीमा में उसे चुकाना होता है। अगर वह ऐसा नहीं कर पाता, तो बैंक उसे नोटिस भेजता है। इसके बाद कानूनी प्रक्रिया शुरू हो सकती है, जिसमें संपत्ति जब्त करना, केस दर्ज करना या लुकआउट सर्कुलर (LOC) जारी करना शामिल है।

लुकआउट सर्कुलर (LOC) क्या है? लुकआउट सर्कुलर एक आदेश है, जिसके तहत किसी व्यक्ति को देश छोड़ने से रोका जा सकता है। यह आमतौर पर उन मामलों में जारी किया जाता है, जहां व्यक्ति पर गंभीर आपराधिक आरोप होते हैं।

दिल्ली हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में स्पष्ट किया कि हर लोन डिफॉल्ट के मामले में बैंक लुकआउट सर्कुलर जारी नहीं कर सकता। कोर्ट ने कहा कि एलओसी केवल उन्हीं मामलों में जारी किया जा सकता है, जहां व्यक्ति पर भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत कोई आपराधिक आरोप हो। यह फैसला मौलिक अधिकारों की सुरक्षा को सुनिश्चित करता है, क्योंकि लोन न चुकाने की स्थिति में व्यक्ति के अधिकारों का हनन नहीं किया जा सकता।

कार लोन का विवाद: इस फैसले का आधार एक कार लोन के विवाद में था। याचिकाकर्ता ने 2013 में दो कारों के लिए लोन लिया था - पहला लोन ₹13 लाख और दूसरा ₹12 लाख। आर्थिक संकट के कारण याचिकाकर्ता ने लोन की किस्तें चुकाना बंद कर दिया था। बैंक ने कई नोटिस भेजे, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। इसके बाद बैंक ने याचिकाकर्ता के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी कर दिया। याचिकाकर्ता ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की और एलओसी को रद्द करने की मांग की।

कोर्ट का आदेश: दिल्ली हाईकोर्ट ने माना कि बिना आपराधिक आरोप के एलओसी जारी करना गलत है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता के खिलाफ जारी एलओसी को रद्द कर दिया।

लोनधारकों के लिए महत्वपूर्ण सीख: इस फैसले से लोनधारकों को कई महत्वपूर्ण सबक मिलते हैं:

  1. मौलिक अधिकारों की सुरक्षा: बैंक आपकी स्वतंत्रता नहीं छीन सकता।
  2. कानूनी प्रक्रिया का पालन करें: बैंक के नोटिस का जवाब दें और समाधान निकालने की कोशिश करें।
  3. समय पर लोन चुकाएं: अपनी आर्थिक स्थिति का सही आकलन करें और लोन लेने से पहले सोच-समझकर फैसला करें।

कैसे बचें ऐसी स्थिति से?

  1. आय और खर्च का संतुलन बनाए रखें: जरूरत के अनुसार ही लोन लें।
  2. बैंक से संवाद करें: लोन चुकाने में परेशानी होने पर बैंक को जानकारी दें।
  3. कानूनी सलाह लें: किसी भी समस्या में तुरंत विशेषज्ञ से सलाह लें।

 दिल्ली हाईकोर्ट का यह फैसला लोनधारकों के अधिकारों की सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह स्पष्ट करता है कि लोन न चुकाने की स्थिति में भी व्यक्ति को न्याय और स्वतंत्रता का अधिकार है। बैंक और लोनधारकों के बीच बेहतर संवाद और समझौता ही इन समस्याओं का समाधान है।