Cheque Bounce : लेन-देन में चेक बाउंस? जानें कब नहीं होगा केस दर्ज!
चेक बाउंस होने के कारण:
चेक बाउंस के कई कारण हो सकते हैं और केवल खाता में पैसे की कमी ही इसका कारण नहीं होती। चेक बाउंस के मामलों को नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, 1881 के तहत देखा जाता है। इसके अनुसार, अगर कोई चेक बाउंस होता है, तो उस पर कार्रवाई की जा सकती है। हालांकि, इसका मतलब यह नहीं कि हर चेक बाउंस होने पर केस होगा।
कब होगा चेक बाउंस पर केस?
विशेषज्ञों के अनुसार, जब किसी दो पक्षों के बीच लेन-देन होता है और वह चेक बाउंस हो जाता है, तो इस स्थिति में कार्रवाई की जा सकती है। अगर किसी ने किसी को पैसे देने के लिए चेक दिया और वह बाउंस हो गया, तो केस दर्ज किया जा सकता है। लेकिन अगर यह चेक उधार या लोन के रूप में दिया गया है, तो कोई केस नहीं बनेगा।
सिक्योरिटी के लिए दिया चेक:
कई बार लोग सुरक्षा के तौर पर चेक देते हैं, जैसे सामान की बिक्री के लिए। ऐसे में अगर सिक्योरिटी के लिए दिया गया चेक बाउंस हो जाए, तो उस पर कोई कार्रवाई नहीं होगी, क्योंकि यह चेक बाउंस के मामलों से बाहर होता है।
चेक बाउंस के कुछ ऐसे मामले जहां केस नहीं बनेगा:
- अगर चेक एडवांस के रूप में दिया गया हो।
- सिक्योरिटी के लिए दिया गया चेक बाउंस हुआ हो।
- चेक में शब्दों और अंक में अंतर हो।
- चेक को किसी चैरिटेबल संस्था को डोनेशन के रूप में दिया गया हो।
- अगर चेक कटा हुआ या फटा हुआ हो।
क्या करें अगर आपका चेक बाउंस हो जाए?
अगर किसी ने आपको चेक दिया है और वह बाउंस हो गया, तो आपको चेक बाउंस होने के 30 दिन के भीतर चेक देने वाले व्यक्ति को कानूनी नोटिस भेजना होगा। इस नोटिस के माध्यम से आपको चेक बाउंस होने की सूचना और पैसे की वापसी की मांग करनी होगी। नोटिस को रजिस्टर्ड पोस्ट से भेजना जरूरी है ताकि आपको कोर्ट को रिसीविंग दिखानी पड़ सके। यदि 15 दिन के भीतर पैसे वापस नहीं मिलते, तो आप कोर्ट में शिकायत दर्ज कर सकते हैं और आगे की कार्रवाई कर सकते हैं।
निष्कर्ष:
चेक बाउंस होने पर जरूरी नहीं कि हमेशा केस दर्ज हो। इसके लिए कुछ खास शर्तें हैं जिनके तहत ही कार्रवाई की जाती है। अगर आपका चेक बाउंस हो जाए, तो जल्दी से कानूनी नोटिस भेजकर अपनी मांग रखें और अगर जरूरी हो तो कानूनी कार्रवाई शुरू करें।