RBI ने बदले नियम! इतनी बार चेक करने से खराब हो जाएगा CIBIL SCORE
CIBIL Score New rules (Haryana Update) : सिबिल स्कोर की अहमियत उन लोगों को अच्छी तरह पता है जिन्हें लोन की जरूरत होती है। अच्छा सिबिल स्कोर कम ब्याज दरों पर आसानी से लोन दिलाने में मददगार होता है, जबकि खराब सिबिल स्कोर लोन मिलने में मुश्किल पैदा करता है या ब्याज दरें ज्यादा होती हैं। ऐसे में अच्छा सिबिल स्कोर बनाए रखना जरूरी है। सिबिल स्कोर खराब होने के कई कारण होते हैं, लेकिन लोग इस बात को लेकर भी असमंजस में रहते हैं कि क्या इसे बार-बार चेक करने से भी सिबिल स्कोर खराब (सिबिल स्कोर डाउन) होता है। आइए इस सवाल का जवाब खबर में जानते हैं।
आमतौर पर लोन डिफॉल्ट, समय पर ईएमआई न चुकाने या क्रेडिट कार्ड बिल न चुकाने की वजह से सिबिल स्कोर खराब होता है, लेकिन इसके अलावा भी कई और कारण हैं जिनकी वजह से सिबिल स्कोर कम (सिबिल स्कोर खराब होने के कारण) हो जाता है। इनमें से कई कारण समझने में भी जटिल होते हैं। सिबिल स्कोर बार-बार चेक करने से सिबिल स्कोर पर क्या असर पड़ता है, नीचे विस्तार से जानें।
सिबिल स्कोर कितना होना चाहिए? सिबिल स्कोर 300 से 900 के बीच का तीन अंकों का नंबर होता है. यह बैंक ग्राहक की वित्तीय स्थिति, क्रेडिट हिस्ट्री आदि को दर्शाता है. सस्ता और आसान लोन (लोन न्यूज़) पाने के लिए 750 या उससे ज़्यादा का स्कोर बेहतर माना जाता है. अगर सिबिल स्कोर इससे कम है तो लोन मिलने में दिक्कत होती है.
कितने दिनों में अपडेट होता है सिबिल स्कोर-
नए साल में बैंक ग्राहकों का सिबिल स्कोर हर 15 दिन में अपडेट (सिबिल स्कोर अपडेट) करने का नियम तय किया गया है. यानी इसे महीने में दो बार अपडेट किया जाएगा. RBI ने अपने निर्देशों में बैंकों और वित्तीय संस्थानों को यह बात स्पष्ट भी की है.
बार-बार सिबिल स्कोर चेक करने से ये होता है असर-
सिबिल स्कोर दो तरह से चेक किया जाता है. खुद से चेक करना और बैंक या किसी वित्तीय संस्थान से चेक करना. खुद से चेक करना "सॉफ्ट इंक्वायरी" कहलाता है और बैंक या NBFC से क्रेडिट स्कोर चेक करना "हार्ड इंक्वायरी" कहलाता है. खुद से CIBIL स्कोर चेक करने से CIBIL स्कोर पर कोई असर नहीं पड़ता है, लेकिन बैंक या NBFC द्वारा चेक करने पर इसके पॉइंट कम हो सकते हैं. बार-बार हार्ड इंक्वायरी (cibil ki hard inquiry) होने पर यह कम हो सकता है. हार्ड इंक्वायरी का मतलब है कि आपने कहीं लोन या क्रेडिट कार्ड के लिए बार-बार अप्लाई किया है. RBI ने बनाया है ये नियम- RBI ने अब हार्ड इंक्वायरी की प्रक्रिया के लिए नए नियम (RBI rules for cibil score) तय किए हैं. इनके मुताबिक अब अगर कोई बैंक या NBFC किसी का CIBIL स्कोर या क्रेडिट हिस्ट्री उस स्थिति में चेक करता है, जब कोई लोन या क्रेडिट कार्ड के लिए अप्लाई करता है. दूसरी स्थितियों में बार-बार CIBIL स्कोर चेक करने पर इसका नकारात्मक असर पड़ता है. बेहतर होगा कि ग्राहक को भी CIBIL स्कोर चेक (cibil Score check krne ke nuksan) के बारे में जानकारी दी जाए.
इन वजहों से भी खराब होता है CIBIL स्कोर-
क्रेडिट स्कोर गिरने के कई कारण होते हैं. समय पर लोन न चुकाना, क्रेडिट कार्ड उपयोग अनुपात में अनियमितता, बार-बार लोन के लिए आवेदन करना, एक ही समय में दो लोन लेना, लोन सेटलमेंट, समय पर क्रेडिट कार्ड बिल का भुगतान न करना भी CIBIL स्कोर को खराब करता है। इसके अलावा अगर आप ऐसे व्यक्ति के लोन गारंटर बनते हैं (लोन गारंटर बनने के नुक्सान) जो लोन की EMI या लोन का भुगतान समय पर नहीं करता तो भी आपका CIBIL स्कोर कम (cibil Score kab down hota hai) हो जाता है।
Cibil स्कोर कैसे सुधारें -
CIBIL स्कोर को गिरने से बचाने के लिए लोन की किस्तें और लोन का भुगतान समय पर करना चाहिए। बार-बार लोन या क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे बैंक बार-बार आपका CIBIL स्कोर चेक करेंगे, जिससे CIBIL स्कोर खराब (cibil Score khrab hone par kya kren) हो जाता है। इसके अलावा समय-समय पर अपने CIBIL स्कोर की जानकारी लेते रहें। अपना CIBIL स्कोर जानने के लिए RBI द्वारा मान्यता प्राप्त किसी भी संस्थान या बैंक की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं। आप अपने क्रेडिट कार्ड बिलों का समय पर भुगतान करके भी अपना CIBIL स्कोर सुधार सकते हैं। अपने क्रेडिट इतिहास को बेहतर बनाने के लिए आप बैंक में FD भी कर सकते हैं और उस पर क्रेडिट ले सकते हैं।