sarson mandi bhav: किसानों को तगड़ा झटका

Haryana Update: पिछले साल सोयाबीन के लिए किसानों को 7,000-7,500 रुपये क्विंटल का भाव मिला था, जो इस बार घटकर 5,500 रुपये रह गया है। बाजार सूत्रों ने कहा कि मौजूदा स्थिति देश की आयात पर निर्भरता बढ़ा सकती है तथा सरसों एवं सोयाबीन की पेराई नहीं होने से आगे आयात और बढ़ेगा। सबसे बड़ी मुश्किल तो खल के मामले में आएगी, जिसे बड़ी मात्रा में आयात भी करना मुश्किल है।
तो दूध के बढ़ सके हैं दाम
दूध के दाम आगे और बढ़ सकते हैं, जिसकी खपत खाद्यतेल से कई गुना अधिक है। खाद्य तेल सस्ता होने से दूध के दाम बढ़ते हैं, जबकि दूध के दाम कम होने से तेल मिलें चलती हैं, आयात पर निर्भरता कम होने से विदेशी मुद्रा की बचत होती है और कई अन्य फायदे हैं। सोपा जैसे कई तेल संगठनों ने भी देश के तेल उद्योग के बारे में कई बार अपनी चिंताएं रखी हैं, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है।
दिल्ली मंडी में तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे
सरसों तिलहन - 5,560-5,635 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली - 6,815-6,875 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 16,700 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली रिफाइंड तेल 2,545-2,810 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 10,950 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 1,715-1,785 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 1,715-1,835 रुपये प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी - 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।