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Bank FD New Rule: बैंक में एफडी कराने से पहले जान लें खास बातें, नहीं होगा बड़ा नुक्शान

Bank Fixed Deposit: मई 2022 के बाद जब आरबीआई ने लगातार रेपो दरें बढ़ानी शुरू कीं तो बैंकों ने एफडी के रेट भी खूब बढ़ाए। हाल यह है कि दो साल पहले लगभग छह फीसद रिटर्न देने वाली एफडी पर अब आठ प्रतिशत से ऊपर ब्याज मिल रहा है।

 
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Bank Fixed Deposit: बैंक में एफडी कराना भारत में निवेश का सबसे लोकप्रिय विकल्प कहा जा सकता है। इसमें आपको कम पैसे में अपने मुताबिक निवेश करने की सुविधा मिलती है। यही वजह है कि बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) सबसे लोकप्रिय इन्वेस्ट ऑप्शन बना हुआ है।

मई 2022 के बाद जब आरबीआई ने लगातार रेपो दरें बढ़ानी शुरू कीं तो बैंकों ने एफडी के रेट भी खूब बढ़ाए। हाल यह है कि दो साल पहले लगभग छह फीसद रिटर्न देने वाली एफडी पर अब आठ प्रतिशत से ऊपर ब्याज मिल रहा है।

एक शानदार निवेश विकल्प होने के बावजूद, एफडी की बहुत-सी सीमाएं हैं।  इसमें बहुत-सी कमियां हैं। इसलिए इसमें पैसा लगाने से पहले आपको यह जान लेने की जरूरत है कि नुकसान क्या-क्या हैं। एक निवेशक के तौर पर ये आपके लिए बेहद जरूरी है।

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रिटर्न कम मिलता है

फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश करने का पहला नुकसान यह है कि इसमें ब्याज की दर निश्चित होती है। यानी जो ब्याज आपको बैंक ने निर्धारित कर दिया है, वह फिक्स रहता है। स्टॉक या म्यूचुअल फंड जैसे अन्य निवेश विकल्पों में आपको जो ब्याज मिलता है, वह इससे कहीं अधिक होता है।

प्रीमैच्योर विड्रॉल पर जुर्माना

अगर तय अवधि से पहले आप एफडी को ताड़ते है तो आपको जुर्माना देना होगा।

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मार्केट की तेजी का लाभ नहीं मिलता

एफडी की एक कमी ये भी है कि आपको योजना की अवधि के अंत तक निश्चित ब्याज दर मिलती रहती है। आपको अंत तक उस दर पर ब्याज मिलता रहता है। अगर बाजार में तेजी भी आती है तो भी आपका रिटर्न निश्चित रहता है। इसमें अक्सर नुकसान होने की गुंजाइश बनी रहती है।

कैपिटल गेन्स बेनेफिट नहीं

एफडी पर कोई कैपिटल गेन्स लाभ नहीं कमाते। इससे दीर्घकालिक अवधि में आपको नुकसान होता है।

अगर बैंक दिवालिया हो जाए

एफडी को आमतौर पर लोग एक सुरक्षित निवेश मानते है, लेकिन वह भी तभी तक सुरक्षित है, जब तक बैंक दिवालिया नहीं होता। अगर बैंक ही डूब गया तो इस बात की कोई गारंटी नहीं कि आपकी एफडी बचेगी।

लॉक-इन-पीरियड

आप एफडी में निवेश करते हैं, तो एक निर्धारित अवधि तक आपका पैसा लॉक हो जाता है। ज्यादातर सावधि जमा ऐसी होती हैं कि आप इन्हें बीच में तोड़ नहीं सकते और आपने अगर बीच में इनको तोड़ा तो पेनल्टी बहुत तगड़ी देनी पड़ती है।

आपको आपका पैसा तब तक नहीं मिलेगा जब तक कि फिक्स्ड डिपॉजिट की अवधि समाप्त न हो जाए। लाख इमरजेंसी क्यों न हो, आपके पास जरूरत पड़ने पर आपका ही पैसा नहीं रहेगा।

ब्याज पर लगता है टैक्स

एफडी पर आपको जो भी ब्याज मिलता है, उस पर टैक्स देना पड़ता है। आपको जो भी ब्याज मिलेगा, उस पर टैक्स चुकाना होगा।

रुपये का मूल्य

आप जो भी निवेश करते है उस पर पर रिटर्न इन्फ्लेशन रेट से अधिक होना चाहिए। आमतौर पर बैंक की सावधि जमाएं इस पैरामीटर पर खरी नहीं उतरतीं। अगर एफडी से महंगाई को मात देने वाला रिटर्न नहीं मिलता है तो फिर उसमें निवेश करने का कोई मतलब नहीं बनता।

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