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हरियाणा का यह शहर रेगिस्तान की तरह सूखा था, लेकिन आज कृषि केंद्र के रूप में विकसित और नहरों का जाल...

 टोहाना किसी समय में रेगिस्तान की तरह सूखा था. लोग पानी के लिए तरसते थे लेकिन आज इस प्राचीन शहर में चारो तरफ पानी ही नजर आता है. नंगल डैम से चलकर भाखड़ा नहर टोहाना पहुंचती है

 
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 Haryana Update: हरियाणा का टोहाना आज नहरों की नगरी कहलाता है. नहरों के जाल से घिरा टोहाना किसी समय में रेगिस्तान की तरह सूखा था. लोग पानी के लिए तरसते थे लेकिन आज इस प्राचीन शहर में चारो तरफ पानी ही नजर आता है.

नंगल डैम से चलकर भाखड़ा नहर टोहाना पहुंचती है. जिसमें से 7 छोटी-बड़ी नहरें निकलती हैं. बलियाला गांव की सीमा में होने के कारण इसे बलियाला हेड के नाम से भी जाना जाता है. जिसका पानी आसपास के क्षेत्र की कृषि भूमि को हरा भरा बनाती है.

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साल 1945- 46 में पहली बार भाखड़ा नंगल उप शाखा परियोजना का प्रस्ताव पारित हुआ था .टोहाना क्षेत्र के अलावा नहरों के माध्यम से राजस्थान में भी पानी जाता है. जब तक भाखड़ा नंगल उप-शाखा नहर शहर और पड़ोसी गांवों के लिए सिंचाई का एक स्रोत नहीं था,

टोहाना के आसपास का क्षेत्र रेगिस्तानी भूमि हुआ करता था.पदम विभूषण इंजीनियर राय बहादुर कंवर सैन गुप्ता जी की बदौलत टोहाना एक प्रमुख कृषि केंद्र के रूप में विकसित हुआ.

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आजादी से पहले टोहाना में था धूल भरी आंधियों का राज
शायद ही कोई ये बात जानता हो कि आजादी से पहले टोहाना रेगिस्तान की तरह होता था. यहां पर धूल भरी आंधियां चलती थी. सिंचाई के लिए पानी के व्यापक प्रबंध नहीं थे. क्योंकि भूजल कृषि के लिए उपयोगी न होने के कारण अच्छी फसलें नहीं होती थी.

जिस कारण यहां के लोग आर्थिक रूप से भी कमजोर थे लेकिन सिविल इंजीनियर राय बहादुर कंवर सेन गुप्ता के प्रयासों की बदौलत भाखड़ा नहर यहां पहुंची. नहर के पानी के कारण कृषि भूमि की उपजाऊ शक्ति बढ़ती गई और दिन प्रतिदिन टोहाना कृषि प्रधान क्षेत्र बनता गया. आज इस क्षेत्र में हर तरह की फसल उगाई जाती है.