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supreme court decision: माता - पिता का ध्यान न रखना अब बच्चो को पड़ सकता है भारी, कोर्ट ने दिया आदेश

supreme court decision: जब संतान अपने माता-पिता को बुढ़ापे में अकेले छोड़ देती है, ऐसे कई मामले सामने आते हैं। लगभग हर घर में यह कहानी है। बुजुर्ग लोग इस तरह बेसहारा हो जाते हैं और बार-बार ठोकरें खाते हैं। अब यह नहीं होगा।
 
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supreme court decision:  जब संतान अपने माता-पिता को बुढ़ापे में अकेले छोड़ देती है, ऐसे कई मामले सामने आते हैं। लगभग हर घर में यह कहानी है। बुजुर्ग लोग इस तरह बेसहारा हो जाते हैं और बार-बार ठोकरें खाते हैं। अब यह नहीं होगा।

 

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक ऐतिहासिक निर्णय दिया है कि माता-पिता से गिफ्ट या संपत्ति लेने के बाद उन्हें ठुकराने वालों को भारी दंड देना होगा। बच्चों को प्रॉपर्टी, गिफ्ट या फिर दोनों लौटाने की जरूरत होगी। बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल करनी चाहिए। उनके पास रहना महंगा हो सकता है।


सुप्रीम कोर्ट के अहम फैसले से बुजुर्गों को फायदा होगा। फैसले से उम्मीद है कि बच्चे अपने बुजुर्ग माता-पिता का ख्याल रखेंगे और उनसे अच्छी तरह व्यवहार करेंगे। वरिष्ठ नागरिकों का जीवन इससे बेहतर होगा। ज्यादातर अभिभावकों को उनके बच्चे प्रॉपर्टी और गिफ्ट लेने के बाद नजरअंदाज कर दिया जाता है।

कोर्ट ने कहा कि बच्चों को माता-पिता की संपत्ति और अन्य उपहार दिए जाने के बाद अब एक शर्त होगी। शर्तों के अनुसार, बच्चों को माता-पिता की देखभाल करनी चाहिए। 

 


सारी संपत्ति और बाकी उपहार वापस ले लिए जाएंगे अगर बच्चे इन शर्तों को नहीं मानते और माता-पिता को अकेला छोड़ देते हैं। Property Transfer शून्य होगा 
इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया

मध्यप्रदेश (MP News) की उर्मिला दीक्षित ने बेटे को इस शर्त पर संपत्ति गिफ्ट दिया कि वह उनकी सेवा करेगा। मां ने बेटे की उपेक्षा और दुर्व्यवहार के कारण ट्रिब्यूनल में गिफ्ट डीड रद्द करने का केस जीता, लेकिन हाईकोर्ट की खंडपीठ ने इस आदेश को रद्द कर दिया। 

बाद में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट की खंडपीठ का फैसला पलट दिया।
जस्टिस सीटी रविकुमार और जस्टिस संजय करोल की बेंच ने कहा कि यदि कोई वरिष्ठ नागरिक किसी व्यक्ति को संपत्ति हस्तांतरित करता है कि वह उनकी सेवा करते हुए बुनियादी सुविधाएं देगा, तो यह धोखाधड़ी माना जाएगा (property related news)। ट्रिब्युनल ऐसे मामलों में बुजुर्ग माता-पिता को संपत्ति वापस देने और बेदखली का आदेश दे सकता है। बुजुर्गों को लाभ पहुंचाने वाले कानून के उद्देश्य ही असफल हो जाएंगे अगर ट्रिब्युनल को वरिष्ठ नागरिकों द्वारा उपहार में दी गई संपत्ति को वापस करने का अधिकार नहीं मिलेगा।

धोखाधड़ी माना जाएगा


शीर्ष अदालत ने कहा कि बच्चों द्वारा बुजुर्गों की सेवा नहीं करने पर संपत्ति का ट्रांसफर शून्य घोषित होगा और इसे धोखाधड़ी या जबरदस्ती माना जाएगा। यदि बच्चे माता-पिता की देखभाल करने में विफल रहते हैं तो माता-पिता ने उन्हें जो संपत्ति और उपहार दिए हैं, वे वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम के तहत रद्द कर दिए जा सकते हैं। कुछ ऐसे भी मामले सामने आए हैं जब धोखाधड़ी से संपत्ति हथिया ली जाती है और फिर उसे कानूनी तौर पर ट्रांसफर कर दिया जाता है। इसलिए इस फैसले से धोखाधड़ी समाप्त होगी।

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