Self start bike : जानिए, आखिर क्यों बाइक में सेल्फ स्टार्ट का सिस्टम आने लगा
Haryana Update: आज हर छोटे से छोटे काम के लिए घर में एक दोपहिया वाहन होना अनिवार्य है। चाहे वह बाजार में काम करे, घर से ऑफिस जाए या स्कूल या कॉलेज जाए। इसलिए कंपनियां निरंतर दोपहिया वाहनों में नए फीचर्स जोड़ती रहती हैं।
कंपनियों ने कुछ महंगी और प्रीमियम बाइक्स को बेचना बंद कर दिया है। आखिर यह क्या है? क्या कंपनियां इसे पैसे बचाने के लिए कर रही हैं इसके बारे में जानें।
General Knowledge : शेर से पहले वन का राजा कौन था?
केटीएम, यामाहा की आर15, रॉयल एनफील्ड क्लासिक और बजाज पल्सर जैसे कई बाइक्स में किक नहीं होती। ऐसे समय में, वे किक मारकर बाइक या स्कूटर को चालू कर देते थे जब भी स्वचालित स्टार्ट में समस्या आती थी। लेकिन कंपनियों ने अब किक स्टार्ट नहीं दिया है। इसकी वजह क्या है? यह वैसे तो पूरी तरह से तकनीकी है, लेकिन हम इसे यहां आसान भाषा में बताने जा रहे हैं।
किक से बाइक शुरू करना
आज से पहले बाइकों में स्वचालित स्टार्ट नहीं था। उनकी बाइक स्टार्ट करने से लेकर इंजन में ईंधन भरने तक सब कुछ मैकेनिकल था। दूसरे शब्दों में, जब आप बाइक को किक से शुरू करते हैं, तो इंजन स्पार्क और क्रैंप से शुरू होता है, और गैसोलीन कार्बोरेटर से इंजन तक पहुंचता है। साथ ही इंजन संकेतक और लाइटें चलाता था। जैसा कि आपने देखा होगा, जब बाइक स्टार्ट की जाती थी, हेड लाइटें धीरे-धीरे जलती थीं, लेकिन जब बाइक दौड़ती थी, तो वे तेज हो जाती थीं।
किक अब क्यों नहीं आती?
वर्तमान में बनाई जा रही बाइकों में फ्यूल इंजेक्शन सिस्टम होता है, जो मोटर को टैंक से इंजन तक फ्यूल देता है। वे बैटरी से चलते हैं। बैटरी पूरी तरह से डाउन होने पर इंजन को ईंधन नहीं मिलता। ऐसे में किक मारने पर भी बाइक नहीं चलेगी।
वहीं, पहले की बाइक्स में सेल्फ स्टार्ट जल्दी खराब हो जाते थे, लेकिन कंपनियों ने इसे नियंत्रित करने के लिए बहुत कुछ किया है। जैसे, कई महंगी बाइकें अब किक स्टार्ट की जरूरत नहीं है। इन बाइक्स का एनर्जी रीजेनरेटिव सिस्टम भी बैटरियों को चार्ज करता है। इसलिए बैटरी बहुत कम गिरती है।