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फसलों को बर्बाद करने वाले इस जंगली जानवर को मारने की मिलेगी इजाजत, इन जिलों में हुआ भारी नुकसान

Haryana :हरियाणा में अब कुछ शर्तों के साथ आधिकारिक तौर पर नर नीलगाय को मारने की अनुमति दे दी गई है। इसके लिए हरियाणा कैबिनेट ने 4 फरवरी को वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1974 में संशोधन किया है।
 
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Haryana Update: हरियाणा में अब कुछ शर्तों के साथ आधिकारिक तौर पर नर नीलगाय को मारने की अनुमति दे दी गई है। इसके लिए हरियाणा कैबिनेट ने 4 फरवरी को वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1974 में संशोधन किया है। इसका कारण यह है कि नीलगाय किसानों की फसलों को भारी नुकसान पहुंचा रहे थे। वहीं, नए नियमों के तहत वन्यजीव शिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी। 

इन राज्यों को मिली थी अनुमति- 
अभी तक राजस्थान, दिल्ली, पंजाब, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और बिहार में ही वन विभाग की अनुमति के बाद नर नीलगाय को मारा जा सकता था। वन विभाग के मुताबिक अब राष्ट्रीय उद्यानों और अभयारण्यों के पास रहने वालों को अपनी लाइसेंसी बंदूकों का पूरा ब्योरा वन विभाग को देना होगा। ये जिले हुए प्रभावित- महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, भिवानी, चरखी दादरी, झज्जर, रोहतक, कुरुक्षेत्र, कैथल, फतेहाबाद, हिसार, जींद और गुरुग्राम नीलगाय से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। इनमें नीलगाय के झुंड खेतों में घुसकर फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं। नीलगाय गेहूं, चना, मूंगफली, गन्ना, मक्का, बाजरा, सब्जी और दालों की फसलों को नुकसान पहुंचाती हैं।

वन विभाग से लेनी होगी अनुमति-
इस बदलाव में हरियाणा में सिर्फ नर नीलगाय को ही मारने की अनुमति है। साथ ही पंचायत को वन विभाग को आवेदन देना होगा। जिसकी जांच जिला वन्यजीव वार्डन द्वारा की जाएगी। इसके बाद प्रदेश के मुख्य वन्यजीव अधिकारी द्वारा अनुमति दी जाएगी। इसके अलावा लाइसेंसी बंदूक धारक का नाम और लाइसेंस नंबर दर्ज किया जाएगा। उसे यह ब्योरा देना होगा कि उसने कितने नर नीलगाय को मारा है। इसके बाद अधिकृत अधिकारी की मौजूदगी में शव का अंतिम संस्कार किया जाएगा।

बीमार जंगली जानवरों को दूसरे राज्यों में भेजा जा सकेगा-
इस बदलाव में अगर कोई जंगली जानवर गंभीर रूप से बीमार है और ठीक नहीं हो पा रहा है तो उसे दूसरे राज्य में भेजने की अनुमति दी जाएगी। जंगली जानवर को ट्रैंकुलाइज करने के बाद ही भेजा जाएगा। हाल ही में राजस्थान के सरिस्का से एक बाघ हरियाणा आया। वह 70 दिन तक रेवाड़ी में घूमता रहा। राजस्थान की टीम आई, अनुमति मिली और बाघ को कोटा के वन्यजीव अभ्यारण्य में छोड़ दिया गया।