logo

इन 3 जातियों का नाम SC लिस्ट से जाएगा हटाया!

Scheduled Caste List : हरियाणा सरकार ने केंद्र सरकार को अनुसूचित जातियों की सूची से तीन जातियों के नाम हटाने का सुझाव दिया है। इन बदलावों की मांग कई सालों से की जा रही थी। सरकार का कहना है कि ये नाम न केवल आपत्तिजनक हैं, बल्कि इनका इस्तेमाल अक्सर जातिगत अपमान और गाली के तौर पर भी किया जाता है।
 
Scheduled Caste List
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

Scheduled Caste List (Haryana Update) : हरियाणा सरकार ने केंद्र सरकार को अनुसूचित जातियों की सूची से तीन जातियों के नाम हटाने का सुझाव दिया है। इन बदलावों की मांग कई सालों से की जा रही थी। सरकार का कहना है कि ये नाम न केवल आपत्तिजनक हैं, बल्कि इनका इस्तेमाल अक्सर जातिगत अपमान और गाली के तौर पर भी किया जाता है।

कौन से नाम हटाने का सुझाव दिया गया है-
हरियाणा सरकार ने अनुसूचित जातियों की सूची से चूरा, भंगी और मोची नाम हटाने का सुझाव दिया है।

चूरा और भंगी: ये अनुसूचित जातियों की सूची में दूसरे नंबर पर हैं

मोची: यह नाम इस सूची में नौवें स्थान पर आता है

सरकार का कहना है कि अब इन नामों को समाज में अपमानजनक और नकारात्मक नजरिए से देखा जाता है।

केंद्र को भेजा गया पत्र-
हरियाणा सरकार ने सामाजिक न्याय, अधिकारिता और अनुसूचित जाति एवं जनजाति कल्याण विभाग के जरिए केंद्र को पत्र भेजा है।
इस पत्र में कहा गया है कि ये नाम अब अपना महत्व खो चुके हैं
ये नाम लंबे समय से जातिगत भेदभाव और पूर्वाग्रह को बढ़ावा दे रहे हैं
सरकार ने केंद्र से 1950 के एससी/एसटी एक्ट में संशोधन करने का अनुरोध किया है ताकि इन नामों को सूची से हटाया जा सके

पिछली सरकार के प्रयास-
2013 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी केंद्र सरकार को इसी तरह का पत्र भेजा था।
लेकिन, उस पत्र पर क्या हुआ, इसका कोई ठोस सबूत नहीं है
वर्तमान सरकार ने फिर से इस मुद्दे को उठाया है और उम्मीद है कि केंद्र जल्द ही इस पर कार्रवाई करेगा

जातिगत नाम और पारंपरिक पेशे-
हरियाणा सरकार का कहना है कि ये तीनों नाम पारंपरिक पेशे से जुड़े हैं, जिनका इस्तेमाल समाज में जातिगत पहचान के तौर पर लंबे समय से किया जाता रहा है।

चूड़ा और भंगी: ये लोग पारंपरिक सफाई से जुड़े काम के लिए जाने जाते हैं

मोची: ये जूते की मरम्मत और इससे जुड़े दूसरे कामों में माहिर होते हैं

हालांकि, सरकार का मानना ​​है कि इन नामों का नकारात्मक तरीके से इस्तेमाल समाज में तनाव और भेदभाव को बढ़ावा देता है।

सामाजिक प्रभाव-
इन नामों को हटाने से समाज में अच्छे बदलाव आ सकते हैं।

इससे जातिगत भेदभाव और पूर्वाग्रहों को कम करने में मदद मिलेगी

इन समुदायों के प्रति सम्मान और समानता का रवैया विकसित होगा

इससे समाज में एकता और सद्भाव को बढ़ावा मिलेगा

1950 का कानून और बदलाव की प्रक्रिया-
अनुसूचित जाति और जनजाति की सूची में किसी भी बदलाव के लिए केंद्र सरकार को कानून में संशोधन करना पड़ता है। यह संशोधन संसद में कानून पारित करके किया जाता है। सूची में जातियों को शामिल करने या हटाने का अधिकार केवल केंद्र सरकार के पास है

सरकार का तर्क-
हरियाणा सरकार का कहना है कि जब इन नामों का मज़ाक में इस्तेमाल किया जाता है, तो इससे जातिगत पूर्वाग्रह को बढ़ावा मिलता है। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अधिनियम 1989 का हवाला देते हुए सरकार ने कहा कि इसमें भेदभाव और अपमान के खिलाफ सख्त नियम हैं, इसलिए सामाजिक एकता के लिए इन नामों को हटाना ज़रूरी है।

इस बदलाव का क्या असर होगा-
अगर केंद्र सरकार इस योजना को मंज़ूरी देती है, तो इसे न केवल हरियाणा में बल्कि पूरे देश में लागू किया जाएगा।

इस बदलाव से समाज में अच्छा संदेश जाएगा। इससे उन समुदायों को मुख्यधारा में लाने में मदद मिलेगी, जो अब तक भेदभाव का शिकार रहे हैं, साथ ही सामाजिक न्याय को भी बढ़ावा मिलेगा। चुनौतियां और अपेक्षाएं- बदलाव लाने के लिए संसद में कानून में बदलाव जरूरी है और यह एक लंबी प्रक्रिया हो सकती है। सरकार को सभी पक्षों की राय को ध्यान में रखते हुए संतुलित निर्णय लेना होगा। फिर भी सरकार की इस पहल से समाज में भेदभाव और जातिगत तनाव कम होने की उम्मीद है। हरियाणा सरकार का यह कदम समाज में जातिगत भेदभाव को कम करना है। अगर यह बदलाव लागू होता है तो इससे समाज में समानता और एकता को बढ़ावा मिलेगा, जिससे सभी समुदायों को बराबर का दर्जा मिलेगा।