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Indian Railway in AC: ट्रेन में कितने डिग्री पर चलता हैं AC, जानिए...

Indian Railway in AC: आपको पता नहीं होगा कि कोच को तुरंत ठंडा करने के लिए AC का रि-सर्क्युलेशन मोड प्रयोग किया जाता है। इस मोड बार-बार कोच की ठंडी हवा को ठंडा करता रहता है।

 
Indian Railway in AC

Haryana Update: आपकी जानकारी के लिए बता दें, की भारत में अधिकांश लोग ट्रेन के सपुर को पसंद करते हैं। रेलयात्रा सुविधाजनक होने से ऐसा होता है। यदि ट्रेन में लंबी यात्रा करनी हो तो लोग एसी कोच में जगह बुक करते हैं। AC कोच में चलना आम और स्लीपर कोच से ज्यादा आरामदायक है। लंबे सफर पर एसी कोच में एयर कंडीशन (Air Condition in Train) होने से थकान कम होती है। एसी कोच के लिए ट्रेन में कई नियम हैं। ट्रेन में AC तापमान पर भी ऐसा ही है। 

याद रखें कि ट्रेन में चलने वाले AC का टेम्प्रेचर भी निर्धारित है (AC In Train)। यानी घर में लगे एसी की तरह इसका तापमान बार-बार नहीं बदला जाता। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ट्रेन में एसी कितने तापमान पर चलाया जाता है? अगर आप भी नहीं जानते हैं तो आज जानने का प्रयास करें।

ट्रैन पर लोग अक्सर शिकायत करते हैं कि एसी कम या अधिक तापमान पर चलाया जा रहा है। यही कारण है कि रेलवे ने एक टेम्प्रेचर निर्धारित किया है जिसे आपके शरीर के लिए सबसे अनुकूल माना जाता है, जिसे त्रिशंकु AC तापमान सीमा कहा जाता है। साथ ही, ट्रेन के AC कोच में AC का तापमान भी कोच पर निर्भर करता है।  एलएचबी AC कोच और नॉन एलएचबी AC कोच दोनों का तापमान निर्धारित किया जाता है।

कितने टेम्प्रेचर पर ट्रेन का AC काम करता है?
एलएचबी एसी कोचों (LHB AC coaches) में AC का तापमान 25 डिग्री सेल्सियस होता है, जिससे यात्रियों को कोई परेशानी नहीं होती। यद्यपि, गैर-एलएचबी एसी कोच में तापमान 24 से 26 डिग्री सेल्सियस होता है। जैसे, ट्रेन के AC कोच में तापमान लगभग 25 डिग्री रहता है।

जब आप ट्रेन में AC का रि-सर्क्युलेशन मोड प्रयोग करते हैं, तो आपको पता नहीं होगा कि कोच को तुरंत ठंडा करने के लिए AC का रि-सर्क्युलेशन मोड प्रयोग किया जाता है। इस मोड बार-बार कोच की ठंडी हवा को ठंडा करता रहता है। इससे गर्म करने में अधिक समय नहीं लगता। 

हालाँकि, ट्रेन कोच के अंदर ऑक्सीजन का स्तर बना रहता है, इसलिए हवा 12 बार प्रति घंटे बदली जाती है। राजधानी और दुरंतो जैसे एसी ट्रेनों में 80 प्रतिशत हवा रि-सर्क्युलेट होती है, जबकि 20 प्रतिशत बाहर से ली गई ताजी हवा से मिलती है।

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