किस स्थिति में बहन को मिलेगी भाई की सारी संपत्ति? क्या कहता है कानून
Haryana Update, Property Rights : आजकल संपत्ति विवाद सिर्फ पिता-पुत्र या पति-पत्नी के बीच ही नहीं बल्कि भाई-बहन के बीच भी देखने को मिलते हैं। संपत्ति पर अधिकार (संपत्ति अधिकार कानून) को लेकर कानून में विशेष प्रावधान किए गए हैं। हालांकि, ये भी परिस्थिति के हिसाब से तय किए जाते हैं। एक स्थिति में बहन भाई की पूरी संपत्ति की मालकिन होती है और उसे वो सारी संपत्ति मिलती है, आइए जानते हैं कानून में इसके लिए क्या प्रावधान है। आपको ये सुनकर अजीब लग सकता है कि बहन भाई की पूरी संपत्ति में अपना हक जता सकती है, लेकिन कानून के मुताबिक ये बिल्कुल सच है। एक शादीशुदा बहन अपने भाई की पूरी संपत्ति (संपत्ति अधिकार) को लेकर ऐसा दावा कर सकती है। हालांकि, ऐसा किसी खास परिस्थिति में ही किया जा सकता है। उसके बाद बहन को भाई की संपत्ति लेने से कोई नहीं रोक सकता।
ये है कानून में प्रावधान-
माता-पिता की संपत्ति में बेटी के अधिकार (पिता की संपत्ति में बेटी के अधिकार) को लेकर भी कानून में विशेष प्रावधान किए गए हैं। पहले शादी के बाद लड़की को संयुक्त परिवार का सदस्य नहीं माना जाता था और उसे पैतृक संपत्ति में भी अधिकार नहीं दिया जाता था। अब शादी के बाद लड़की पैतृक संपत्ति के अलावा बेटों के बराबर अपने माता-पिता की संपत्ति में भी हकदार है। इतना ही नहीं, एक स्थिति ऐसी भी है कि वह अपने भाई की सारी संपत्ति में भी अपना हक जता सकती है। इस तरह माता-पिता की पूरी संपत्ति भाई की जगह बहन को मिल जाती है। इस तरह भाई की पूरी संपत्ति बहन की हो जाती है- वसीयत के अनुसार कानून संपत्ति का बंटवारा करता है। ऐसे में अगर कोई माता-पिता अपनी संपत्ति बेटे की जगह बेटी के नाम लिख देते हैं तो बेटा उस संपत्ति से वंचित हो जाएगा और वह पूरी संपत्ति बेटी की हो जाएगी। यानी भाई की जगह बहन को उस संपत्ति का पूरा अधिकार मिलेगा। हालांकि, माता-पिता ऐसा सिर्फ अपनी खुद की कमाई हुई संपत्ति यानी अपनी कमाई से खरीदी गई संपत्ति से ही कर सकते हैं। पैतृक संपत्ति के मामले में ऐसा नहीं किया जा सकता, क्योंकि वह संपत्ति पूर्वजों से विरासत में मिलती है और भाई का भी उसमें बराबर का अधिकार होता है और उसकी सहमति के बिना माता-पिता पैतृक संपत्ति को मनमाने ढंग से नहीं बांट सकते।
बहन भी इस स्थिति में दावा कर सकती है-
हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2005 के अनुसार, जब कोई व्यक्ति बिना वसीयत लिखे मर जाता है, तो बहन भाई की संपत्ति पर अपना अधिकार जता सकती है। ऐसी स्थिति में अगर भाई बहन को संपत्ति में अधिकार नहीं दे रहा है, तो बहन कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकती है। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि अगर वह पूरी संपत्ति (बेटी के संपत्ति अधिकार) में अधिकार जता रही है, तो ऐसा तभी हो सकता है, जब कानूनी तौर पर उस व्यक्ति के पास प्रथम श्रेणी के दावेदार यानी पत्नी, बेटा या बेटी न हों। ऐसी स्थिति में बहन अपने भाई की पूरी संपत्ति (भाई के संपत्ति अधिकार) पर अधिकार जता सकती है, लेकिन इसमें एक और पेंच यह है कि अगर उक्त भाई के पास बहन के अलावा और भी भाई हैं, तो वे भी दावा कर सकते हैं। क्योंकि कानून के अनुसार, किसी व्यक्ति के अन्य भाई-बहन उस संपत्ति में द्वितीय श्रेणी के हकदार या दावेदार होते हैं (माता-पिता की संपत्ति में भाई-बहन का संपत्ति अधिकार)।