सुप्रीम कोर्ट मे हिमाचल ने दिल्ली को पानी देने से किया इन्कार, SC ने दी ये सलाह
Delhi Water Crisis Update. दिल्ली में जल संकट अभी दूर होता नहीं दिख रहा है। हिमाचल प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of India) में गुरुवार को अपने पहले के बयान से पलटते हुए कहा कि उसके पास दिल्ली को देने के लिए 136 क्यूसेक अतिरिक्त पानी नहीं है। इसके बाद जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और पीबी वराले की बेंच ने कहा कि यमुना जल बंटवारा जटिल और संवेदनशील मुद्दा है। इस मुद्दे पर निर्णय लेने के लिए इस अदालत (SCI) के पास कोई तकनीकी विशेषज्ञता नहीं है। बेहतर होगा कि इस मुद्दे को अपर यमुना रिवर बोर्ड (यूवाईआरबी) के ऊपर छोड़ दिया जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, चूंकि यूवाईआरबी ने मानवीय आधार पर 150 क्यूसेक अतिरिक्त पानी देने के लिए दिल्ली को आवेदन करने को कहा है। ऐसे में यदि आवेदन नहीं किया है तो वह गुरुवार शाम 5 बजे तक आवेदन करें। बेंच ने यूवाईआरबी को शुक्रवार को बैठक बुलाने और इस बारे में जल्द निर्णय लेने को कहा। कोर्ट ने इसके साथ ही दिल्ली सरकार की उस याचिका का भी निपटारा कर दिया, जिसमें हरियाणा को हिमाचल द्वारा दिए जाने वाला अतिरिक्त पानी बिना किसी बाधा के दिल्ली को मुहैया कराने का आदेश देने की मांग की गई थी। इससे पहले अपर यमुना रिवर बोर्ड की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी ने बेंच से कहा कि इस मुद्दे को बोर्ड द्वारा सुलझाया जा सकता है। हिमाचल सरकार ने बेंच से कहा कि इस मुद्दे को सभी पक्षों द्वारा मिलकर ही सुलझाया जा सकता है।
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हिमाचल प्रदेश सरकार की ओर से पेश हुए वकील ने सुप्रीम कोर्ट से राज्य के पास अतिरिक्त पानी होने के बारे में अधिकारी द्वारा दिए गए बयान को वापस लेने की अनुमति मांगी। उन्होंने कहा कि पहले दिया गया बयान सही नहीं था। इस पर बेंच ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि आपके अधिकारी ने जो बयान दिया था, उसके परिणाम को नहीं समझते।
नौकरशाहों का निकाय बना बोर्ड : दिल्ली सरकार
दिल्ली सरकार की ओर से वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि इस मुद्दे पर अदालत को हाई लेवल कमेटी गठित करने के बारे में विचार करना चाहिए, क्योंकि अपर यमुना रिवर बोर्ड नौकरशाही निकाय बनकर रह गया है। उन्होंने सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों और पानी की बर्बादी रोकने के कदमों की भी जानकारी दी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ''जल बंटवारे के मुद्दे पर अदालत के पास अंतरिम आधार पर भी निर्णय लेने के लिए तकनीकी विशेषज्ञता नहीं है। ऐसे में अपर यमुना रिवर बोर्ड द्वारा निर्णय लेना उचित रहेगा।''