दिल्ली की वायु गुणवत्ता आज भी बदतर, सरकार ने लागू किए ये नियम
वर्तमान में दिल्ली का AQI 400 के पार है, जो "गंभीर" श्रेणी में आता है। राजधानी में प्रदूषण का स्तर इतने अधिक हैं कि कई इलाके इस समय 'Severe' श्रेणी में दर्ज किए गए हैं। इसके चलते, दिल्ली के अधिकांश हिस्सों में घना धुंआ (स्मॉग) छा गया है, जिससे दृश्यता में भी भारी गिरावट आई है। दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के चलते प्राथमिक विद्यालयों के लिए ऑनलाइन कक्षाओं की घोषणा की गई है।
वर्तमान में दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में कई स्थानों पर प्रदूषण का स्तर 450 तक पहुंच चुका है, जिनमें से कुछ प्रमुख इलाके जैसे रोहिणी, वजीरपुर, और आनंद विहार शामिल हैं। इस स्थिति ने न केवल सड़क यातायात को प्रभावित किया है, बल्कि इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर भी दृश्यता के कारण उड़ानें रद्द और देरी हो रही हैं।
इसके अलावा, दिल्ली सरकार ने इस गंभीर प्रदूषण के चलते स्कूलों में शारीरिक कक्षाओं को बंद करने और निर्माण कार्यों पर रोक लगाने जैसे कड़े कदम उठाए हैं। प्रदूषण नियंत्रण के लिए "ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान" के तहत कुछ कठोर प्रतिबंध भी लगाए गए हैं, जिनमें ट्रकों का प्रवेश बंद करना और बाहरी वाहनों पर रोक शामिल है।
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स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, इस समय दिल्ली का वायु गुणवत्ता स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा निर्धारित सुरक्षित सीमा से 60 गुना अधिक विषैला है, जो लोगों की सेहत के लिए गंभीर खतरा पैदा करता है।
दिल्ली प्रदूषण और इसके स्वास्थ्य पर प्रभाव
दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है, और इसका असर न केवल पर्यावरण बल्कि लोगों के स्वास्थ्य पर भी गहरा पड़ रहा है। दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) अक्सर "गंभीर" श्रेणी में पहुँच जाता है, जिससे नागरिकों को सांस लेने में दिक्कतें होती हैं और विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
स्वास्थ्य पर प्रभाव
सांस संबंधित बीमारियाँ
प्रदूषण के चलते, दिल्लीवासियों में सांस लेने की समस्याएँ बढ़ गई हैं। हवा में घुले घातक तत्व जैसे PM2.5 और PM10 (कृमिक कण) सांस के जरिए शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। ये कण फेफड़ों में जमकर श्वसन तंत्र को नुकसान पहुँचाते हैं। इससे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, और अन्य श्वसन समस्याएँ होती हैं।
दिल की समस्याएँ
दिल्ली में प्रदूषण के कारण दिल से संबंधित बीमारियाँ भी बढ़ रही हैं। शोधों के अनुसार, प्रदूषित हवा दिल के दौरे का खतरा बढ़ा देती है। नियमित रूप से प्रदूषित हवा में सांस लेने से रक्त वाहिकाओं पर दबाव पड़ता है, जिससे दिल की बीमारियाँ जैसे हाई ब्लड प्रेशर और हार्ट अटैक के मामलों में वृद्धि हो रही है।
मस्तिष्क पर प्रभाव
प्रदूषण का मस्तिष्क पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। अध्ययन बताते हैं कि प्रदूषित हवा मस्तिष्क के विकास को प्रभावित कर सकती है, खासकर बच्चों में। यह मानसिक समस्याओं जैसे अवसाद, चिंता और ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई का कारण बन सकती है।
आंखों और त्वचा की समस्याएँ
प्रदूषण आंखों में जलन, खुजली, और अन्य समस्याएँ पैदा कर सकता है। यह स्किन एलर्जी और त्वचा संबंधी बीमारियाँ भी उत्पन्न कर सकता है, क्योंकि प्रदूषण के छोटे कण त्वचा में समा जाते हैं, जिससे संक्रमण और सूजन हो सकती है।
प्रदूषण और बच्चों की सेहत
बच्चों की शारीरिक क्षमता और मानसिक विकास पर प्रदूषण का प्रभाव अधिक गंभीर हो सकता है। उनकी श्वसन प्रणाली अभी विकसित हो रही होती है, और प्रदूषित वायु उनके फेफड़ों पर प्रतिकूल असर डाल सकती है। इससे भविष्य में अस्थमा, एलर्जी और श्वसन तंत्र की समस्याएँ हो सकती हैं।
कृपया ध्यान रखें
दिल्ली में प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित करने के लिए कई सरकारी प्रयास किए जा रहे हैं, जैसे ट्रैफिक नियंत्रण, निर्माण कार्यों पर प्रतिबंध और "ग्रीन" टेक्नोलॉजी का उपयोग।
नागरिकों को सलाह दी जाती है कि वे घर के अंदर रहें, मास्क पहनें और प्रदूषण के खतरों से बचने के लिए स्वच्छ वातावरण में रहें।
दिल्ली में प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन चुकी है, और इसके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। सभी को इस समस्या का समाधान खोजने के लिए मिलकर काम करना होगा।
दिल्लीवासियों को प्रदूषण से बचने के लिए घर के अंदर रहने और मास्क पहनने की सलाह दी जा रही है, खासकर बच्चों और बुजुर्गों को अत्यधिक एहतियात बरतने के लिए कहा गया है।