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Delhi Water Crisis: पानी की कमी से परेशान दिल्लीवासी, रात 2 बजे से लगने लगती हैं लाइनें

Delhi Water Crisis: दिल्ली में हुई पानी की किल्लत की वजह से लोगों को लाइनों में लगकर टैंकरों से पानी भरना पड़ रहा है.

 
Delhi Water Crisis

Haryana Update: दिल्ली में पानी की किल्लत की वजह से त्राहिमाम मचा हुआ है. लोगों को बूंद-बूंद पानी के लिए तरसते हुए देखा गया है. दक्षिणी दिल्ली से लेकर पूर्वी दिल्ली तक लोगों को जल संकट से जूझना पड़ रहा है. कांग्रेस और बीजेपी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के खिलाफ मटका फोड़ प्रदर्शन कर रहे हैं. वह मांग कर रहे हैं कि हालात से निपटने के लिए राज्य सरकार को तुरंत एक्शन लेना चाहिए.

जल संकट के बीच दिल्ली की जल मंत्री आतिशी ने शहर की पुलिस को चिट्ठी लिखी है. इसमें उन्होंने मांग की है कि पाइपलाइन को तोड़फोड़ से बचाया जाए. आतिशी का दावा है कि दिल्ली में कई जगहों पर पानी का पाइपलाइन में तोड़फोड़ की गई है, जिसकी वजह से पानी बहकर बर्बाद हो रहा है. दिल्ली सरकार हरियाणा से मानवीय आधार पर पानी छोड़ने की गुजारिश भी कर चुका है.

जल संकट के बीच दिल्ली की जल मंत्री आतिशी ने शहर की पुलिस को चिट्ठी लिखी है. इसमें उन्होंने मांग की है कि पाइपलाइन को तोड़फोड़ से बचाया जाए. आतिशी का दावा है कि दिल्ली में कई जगहों पर पानी का पाइपलाइन में तोड़फोड़ की गई है, जिसकी वजह से पानी बहकर बर्बाद हो रहा है. दिल्ली सरकार हरियाणा से मानवीय आधार पर पानी छोड़ने की गुजारिश भी कर चुका है.

एक स्थानीय शख्स ने पानी नहीं आने की वजह से हो रही परेशानियों के बारे में बताया. उसने कहा, "हम लोग सुबह से नहाए नहीं हैं. हमारे पूरे घरवाले पानी के इंतजार में बैठे हुए हैं. सुबह अगर पानी आ जाएगा तो फिर चार दिनों तक पानी ही नहीं आता है. हम जहां पर रहते हैं, वहां पहले 14 से 15 परिवार रहते हैं, लेकिन अब वहां सिर्फ 4 परिवार रह रहा हैं. बाकी के परिवार पानी की किल्लत की वजह से घर छोड़कर जा चुके हैं. स्थानीय विधायक के यहां भी हमारी सुनवाई नहीं हो रही है.

गीता कॉलोनी में रहने वाली एक महिला ने कहा, "हर जगह टोटी लगी हुई है, लेकिन उसमें 10-15 मिनट के लिए पानी आता है. यहां पर इतनी आबादी है कि ज्यादा से ज्यादा एक या दो डब्बे भर पाते हैं. टैंकर जब आता है तो उसके आने से पहले ही लंबी लाइनें लगी होती हैं. छोटे-छोटे बच्चे लाइनों में लगे होते हैं, क्योंकि उनके मां-बाप नौकरियों पर जा चुके होते हैं. कुछ बच्चे भी सड़क पर गिर गए थे. अगर वहां रेड लाइट नहीं होती तो कुछ की मौत भी हो सकती थी."

एक अन्य शख्स ने बताया, "यहां पर पानी की किल्लत इतनी ज्यादा है कि लोग दो-तीन बजे रात से ही पानी की लाइन में लग जाते हैं. जिन लोगों को अगर आधा डब्बा पानी मिल जाता है, उनके लिए ये किसी जंग को जीतने जैसा होता है. जिनको नहीं मिलता है, वो मायूस होकर घर चले जाते हैं. पानी के लिए लाठियां चल जाती हैं. सर फूट जाते हैं. सुबह 6.30 बजे से 7 बजे तक टैंकर आता है. किसी-किसी दिन वो भी नहीं आता है. लोगों को कई बार दूर-दूर से पानी खरीदकर लाना पड़ता है.

दिल्ली का गोविंदपुरी इलाका भी पानी की भीषण कमी से जूझ रहा है. इंडिया टीवी से बात करते हुए एक महिला ने बताया, "गर्मियों की शुरुआत से ही पानी की किल्लत है. पानी को ढोकर दूर से लाना पड़ता है. हमारे नल में पानी नहीं पा रहा है. टैंकरों के जरिए पीने का पानी मिल रहा है. दो-तीन दिन में एक टैंकर आ रहा है." एक अन्य महिला ने बताया, "पानी की वजह से हर दिन लड़ाई-झगड़े हो रहे हैं. हम चाहकर भी पीने का पानी नहीं खरीद सकते हैं, क्योंकि हमारे पास इतने पैसे नहीं हैं.

दिल्ली के चाणक्यपुरी इलाके में न्यूजलॉन्ड्री की टीम से बात करते हुए सोहरिया नाम की एक महिला ने बताया, "हमें पानी नहीं मिल रहा है. जो पानी टैंकरों में आ रहा है, वो भी गंदा है. टैंकरों के जरिए जैसा भी पानी आए, फिर वो साफ हो या गंदा. इसी को हमें पीना है और इसी से खाना बनाना है. पानी से बदबू आना और कीड़े निकलना आम बात है." महिला ने कहा कि उन्हें साफ पानी का अभी तक इंतजार है.

वसंत विहार में लाली नाम की महिला ने भी पानी नहीं आने की वजह से होने वाली परेशानी को लेकर बात की. उसने कहा, "जिसको पानी नहीं मिलता है, वो कहता है कि मेरा पानी रह गया. पानी की वजह से लड़ाई-झगड़े हो जाते हैं. पुलिस केस तक हो चुके हैं." हरिश चंद्र नाम के एक शख्स ने कहा, "15-15 दिनों पर पानी मिल रहा है. हमें सारे बर्तन और कैन भरकर रखने होते हैं. हमारे पास ये ही विकल्प है कि हम काम करें या फिर पानी भरें."

दक्षिणी दिल्ली के देवली में रहने वाली नसीम नाम की एक महिला ने बताया कि पानी की वजह से हालत ये हो चुकी है कि अब हम सोच गांव वापस जाने की सोच रहे हैं. 17 दिन बाद हमें नहाने को मिला है. सरकारी पानी भी नहीं है और ना ही सरकारी टैंकर है. प्राइवट टैंकर के लिए 1000 से 2000 रुपये देने पड़ते हैं. महिला ने बताया कि बहुत से लोग अब यहां से गांव लौट रहे हैं. लोगों को थोड़े से पानी के लिए भी जद्दोजहद करनी पड़ रही है.

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