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Delhi Tenant Rule : अगर आपने भी कराए पर दिया है घर या दुकान तो एक बार जरूर पढ़ लें ये खबर, ये गलती हुई तो आप होंगे जिम्मेदार...

Tenant Rule in Delhi : कई बार किराएदार रेंट के मकान में कुछ ऐसे काम करते हैं, जो कानूनन गलत होता है। क्या इसके लिए मकान मालिक जिम्मेदार है?

 
Delhi Tenant Rule : अगर आपने भी कराए पर दिया है घर या दुकान तो एक बार जरूर पढ़ लें ये खबर, ये गलती हुई तो आप होंगे जिम्मेदार...
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Tenant Rule in Delhi : हाल ही में दिल्ली में एक ऐसा ही मामला सामने आया था जिसमें एक किराएदार पर बच्चों से बालश्रम कराने का आरोप लगाया गया था, जिसके परिणामस्वरूप मकान मालिक की संपत्ति सील कर दी गई थी. दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए निर्णय दिया कि मकान मालिक को किराएदार की गलती की सजा नहीं दी जा सकती है.

कोर्ट ने फैसला दिया कि मकान मालिक को किराएदार की गलती की सजा नहीं दी जा सकती. जस्टिस प्रतिबा एम सिंह की पीठ ने कहा कि मकान मालिक केवल संपत्ति का मालिक होने के कारण यह उसका आय का स्रोत है, यानी उसका आय का स्रोत है।


यद्यपि मकान मालिक पर किराएदार के साथ किसी भी तरह की मिलीभगत का आरोप नहीं है, क्योंकि किराएदार उन्हें समय पर पैसे नहीं देता था, अदालत का विचार है कि महिला को अपनी संपत्ति का उपयोग करने की अनुमति दी जानी चाहिए।


आज जरूरत की खबर में बात करेंगे- किराएदार रेंट के मकान में गलत काम करे, तो क्या होगा और कौन-कौन जिम्मेदार हो सकता है।

हमारे एक्सपर्ट हैं- एडवोकेट ललित वी, पटियाला हाउस कोर्ट, दिल्ली और एडवोकेट शशि किरण, सुप्रीम कोर्ट।

सवाल- किराएदार अगर रेंट के घर में गैरकानूनी काम करे, तो क्या होगा? जवाब- सभी के लिए एक ही नियम है, उस पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी और पुलिस जांच के बाद अपराध के आधार पर किराएदार को सजा मिलेगी।

सवाल- क्या किराएदार के किसी भी गैरकानूनी काम के लिए मकान मालिक की भी जिम्मेदारी होगी? जवाब- ऐसा नहीं है।

सवाल- मकान मालिक ने किराएदार को घर रेंट पर दिया और किरायेदार ने उसमें गैरकानूनी काम किया, तो पुलिस कम्प्लेन होने पर क्या मकान मालिक पर भी एक्शन लिया जाएगा? एडवोकेट ललित- नहीं, ऐसा कुछ भी नहीं है। अगर मकान मालिक की किराएदार के साथ कोई मिलीभगत नहीं है, तो वो पुलिस इन्वेस्टिगेशन में कोऑपरेट करेगा।

अगर मिलीभगत रहेगी, तो कॉपरेट करने की जगह पुलिस को गुमराह कर सकता है। जिसका पता एक न एक दिन पुलिस को चल ही जाता है।

अगर मकान मालिक बेगुनाह है, तो पुलिस उसका बयान लिखकर उसे सरकारी विटनेस बना देगी। उस पर किसी भी तरह का कानूनी एक्शन नहीं लिया जाएगा।

सवाल- किराएदार मकान में कोई ऐसा काम करे, जो कानूनन गलत है और मकान मालिक को पता चल जाए, तो मकान मालिक क्या कर सकता है? जवाब- इसके लिए नीचे लिखे ग्राफिक को पढ़ें और दूसरों को शेयर भी करें-


सवाल- पुलिस में शिकायत तो की जा सकती है, लेकिन अगर नोटिस देने के बाद भी किराएदार घर खाली न करे, तो मकान मालिक क्या कर सकता है? एडवोकेट ललित-

पुलिस से शिकायत करनी चाहिए।
डायल 100 के जरिए वह पुलिस कंप्लेन कर सकता है।
साक्ष्य अधिनियम यानी PT एक्ट की धारा-106 के तहत सिविल जज के पास एविक्शन पिटीशन फाइल कर सकता है।
सवाल- किराएदार से घर खाली करवाने को लेकर भारत का कानून क्या कहता है? जवाब- मॉडल टेनेंसी एक्ट, 2021 धारा 21 और 22 में जिक्र है कि एक किरायेदार को मकान मलिक कब अपने घर से बेदखल कर सकता है। इसके लिए मकान मालिक को रेंट कोर्ट में बेदखली और प्रॉपर्टी के कब्जे की वसूली के लिए एक एप्लिकेशन देना होगा।

 साल 2021 जून में मॉडल टेनेंसी एक्ट, लागू किया गया। इसकी कुछ जरूरी बातें आप भी जान लें…

मकान मालिक और किराएदार के बीच एक रिर्टन यानी लिखित रेंट एग्रीमेंट होना जरूरी है।
इस एग्रीमेंट में किराएदार कब तक रहेगा, कितना किराया देगा, डिपोजिट की रकम कितनी होगी, इन सारी चीजों की जानकारी होगी। एग्रीमेंट रिन्यू किया जाएगा, तो कितने पर्सेंट पैसे बढेंगे इसका भी जिक्र रहेगा।
इसके साथ घर या फ्लैट में रहने की सारी शर्तें लिखी होनी चाहिए।
मॉडल टेनेंसी एक्ट के सेक्शन-5 के अनुसार रेंट एग्रीमेंट एक तय समय तक ही लीगल होगा।
एग्रीमेंट की तारीख खत्म होने के बाद अगर मकान मालिक दोबारा उसी किराएदार को रखना चाहता है, तो उसे दूसरा यानी नया एग्रीमेंट बनाना होगा।
अगर एग्रीमेंट की तारीख खत्म हो जाती है और एग्रीमेंट रिन्यू नहीं होता, तो ऐसे में किरायेदार को घर खाली करना होगा।
अगर किराएदार घर खाली करने में असमर्थ है यानी किसी कारण से घर खाली नहीं कर पाया है, तो उसे मकान मालिक को बढ़ा हुआ किराया देना होगा।

सवाल- किराएदार रेंट के घर में कोई गैरकानूनी काम कर रहा है या नहीं, इस बात का पता मकान मालिक को कैसे चलेगा यानी उसे इसके लिए क्या करना चाहिए? जवाब- किराए पर घर देते समय इन बातों का ख्याल रखें-

11 महीने का रेंट एग्रीमेंट

रेंट एग्रीमेंट 11 महीने के लिए कराना जरूरी है।
उसे notarize यानी रजिस्टार के पास जाकर रजिस्ट्री कराना जरूरी है।
किराएदार 11 महीने के बाद घर या दुकान खाली करने से मना कर देता है, तो आप कोर्ट में इस रेंट एग्रीमेंट को दिखा सकते हैं।
अगर मकान मालिक पुराने किराएदार को 11 महीने के बाद भी रखना चाहता है तो उसे हर साल रेंट एग्रीमेंट को रिन्यू करवाना होगा।
किराएदार का पुलिस वेरिफिकेशन

प्रॉपर्टी किराए में देने से पहले पुलिस वेरिफकेशन जरूरी है।
व्यक्तिगत रूप से मकान मालिक को यह काम कराना चाहिए।
पुलिस के पास एक रेंटर यानी किरायेदार वेरिफिकेशन फॉर्म होता है।
इसे भरने के लिए किराएदार की फोटो, आधार कार्ड की कॉपी सब जमा करना होगा।
किराएदार का कोई आपराधिक रिकॉर्ड होगा तो पुलिस वेरिफिकेशन से इसका पता चल जाएगा।
पिछले मकान मालिक से पूछताछ

जब भी आप अपना मकान या दुकान किसी किराएदार को दे तो अगर संभव है तो किराएदार के पिछले मालिक से उसका रिकॉर्ड जरूर चेक करें।
इससे उसके व्यवहार के साथ यह पता चल जाएगा कि वह समय पर किराया देता है या नहीं।
किराये पर घर देने के बाद मकान मालिक को इन बातों का ख्याल रखना चाहिए-

महीने में एक बार अपने रेंट वाले मकान या दुकान में जाकर वहां की स्थिति देखनी चाहिए।
किराएदार को कोई दिक्कत है या नहीं, वो मकान खाली तो नहीं कर रहा, ऐसे नॉर्मल टॉपिक में बीच-बीच में चर्चा कर लेनी चाहिए।
आसपास के लोगों से अपने रेंट वाले मकान या दुकान में होने वाली एक्टिविटी का पता लगाने की कोशिश करनी चाहिए।
चलते-चलते मकान मालिक के पास ये 5 कानूनी अधिकार हैं

एडवोकेट शशि किरण के अनुसार…

मकान मालिक को किराएदार से रेगुलर किराया लेने का अधिकार है।
किराएदार घर को गंदा रखे या नुकसान पहुंचाए, तो उसे टोक सकता है।
घर खाली करने से पहले किराएदार को 1 महीने पहले नोटिस देना होगा।
बिना पूछे घर में कोई कंस्ट्रक्शन किराएदार करवाए, तो उसे मना कर सकता है।
किराएदार बिना बताए दूसरे व्यक्ति को घर में लाकर रखे, तो उसे रोक सकता है।
ऐसा नहीं है कि सिर्फ मकान मालिक के पास ही कानूनी अधिकार हैं। किराएदार के पास भी ये अधिकार मौजूद है…

 

  1. Model Tenancy Act के तहत रेंट एग्रीमेंट में लिखी समय सीमा से पहले किराएदार को तब तक नहीं निकाला जा सकता, जब तक उसने लगातार दो महीनों तक किराया न दिया हो या वह प्रॉपर्टी का गलत इस्तेमाल कर रहा हो।
  2. रेसिडेंशियल बिल्डिंग के लिए सिक्योरिटी अधिकतम 2 महीने का किराया हो सकता है। नॉन रेसिडेंशियल जगहों के लिए अधिकतम 6 महीने का किराया।
  3. किरायेदार को हर महीने किराया देने पर रसीद लेने का अधिकार है। अगर मकान मालिक समय से पहले किराएदार को निकालता है। तो कोर्ट में रसीद को सबूत के तौर पर दिखाया जा सकता है।
  4. किराएदार को हर हालत में बिजली और पानी लेने का अधिकार है। कानून के मुताबिक, बिजली और पानी किसी भी व्यक्ति के लिए मूलभूत जरूरत होती है।
  5. घर या मकान खाली करवाने की सही वजह जानने का उसे हक है।
  6. अगर मकान मालिक रेंट एग्रीमेंट में तय की गई शर्तों के अलावा कोई और शर्त उसपर थोपता है या अचानक किराया बढ़ा देता है। तो वो कोर्ट में याचिका दे सकता है।
  7. अगर किराएदार घर में नहीं है तो मकान मालिक उसके घर का ताला नहीं तोड़ सकता है। न ही सामान को बाहर फेंक सकता है। ऐसा करने पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
  8. मकान मालिक बिना बताए किराएदार के घर पर आ नहीं सकता।
  9. उसके किसी सामान की जांच पड़ताल नहीं कर सकता।
  10. किराएदार और परिवार के लोगों पर हर वक्त नजर नहीं रख सकता।