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Delhi Crime: राजधानी मे भरोसे का कत्ल, 24 साल नौकरी, फिर हैवानियत, जुर्म की भयानक कहानी

Delhi Crime: डॉ. पॉल और उनके परिवार ने शायद इसलिए कभी नहीं सोचा कि बसंती की पुलिस जांच की जरूरत है। डॉक्टर ने अपनी जान खो दी क्योंकि वह एक गलती कर चुका था।
 
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Delhi Crime News: वह चार दशक से परिवार के साथ थी, हर समय। उसने बच्चों का विकास देखा। वह परिवार की हर खुशी और दुःख में शामिल थी। 63 वर्षीय हाउस हेल्पर बसंती एक बेहतरीन नौकरानी थी, जिस पर पूरी तरह भरोसा किया जा सकता था। वह 2000 के शुरू से डॉ. योगेश चंद्र पॉल के घर पर काम करती आई। 2008 से बसंती (Basanti) इमारत की दूसरी मंजिल पर रहने वाले पॉल के पड़ोसियों से काम करती थी। डॉ. पॉल (Dr. Paul) और उनके परिवार ने शायद इसलिए कभी नहीं सोचा कि बसंती की पुलिस जांच की जरूरत है। डॉक्टर ने अपनी जान खो दी क्योंकि वह एक गलती कर चुका था।

दुखड़ा सुनकर ली थी डॉ. पॉल से नौकरी (Delhi Doctor murder case)
मूलतः नेपाल की रहने वाली बसंती को डॉ. पॉल ने तब आसरा दिया था जब उसकी जिंदगी नरक बन चुकी थी। उसने पॉल के पास अपने शराबी पति की करतूतों का दुखड़ा रोया। उसने बताया था कि पति अक्सर पैसों के लिए उससे झगड़ा करता है। उसका एक बेटा और दो बेटियां हैं। परिवार जंगपुरा एक्सटेंशन के पास एक छोटे से किराए के मकान में रहता था। डॉ. पॉल और उनके पड़ोसी ने बसंती को न सिर्फ काम पर रखा बल्कि यह भी तय किया कि उसे कभी पैसों की तंगी नहीं हो। लेकिन वो कहते हैं ना कि संकट में तो छोटी सी मदद भी बड़ा वरदान जान पड़ती है, लेकिन राहत स्थायी होते ही लालच हावी होने लगता है, सपने बड़े होने लगते हैं। रोजमर्रा की जिंदगी में तमाम मुश्किलों का सामना कर रही बसंती की तरफ जिन डॉक्टर पॉल ने मदद का हाथ बढ़ाया, जीवन संवरा तो लालच में उन्हीं के साथ हैवानियत कर बैठी।

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जिसने जिंदगी दी, उसी की जिंदगी छीन ली!
सोचिए, जिस डॉक्टर ने शराबी पति की दी नरक की जिंदगी में बहार लाई, बसंती ने उसी की जिंदगी खत्म कर डाली, वो भी बेहद दर्दनाक तरीके से। पुलिस ने बताया कि बसंती के कहने पर उसके सहयोगियों ने डॉक्टर के गले में कुत्ते का पट्टा डालकर चेहरे पर कपड़ा बांध दिया। फिर उसके सिर पर वार किए। जांच में पता चला कि बेरहम लोगों ने डॉक्टर की गला घोंटकर हत्या कर दी।

पेशेवर क्रिमिनल की तरह किया सबकुछ
बसंती के शातिरपने का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उसने पुलिस के सामने खुद को टेक्नॉलजी के मामले में बिल्कुल नासमझ बताया, लेकिन सच्चाई यह है कि फेसबुक मेसेंजर जैसे ऐप का इस्तेमाल उसके लिए बच्चों का खेल है। जब वह काम पर आती थी, तो वह और उसकी दोस्त वर्षा अपने सहयोगियों को घर का लेआउट दिखाने के लिए वीडियो कॉल करती थीं। गिरोह ने डॉक्टर की रूटीन की गहराई से छानबीन की। वो अपने घर और क्लिनिक एक रास्ते से ही आया-जाया करते थे। फिटनेस के प्रति सजग होने के कारण डॉक्टर यह दूरी पैदल ही तय किया करते थे। उन्हें इसमें 20 मिनट लगते थे। उनके साथ उनका कुत्ता होता था। यह बसंती और उसकी टीम के लिए बड़ा चैलेंज था। आखिर कुत्ते को काबू में कैसे किया जाए? डॉक्टर पर हर वक्त नजर रखने में मदद के लिए वर्षा को काम पर लगाया गया।

भरपूर नजर, फिर कर दिया कांड
बसंती और वर्षा की टीम ने एक पखवाड़े में कम से कम छह बार डॉक्टर की पूरी रेकी की। इस टीम ने बिल्डिंग में एक और फ्लैट की भी छानबीन की, जहां बसंती काम करती थी। शायद यही प्लान बी था। बसंती के बेटे ने दूसरे घर में चोरी भी की तो मां के 'अच्छे आचरण' के कारण ही परिवार ने शिकायत दर्ज नहीं कराई। डॉक्टर दोपहर के वक्त घर पर अकेले होते थे। उस वक्त बसंती और वर्षा को उनकी देखभाल करने की जरूरत होती थी। बसंती ने पुलिस के सामने माना कि डॉक्टर दयालु थे और अक्सर गरीबों का मुफ्त में इलाज कर दिया करते थे। बसंती को यहीं मौका मिल गया। उसने अपने सहयोगियों से कहा कि वो मरीज बनकर डॉक्टर के घर आ जाएं।

पाप छुपाए नहीं छिपता!
पूरे मामले में बसंती ने बेहद शातिर अपराधी की भूमिका निभाई। उसके पास एक बहाना भी था। जब डॉक्टर के साथ हैवानियत हो रही थी तब वह घर पर मौजूद नहीं थी। लेकिन कहते हैं ना, लाख चालाकी कर लो, पाप का पता चल तो जाता ही है। डॉक्टर पॉल के मर्डर के दिन बसंती दूसरे घर में काम करने एक घंटा पहले पहुंच गई थी। उस घर के मालिक ने हमारे सहयोगी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया (TOI) को बताया, 'हमेशा की तरह दोपहर 1:30 बजे के बजाय वह दोपहर 12:30 बजे आई। जब उससे पूछा गया तो उसने कहा कि उसे कुछ काम था।'

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पुलिस को ऐसे लगी भनक
पुलिस ने जब बसंती को पूछताछ के लिए बुलाया, उस वक्त तक उस पर कोई संदेह नहीं था। एक तो 63 साल की उम्र, ऊपर से 24 साल से डॉक्टर के लिए काम, भला किसी को संदेह हो भी तो कैसे? घटना की जांच करने वाली पुलिस टीम के एक सदस्य ने कहा, 'जब बसंती को डॉक्टर पॉल की हत्या की खबर दी गई तो उसने ऐसा जताया जैसे उसे बहुत जोर का सदमा लगा हो और अंदर से टूट गई हो। वह रोते-रोते डॉक्टर की तारीफों के पुल बांधने लगी और हत्यारों को कोसती रही।' लेकिन पूछताछ आगे बढ़ी तो कुछ सवालों के उसके विरोधाभासी जवाबों और सीसीटीवी फुटेज ने शक की सुई उसकी तरफ फेर दी। तकनीकी जांच हुई तो उसके झूठ से पर्दा उठने लगा और आरोपियों के साथ उसके कॉल डीटेल्स हाथ लग गए। फिर भरोसे के कत्ल और धोखे की खौफनाक कहानी सामने आई जो किसी के पांव तले जमीन खिसकाने के लिए काफी है।

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