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99% लोग नहीं जानते देश का पहला रेलवे स्टेशन कहां बना था, जानिए पूरी खबर

IRCTC: आज कानपुर स्टेशन कहलाता है, 1885 में पूरी तरह से बन गई। इस स्टेशन बहुत सुंदर था। इमारत की भव्यता को इसकी अद्वितीय डोम वास्तुकला और संरचना बढ़ाती है। 

 
IRCTC

Haryana Update: आपको बता दें, की भारतीय रेल देश का सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। रेलवे का इतिहास बहुत पुराना है। 100 साल पहले से ट्रेन चलाते रहे हैं। इसका गौरवशाली इतिहास है: 16 अप्रैल 1853 में भारत में रेल सेवा की शुरूआत हुई थी। देश की पहली ट्रेन मुंबई से थाणे के बीच चलाई गई। इसके बावजूद, कानपुर इस मामले में बहुत पीछे नहीं रहा। रेल लाइनों को बिछाने का कार्य कानपुर में भी ठीक तीन वर्षों बाद शुरू हुआ था। कानपुर भी उत्तर भारत का पहला रेलवे स्टेशन था।

जाने पहली ट्रेन का आगमन और उस समय की स्थिति. ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकारियों ने मुंबई में रेलवे के सफल संचालन के बाद उत्तर भारत में कानपुर चले गए। कानपुर छावनी होने के साथ-साथ औद्योगिक नगरी भी बन गया। काेयला को उद्योगों तक पहुंचाने और कारखानों और मिलों से उत्पादित सामान को दूसरे शहर में भेजने के लिए बड़े ट्रांसपोर्टेशन की आवश्यकता थी। 

यह देखते हुए, अंग्रेज अधिकारियों ने 1855 में प्रयागराज से कानपुर तक एक रेल लाइन बनाने का काम शुरू किया। 3 मार्च 1859 को पहली ट्रेन इलाहाबाद से पुराना कानपुर आई। ट्रेन की गति 10 km/h थी। रेलवे इतिहास में कानपुर के लिए यह दिन बहुत महत्वपूर्ण था। मालगाड़ी को देखने के लिए लोगों की भारी भीड़ रेलवे लाइन के किनारे जमा हो गई थी, जिसे तब अंग्रेज अफसरों को बहुत मुश्किल से नियंत्रित करना पड़ा। इसके बाद, ट्रेनों का संचालन यहीं से शुरू हुआ।
 
जानकारी के लिए, शुरूआती दौर मालगाड़ियों (early freight trains) का था, इसलिए काम छोटे स्टेशनों से ही चलता था। रेलवे स्टेशन के लिए भवन को बाद में मंजूरी दी गई, जब यात्री ट्रेनों का संचालन शुरू हुआ। 

इतिहासकार बताते हैं कि रेलवे स्टेशन की योजना 1883 में बनाई गई, लेकिन इमारत, जो आज कानपुर स्टेशन कहलाता है, 1885 में पूरी तरह से बन गई। इस स्टेशन बहुत सुंदर था। इमारत की भव्यता को इसकी अद्वितीय डोम वास्तुकला और संरचना बढ़ाती है। 

पुराने कानपुर स्टेशन ने 47 वर्षों तक मुख्य रेलवे स्टेशन का कार्य किया। सेंट्रल स्टेशन 1932 में खुलने के बाद पूरी तरह से बंद कर दिया गया। रेलवे अधिकारियों को प्रशिक्षित करने के लिए यह भवन वर्तमान में इस्तेमाल किया जाता है।

2002 में रेलवे ने इसे हेरिटेज बिल्डिंग घोषित किया। अब प्रशासन ने इस भवन को रेलवे संग्रहालय बनाने की इच्छा व्यक्त की है, जिसके बारे में रेलवे बोर्ड के अधिकारियों से चर्चा चल रही है।

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