RBI News : एक बैंक अकाउंट में रख सकते है सिर्फ इतना पैसा, जान लें नए नियम
RBI News : वास्तव में, बैंक में सभी पैसे सुरक्षित हैं? यह सवाल अक्सर कई लोगों के मन में आता है। क्या ग्राहक का पैसा वापस मिलेगा अगर बैंक डूब जाए या दिवालिया हो जाए? यदि आप भी इन प्रश्नों के उत्तर जानना चाहते हैं, तो इस लेख को जरूर पढ़ें..।
Feb 17, 2024, 12:26 IST
Haryana Update : लोग अपनी मेहनत की गाढ़ी कमाई को बैंक में सुरक्षित रखना चाहते हैं। लेकिन क्या आपका पूरा पैसा बैंक में सुरक्षित है? क्या ग्राहक का पैसा वापस मिलेगा अगर बैंक डूब जाए या दिवालिया हो जाए?
इसमें कोई उत्तर नहीं है। 5 लाख रुपये तक की ग्राहकों की जमा सिक्योर्ड होगी अगर बैंक डूब जाएगा। पहले एक लाख रुपये की सीमा थी। लेकिन 2020 के बजट में इसे 5 लाख रुपये कर दिया गया। यदि किसी ग्राहक ने इससे अधिक राशि को बैंक में जमा किया है, तो बैंक दिवालिया होने पर पांच लाख को छोड़कर बाकी सब जमा डूब जाएगा।
DICGC देता है 5 लाख रुपये तक की बैंक जमा पर बीमा कवरेज: डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी (DICGC) कॉरपोरेशन बैंक जमा पर बीमा कवरेज प्रदान करता है। भारतीय रिजर्व बैंक की पूरी तरह से स्वामित्व वाली अनुषंगी कंपनी DICGC है। DICGC सभी कमर्शियल और को-ऑपरेटिव बैंकों को बीमा प्रदान करता है। इस बीमे के तहत 5 लाख तक की बैंक जमा सुरक्षित है। चाहे उनकी ब्रांच भारत में हो या विदेश में, DICGC के कवरेज में सभी छोटे और बड़े कमर्शियल बैंक और कोऑपरेटिव बैंक कवर्ड हैं।
DICGC इंश्योर्ड बैंकों को पंजीकृत करता है और उन्हें प्रिंटेड लीफलेट्स देता है। इससे पता चलता है कि DICGC ने इसे इंश्योर्ड किया है। आप शाखा अधिकारी से पूछ सकते हैं कि आपका बैंक DICGC के इंश्योरेंस कवरेज के तहत आता है या नहीं।
अगर एक ग्राहक के पास एक ही बैंक में कई खाते हैं, तो 5 लाख रुपये तक की इंश्योरेंस कवरेज की नई सीमा एक ग्राहक के बैंक में मौजूद सभी जमाओं, जैसे बचत खाता, एफडी, आरडी आदि को शामिल करता है। इसका अर्थ है कि अगर किसी ग्राहक ने एक ही बैंक ब्रांच में कई खातों में पैसा जमा कर रखा है, तो उन सभी खातों को मिलाकर 5 लाख रुपये तक की रकम सुरक्षित रहने की गारंटी है। इस राशि में मूलधन और ब्याज दोनों शामिल हैं।
क्या कवर डिपॉजिट हैं?
हर तरह का बैंक जमा, चाहे फिक्स्ड, करंट, रेकरिंग या अन्य
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अंतरबैंक निवेश
केंद्रीय या राज्य सरकार की धनराशि
राज्य भू-विकास बैंक में जमा
रिजर्व बैंक की अनुमति से कोई डिपॉजिट
भारत से बाहर कोई निवेश
अगर एक ग्राहक की एक ही बैंक की सभी शाखाओं में मौजूद सभी एकल खाता जमाओं (जैसे बचत खाता, एफडी, आरडी) को मिलाकर अकाउंट कवरेज के लिए 5 लाख रुपये की सीमा है, तो लेकिन एक व्यक्ति के एक ही बैंक में सिंगल और जॉइंट दोनों अकाउंट हैं, तो उनके पास 5 से 5 लाख रुपये तक की धनराशि होगी। इसका परिणाम यह है कि रिजर्व बैंक ने एकल और संयुक्त अकाउंटों को अलग-अलग इकाइयों माना है।
अगर नाबालिग का खाता है-
माइनर खाता को अलग खाता माना जाएगा अगर कोई वयस्क, कानूनी अभिभावक 18 साल से कम उम्र के बच्चे का खाता चलाता है। ऐसे में उसके पास 5 लाख रुपये से अधिक की निश्चित जमा होगी। लेकिन एक ही नाबालिग के नाम पर एक से अधिक खाते एक ही बैंक में होने पर पांच लाख रुपये की सीमा लागू होगी।
ग्राहकों को फंसे हुए पैसों का भुगतान अब 90 दिन के अंदर किया जा सकता है
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जुलाई 2021 में DICGC Act में संशोधन को मंजूरी दी, जो वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2021 में प्रस्तावित किया था। जमा बीमा और क्रेडिट गारंटी निगम (संशोधन) विधेयक 2021 भी अक्टूबर में संसद से पारित हुआ। सितंबर 2021 से यह कानून लागू हो गया है। संशोधन के बाद, बैंक डूबने या संकटग्रस्त होने पर डिपॉजिटर्स को 90 दिन के अंदर पांच लाख रुपये तक की धनराशि मिलेगी। RBI के मोरेटोरियम या प्रतिबंधित बैंकों के ग्राहक भी इसके दायरे में आ जाएंगे। पहले इस प्रक्रिया को पूरा करने में दो से तीन साल तक भी लग जाते थे, जिससे बैंकों में संकटग्रस्त ग्राहकों की जमापूंजी लंबे समय तक फंस जाती थी।
इसमें कोई उत्तर नहीं है। 5 लाख रुपये तक की ग्राहकों की जमा सिक्योर्ड होगी अगर बैंक डूब जाएगा। पहले एक लाख रुपये की सीमा थी। लेकिन 2020 के बजट में इसे 5 लाख रुपये कर दिया गया। यदि किसी ग्राहक ने इससे अधिक राशि को बैंक में जमा किया है, तो बैंक दिवालिया होने पर पांच लाख को छोड़कर बाकी सब जमा डूब जाएगा।
DICGC देता है 5 लाख रुपये तक की बैंक जमा पर बीमा कवरेज: डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी (DICGC) कॉरपोरेशन बैंक जमा पर बीमा कवरेज प्रदान करता है। भारतीय रिजर्व बैंक की पूरी तरह से स्वामित्व वाली अनुषंगी कंपनी DICGC है। DICGC सभी कमर्शियल और को-ऑपरेटिव बैंकों को बीमा प्रदान करता है। इस बीमे के तहत 5 लाख तक की बैंक जमा सुरक्षित है। चाहे उनकी ब्रांच भारत में हो या विदेश में, DICGC के कवरेज में सभी छोटे और बड़े कमर्शियल बैंक और कोऑपरेटिव बैंक कवर्ड हैं।
DICGC इंश्योर्ड बैंकों को पंजीकृत करता है और उन्हें प्रिंटेड लीफलेट्स देता है। इससे पता चलता है कि DICGC ने इसे इंश्योर्ड किया है। आप शाखा अधिकारी से पूछ सकते हैं कि आपका बैंक DICGC के इंश्योरेंस कवरेज के तहत आता है या नहीं।
अगर एक ग्राहक के पास एक ही बैंक में कई खाते हैं, तो 5 लाख रुपये तक की इंश्योरेंस कवरेज की नई सीमा एक ग्राहक के बैंक में मौजूद सभी जमाओं, जैसे बचत खाता, एफडी, आरडी आदि को शामिल करता है। इसका अर्थ है कि अगर किसी ग्राहक ने एक ही बैंक ब्रांच में कई खातों में पैसा जमा कर रखा है, तो उन सभी खातों को मिलाकर 5 लाख रुपये तक की रकम सुरक्षित रहने की गारंटी है। इस राशि में मूलधन और ब्याज दोनों शामिल हैं।
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केंद्रीय या राज्य सरकार की धनराशि
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अगर एक ग्राहक की एक ही बैंक की सभी शाखाओं में मौजूद सभी एकल खाता जमाओं (जैसे बचत खाता, एफडी, आरडी) को मिलाकर अकाउंट कवरेज के लिए 5 लाख रुपये की सीमा है, तो लेकिन एक व्यक्ति के एक ही बैंक में सिंगल और जॉइंट दोनों अकाउंट हैं, तो उनके पास 5 से 5 लाख रुपये तक की धनराशि होगी। इसका परिणाम यह है कि रिजर्व बैंक ने एकल और संयुक्त अकाउंटों को अलग-अलग इकाइयों माना है।
अगर नाबालिग का खाता है-
माइनर खाता को अलग खाता माना जाएगा अगर कोई वयस्क, कानूनी अभिभावक 18 साल से कम उम्र के बच्चे का खाता चलाता है। ऐसे में उसके पास 5 लाख रुपये से अधिक की निश्चित जमा होगी। लेकिन एक ही नाबालिग के नाम पर एक से अधिक खाते एक ही बैंक में होने पर पांच लाख रुपये की सीमा लागू होगी।
ग्राहकों को फंसे हुए पैसों का भुगतान अब 90 दिन के अंदर किया जा सकता है
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जुलाई 2021 में DICGC Act में संशोधन को मंजूरी दी, जो वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2021 में प्रस्तावित किया था। जमा बीमा और क्रेडिट गारंटी निगम (संशोधन) विधेयक 2021 भी अक्टूबर में संसद से पारित हुआ। सितंबर 2021 से यह कानून लागू हो गया है। संशोधन के बाद, बैंक डूबने या संकटग्रस्त होने पर डिपॉजिटर्स को 90 दिन के अंदर पांच लाख रुपये तक की धनराशि मिलेगी। RBI के मोरेटोरियम या प्रतिबंधित बैंकों के ग्राहक भी इसके दायरे में आ जाएंगे। पहले इस प्रक्रिया को पूरा करने में दो से तीन साल तक भी लग जाते थे, जिससे बैंकों में संकटग्रस्त ग्राहकों की जमापूंजी लंबे समय तक फंस जाती थी।