Property Rules : बीवी के नाम खरीदी गई जमीन का मालिक होगा ये, कोर्ट ने सुनाया फ़ाइनल फैसला 

Property Rights : अक्सर संपत्ति में मालिकाना हक और बंटवारे को लेकर विवाद होते रहते हैं। यह आम है कि लोग अपने पैसे से परिवार के किसी सदस्य या अपनी पत्नी के नाम पर संपत्ति खरीदते हैं। अब सवाल उठता है कि पत्नी के नाम पर खरीदी गई संपत्ति का स्वामित्व किसे मिलेगा। हाईकोर्ट ने इस मामले में एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया है। आप जानते हैं

 

Haryana Update : हाई कोर्ट ने कहा कि एक व्यक्ति को कानूनन अधिकार है कि वह अपनी पत्नी के नाम पर अचल संपत्ति खरीदने के लिए अपनी आय के ज्ञात स्रोतों का उपयोग कर सके। इस तरह खरीदी गई संपत्ति बेनामी नहीं हो सकती। हाई कोर्ट ने कहा कि ऐसी संपत्ति का मालिक वही कहलाएगा, जिसने उसे अपनी आय के ज्ञात स्रोतों से खरीदा, न कि जिसके नाम पर यह खरीदा गया था।

जस्टिस वाल्मीकि जे. मेहता की बेंच ने एक व्यक्ति की अपील को मंजूर करते हुए यह टिप्पणी की और ट्रायल कोर्ट के निर्णय को खारिज कर दिया जो उसे अपनी पत्नी के नाम पर खरीदी गई दो संपत्तियों पर हक जताने का अधिकार छीन दिया था। उस व्यक्ति ने मांग की कि उसे इन दो संपत्तियों का मालिकाना हक दिया जाए, जो उसने अपने पैसे से खरीदी थीं। इनमें से एक न्यू मोती नगर में बताया गया था, जबकि दूसरा गुड़गांव के सेक्टर-56 में बताया गया था।


याचिकाकर्ता ने दावा किया कि वह नहीं, बल्कि उनकी पत्नी है, जिसके नाम पर उसने इन दो संपत्तियों को खरीदा था। लेकिन याचिकाकर्ता के इस अधिकार को ट्रायल कोर्ट ने बेनामी ट्रांजैक्शन (प्रोहिबिशन) ऐक्ट, 1988 के प्रावधान के तहत जब्त कर लिया, जिसके तहत संपत्ति रिकवर करने का अधिकार प्रतिबंधित है। हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के संबंधित आदेश को रद्द करते हुए कहा कि निचली अदालत ने पहले ही इस व्यक्ति की याचिका को ठुकरा दिया, जो एक गलती थी। क्योंकि प्रोहिबिशन ऑफ बेनामी प्रॉपर्टी ट्रांजैक्शन ऐक्ट, 1988 की संशोधन के साथ संबंधित अधिनियम पारित किया गया था।

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कोर्ट ने कहा कि इस संशोधित अधिनियम में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि बेनामी लेनदेन क्या हैं और क्या बेनामी नहीं हैं। हाई कोर्ट ने कहा कि मौजूदा मामले में पत्नी के नाम पर संपत्ति होना इस कानून के तहत दिए गए अपवाद में आता है। कारण यह है कि एक व्यक्ति को कानूनन यह अधिकार है कि वह अपने स्पाउज के नाम पर अचल संपत्ति खरीद सके, जो संपत्ति बेनामी नहीं है, बल्कि मालिक (यानी पति या याचिकाकर्ता) की है, न कि पत्नी जिसके नाम पर संपत्ति खरीदी गई है। इसलिए, ट्रायल कोर्ट का संबंधित आदेश गैरकानूनी है।

हाई कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता को संशोधित कानून के तहत छूट मिलने का अधिकार है या नहीं, यह ट्रायल से ही निर्धारित होगा. मामले को दोबारा विचार के लिए ट्रायल कोर्ट के पास भेजा गया। ऐसे मामले को शुरूआत में ही खारिज नहीं किया जा सकता।