Hi-Tech Railway Station: हरियाणा के स्टेशन बनेगे और सुविधाजनक, मिलेंगी ये सुविधाए
अंबाला में एलईडी लगाने का काम जारी
कंपनी प्रतिनिधियों के अनुसार, अंबाला के प्लेटफार्म नंबर एक पर एलईडी स्क्रीन लगाई जा चुकी हैं। रेलवे ने अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए स्टेशनों पर विज्ञापन प्रसारित करने की योजना बनाई है। इस योजना के तहत अंबाला में 60, चंडीगढ़ में 129 और शिमला में 6 एलईडी स्क्रीन लगाई जाएंगी। इन स्क्रीन पर आधे समय रेलवे की जानकारियां, जैसे ट्रेन का टाइम टेबल आदि दिखाया जाएगा, जबकि आधे समय में विज्ञापन प्रसारित किए जाएंगे। इससे रेलवे को अतिरिक्त आय होगी, वहीं व्यवसायियों को अपने उत्पादों और सेवाओं का प्रचार करने का बढ़िया मौका मिलेगा।
रेलवे स्टेशनों को हाईटेक बनाने की योजना
रेलवे स्टेशनों को आधुनिक सुविधाओं से लैस करने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। यात्रियों को स्टेशन पर उपयोगी जानकारी मिलेगी, वहीं विज्ञापनों से उन्हें नए ऑफर्स और सेवाओं की भी जानकारी मिलेगी। फिलहाल, अंबाला कैंट रेलवे स्टेशन पर एलईडी लगाने का काम चल रहा है, और जल्द ही अन्य स्टेशनों पर भी इसे शुरू किया जाएगा।
हाइड्रोजन रेल परियोजना की दिशा में बड़ा कदम
रेलवे देश में हाइड्रोजन ट्रेनें शुरू करने की दिशा में तेजी से काम कर रहा है। इसके तहत डीजल इलेक्ट्रिकल मल्टीपल यूनिट (डीईएमयू) ट्रेनों को ग्रीन हाइड्रोजन ट्रेनों से बदला जाएगा। हरियाणा के जींद में 61 करोड़ रुपये की लागत से एक हाइड्रोजन जनरेशन एंड प्लांट तैयार किया जा रहा है, जिसे दिसंबर 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य है। जनवरी 2024 से जींद से सोनीपत के बीच चल रही डीईएमयू ट्रेन की जगह हाइड्रोजन ट्रेन दौड़ने लगेगी।
दिल्ली में हाइड्रोजन इंजन का निर्माण
दिल्ली के शकूरबस्ती में 25-25 करोड़ रुपये की लागत से दो हाइड्रोजन इंजन तैयार किए जा रहे हैं। इस परियोजना से रेलवे का खर्चा बचेगा और प्रदूषण भी कम होगा। पहली हाइड्रोजन ट्रेन दस डिब्बों की होगी, और इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि यह धुआं नहीं छोड़ेगी। पायलट प्रोजेक्ट के तहत 89 किलोमीटर की दूरी तय की जाएगी, और मौजूदा डीईएमयू ट्रेनों के डिब्बों को मॉडिफाई करके हाइड्रोजन इंजन से जोड़ा जाएगा।
डीईएमयू ट्रेनों को हटाने की योजना
परियोजना के तहत डीईएमयू ट्रेनों के मौजूदा डिब्बों में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा, बल्कि सिर्फ इंजन को बदला जाएगा। इसमें डीजल इंजन की जगह हाइड्रोजन इंजन लगाया जाएगा और अन्य तकनीकी उपकरणों, जैसे अल्टरनेटर, रेडिएटर, फ्यूल टैंक, पाइपिंग, वीसीयू, बैटरी और इनवर्टर को अपग्रेड किया जाएगा। इस ट्रेन को प्रारंभिक चरण में 360 किलोमीटर तक चलाया जाएगा, और यह 105 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ेगी।
कालका-शिमला ट्रैक पर हाइड्रोजन ट्रेन की तैयारी
यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर घोषित कालका-शिमला ट्रैक पर भी हाइड्रोजन ट्रेन चलाने की तैयारी जोरों पर है। दिसंबर 2023 तक इस रूट पर हाइड्रोजन ट्रेन शुरू करने की योजना है। इसके लिए कालका, बड़ोग और शिमला में तीन हाइड्रोजन जनरेशन और स्टोरेज प्लांट लगाए जाएंगे, जो इस ट्रेन को हाइड्रोजन की आपूर्ति करेंगे। इस परियोजना के सफल होने पर भारत में रेल यात्रा को अधिक पर्यावरण अनुकूल और आधुनिक बनाया जा सकेगा।