Haryana : कच्चे कर्मचारियों को 6 महीने में पक्का करने का आदेश, कर्मचारियों में खुशी की लहर!

Haryana : हरियाणा सरकार ने कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने का बड़ा आदेश दिया है। अब 6 महीने के अंदर कच्चे कर्मचारियों को स्थायी किया जाएगा, जिससे कर्मचारियों में खुशी की लहर दौड़ गई है। इस कदम से कर्मचारियों को स्थिरता मिलेगी और उनका मानसिक तनाव भी कम होगा। सरकार का यह फैसला कर्मचारियों के हित में साबित होगा और उनके कार्य में उत्साह का संचार करेगा।
 
 
Haryana update : हरियाणा में वर्षों से नियमितीकरण का इंतजार कर रहे कच्चे कर्मचारियों के लिए एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने कर्मचारियों के नियमितीकरण के संबंध में एक अहम फैसला लिया है। जस्टिस जगमोहन बंसल की अध्यक्षता वाली पीठ ने विभिन्न नीतियों के तहत दाखिल याचिकाओं का निपटारा करते हुए साफ किया कि 1996 की नीति के तहत पात्र कर्मचारियों को रेगुलर किया जाएगा।

2003 और 2011 की नीतियों के तहत नियमितीकरण

हाईकोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि 2003 और 2011 की नीतियों के तहत योग्य पाए जाने वाले कर्मचारियों को छह महीने के भीतर रेगुलर किया जाना चाहिए। अगर कोई कर्मचारी इन नीतियों के अनुसार अयोग्य पाया जाता है, तो उसे कोर्ट में याचिका दायर करने की तारीख से बकाया वेतन मिलेगा, लेकिन इसमें कोई ब्याज नहीं जोड़ा जाएगा।

रिटायर्ड कर्मचारियों को भी मिलेगा लाभ

कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि जो कर्मचारी पहले ही रिटायर हो चुके हैं, उनकी पेंशन और अन्य वित्तीय लाभों को पुनर्निर्धारित किया जाएगा। यह फैसला उन कर्मचारियों के लिए राहत की खबर है, जो वर्षों से अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे थे। सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि सभी योग्य कर्मचारियों को समय पर उनका लाभ दिया जाए।

किसे नहीं मिलेगा फायदा?

हाईकोर्ट ने साफ कर दिया कि 2014 में नियुक्त किए गए कर्मचारियों को पूर्व की किसी भी नीति के तहत कोई फायदा नहीं मिलेगा। यदि श्रमिक 2003 और 2011 की नीति के तहत पात्र नहीं हैं, तो उनके मामलों पर 2024 में लागू किए गए नए अधिनियम के तहत विचार किया जाएगा। इसके अलावा, 2014 की नीति की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा अंतिम फैसला आने के बाद ही इन कर्मचारियों के दावों पर पुनर्विचार किया जाएगा।

2014 की अधिसूचना पर हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी

हाईकोर्ट ने 2014 की अधिसूचना पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि यह सुप्रीम कोर्ट के 2006 के उमा देवी फैसले के खिलाफ है। कोर्ट ने कहा कि सरकार ने 2007 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए 2011 की नीति लागू की थी, लेकिन 2014 की अधिसूचना बिना किसी ठोस आधार के जारी कर दी गई। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि सरकार योग्य कर्मचारियों के मामलों को जल्द से जल्द हल करे।

सरकार को जांच करने के निर्देश

कोर्ट ने कहा कि सरकार को उन सभी कर्मचारियों की स्थिति की जांच करनी होगी, जो 2014 की अधिसूचना और पहले की नीतियों के तहत नियमितीकरण के पात्र हो सकते हैं। सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी कर्मचारी को बिना कारण उसके अधिकार से वंचित ना किया जाए।

क्या लाभ मिलेगा कर्मचारियों को?

  • 1996 की नीति के तहत पात्र कर्मचारियों को रेगुलर किया जाएगा।
  • 2003 और 2011 की नीतियों के तहत योग्य पाए जाने वाले कर्मचारियों को छह महीने के भीतर पक्का किया जाएगा।
  • यदि कोई कर्मचारी अयोग्य पाया जाता है, तो उसे कोर्ट में याचिका दायर करने की तारीख से बकाया वेतन मिलेगा (ब्याज के बिना)।
  • सेवानिवृत्त कर्मचारियों को उनकी पेंशन और अन्य वित्तीय लाभ दिए जाएंगे।
  • 2014 की नीति के तहत नियुक्त कर्मचारियों को तब तक कोई लाभ नहीं मिलेगा, जब तक सुप्रीम कोर्ट इस पर कोई फैसला नहीं देता।
  • सरकार को उन सभी कर्मचारियों की समीक्षा करनी होगी जो 2014 की अधिसूचना और पहले की नीतियों के तहत नियमितीकरण के पात्र हो सकते हैं।

कर्मचारियों के लिए क्या करना होगा?

यदि आप हरियाणा के किसी विभाग में कान्ट्रैक्ट या कच्चे कर्मचारी हैं और इस फैसले से प्रभावित होते हैं, तो आपको ये कदम उठाने चाहिए:

  • अपने विभाग के अधिकारियों से संपर्क करें और अपनी स्थिति की जानकारी लें।
  • यदि आपके नियमितीकरण में देरी हो रही है, तो संबंधित जिला अधिकारी या उच्च अधिकारियों से लिखित में शिकायत करें।
  • अगर आपका मामला अनदेखा किया जा रहा है, तो आप हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सकते हैं।
  • अपने कानूनी अधिकारों के बारे में जागरूक रहें और अपने दस्तावेज़ अपडेट रखें।