Gratuity Guidelines: हर कर्मचारी को पता होना चाहिए ये ग्रेच्युटी के नियम
ग्रेच्युटी के हकदार कौन होते हैं?
ग्रेच्युटी पाने के लिए कर्मचारी को कम से कम 5 साल तक एक ही कंपनी में काम करना जरूरी होता है। हालांकि, अगर कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है या वह गंभीर शारीरिक अक्षमता का शिकार हो जाता है, तो यह नियम लागू नहीं होता और बिना 5 साल पूरे किए भी ग्रेच्युटी का फायदा मिलता है।
ग्रेच्युटी किसे मिलती है?
ग्रेच्युटी का लाभ उन कर्मचारियों को मिलता है जो फैक्ट्री, माइन, प्लांटेशन, दुकान या ऐसे संस्थानों में काम करते हैं, जहां कम से कम 10 लोग नौकरी करते हैं। यह बेनिफिट कर्मचारियों को रिटायरमेंट, इस्तीफे, नौकरी से निकाले जाने या उनकी मृत्यु या अशक्तता जैसी स्थितियों में मिलता है।
ग्रेच्युटी की गणना कैसे की जाती है?
ग्रेच्युटी की कैलकुलेशन कर्मचारी की अंतिम सैलरी और काम करने के सालों के आधार पर की जाती है। इसके लिए दो तरीके होते हैं – एक उन कर्मचारियों के लिए जो Gratuity Act के तहत आते हैं और दूसरा उन कर्मचारियों के लिए जो इस एक्ट के तहत कवर नहीं होते।
Gratuity Act के तहत आने वाले कर्मचारियों के लिए फॉर्मूला:
Gratuity = (Last Drawn Salary × 15 × Number of Years of Service) / 26
उदाहरण के तौर पर, यदि किसी कर्मचारी की अंतिम बेसिक सैलरी और डियरनेस अलाउंस मिलाकर 50,000 रुपए है और उसने 10 साल तक काम किया, तो:
(50,000 × 15 × 10) / 26 = 2,88,461.54 रुपए
Gratuity Act के तहत न आने वाले कर्मचारियों के लिए फॉर्मूला:
Gratuity = (Last Drawn Salary × 15 × Number of Years of Service) / 30
यहां 30 दिन लिए जाते हैं, जिससे ग्रेच्युटी की राशि कम हो जाती है।
क्या ग्रेच्युटी पर टैक्स देना पड़ता है?
ग्रेच्युटी पर टैक्स का नियम सरकारी और प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों के लिए अलग-अलग है। सरकारी कर्मचारियों को पूरी ग्रेच्युटी टैक्स फ्री मिलती है। वहीं, प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों के लिए Gratuity Act के तहत 20 लाख रुपए तक की ग्रेच्युटी टैक्स फ्री होती है। अगर कर्मचारी इस एक्ट के तहत कवर नहीं होते, तो उन्हें टैक्स छूट तीन शर्तों में से जो सबसे कम हो, उस पर मिलती है – (1) असल में मिली ग्रेच्युटी, (2) 20 लाख रुपए, या (3) तय कैलकुलेशन के हिसाब से निकाली गई ग्रेच्युटी।
ग्रेच्युटी से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
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यह रकम कर्मचारी की सैलरी से नहीं काटी जाती, बल्कि कंपनी इसे पूरी तरह से फंड करती है।
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5 साल की सर्विस में मैटरनिटी लीव और दूसरी पेड लीव भी काउंट की जाती है।
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कर्मचारी अपनी ग्रेच्युटी के लिए नॉमिनी बना सकता है, जिससे परिवार को यह रकम मिल सके।
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यदि कर्मचारी की मृत्यु या विकलांगता हो जाती है, तो ग्रेच्युटी तुरंत दे दी जाती है, भले ही उसने 5 साल की सर्विस पूरी न की हो।
अगर आप किसी कंपनी में लंबे समय तक काम कर रहे हैं, तो ग्रेच्युटी आपके रिटायरमेंट के बाद एक बड़े फाइनेंशियल सपोर्ट के रूप में काम आ सकती है। इसलिए यह जरूरी है कि आप इसके नियमों को समझें और इसका पूरा फायदा उठाएं।