बहू से घर का कम करवा सकते है या नहीं, कोर्ट ने किया बड़ा ऐलान
बॉम्बे हाई कोर्ट में एक याचिका दर्ज की गई थी जिसका उद्देश्य था कि बहू को शादी के बाद घर का काम देना चाहिए था। वास्तव में, महिला ने अपने पति और सास-ससुर पर कड़े आरोप लगाए थे। महिला कहती है कि शादी के एक महीने बाद वह नौकरानी बनने लगी। बॉम्बे हाई कोर्ट ने अब इस मामले पर महत्वपूर्ण निर्णय दिया है।
महाराष्ट्र में बॉम्बे हाई कोर्ट की औरंगाबाद पीठ ने हाल ही में एक केस की सुनवाई करते हुए कहा कि यदि एक विवाहित महिला को परिवार के लिए घर का काम करने को कहा जाए तो इसलिए इसे नौकरानी की तरह काम करना नहीं माना जाएगा और क्रूरता नहीं माना जाएगा। पति और ससुराल वालों के खिलाफ आईपीसी की धारा 498 ए के तहत दर्ज एफआईआर को हाई कोर्ट की खंडपीठ के जस्टिस विभा कंकनवाड़ी और जस्टिस राजेश एस पाटिल ने खारिज कर दिया।
दरअसल, महिला ने अपने अलग रह रहे पति और उसके माता-पिता पर घरेलू हिंसा और क्रूरता का मामला दर्ज कराया था, लेकिन हाई कोर्ट ने इस मामले को खारिज कर दिया। 21 अक्टूबर को जस्टिस विभा कांकनवाड़ी और जस्टिस राजेश पाटिल की खंडपीठ ने उसके खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर को रद्द कर दिया। महिला ने शिकायत में कहा कि विवाह के एक महीने बाद उससे अच्छा व्यवहार किया गया था, लेकिन फिर उससे घरेलू सहायिका की तरह व्यवहार किया गया।
महिला का आरोप: पति ने उसे पीटा
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उसने यह भी कहा कि शादी के एक महीने बाद उसके पति और सास-ससुर ने चार पहिया वाहन खरीदने के लिए चार लाख रुपये मांगना शुरू कर दिया, और उसने शिकायत में कहा कि इस मांग को लेकर उसके पति ने उसे मानसिक और शारीरिक रूप से पीटा। बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि महिला ने सिर्फ कहा कि उसे प्रताड़ित किया गया था, लेकिन अपनी शिकायत में इस तरह के किसी विशिष्ट कृत्य का उल्लेख नहीं किया।
कोर्ट ने कहा कि विवाहित महिला को परिवार के लिए काम करने के लिए कहा जाए तो इसकी तुलना घरेलू सहायिका के काम से नहीं की जा सकती। कोर्ट ने कहा कि पति-पत्नी बनने से पहले विवाह पर पुनर्विचार करने के लिए, अगर महिला को घर का काम करने में दिलचस्पी नहीं है, तो उसे विवाह से पहले बताना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि अगर एक महिला विवाह के बाद घर का काम नहीं करना चाहती है, तो ससुराल वालों को तुरंत समाधान निकालना चाहिए।