7th Pay Commission में बदलाव! अब केंद्रीय कर्मचारियों को नहीं मिलेगी पेंशन और ग्रेच्युटी

7th Pay Commission Update: केंद्रीय कर्मचारियों के लिए सरकार ने पेंशन और ग्रेच्युटी से जुड़ी बड़ी खबर दी है। अब 7वें वेतन आयोग के तहत इन कर्मचारियों को पेंशन और ग्रेच्युटी नहीं मिलेगी। सरकार ने नियमों में अहम बदलाव किए हैं, जिनका असर लाखों कर्मचारियों पर पड़ सकता है। जानिए पूरी जानकारी और इससे प्रभावित होने वाले कर्मचारी कौन होंगे।
 
Haryana update, 7th Pay Commission : सरकारी कर्मचारियों के लिए 7वें वेतन आयोग के तहत पेंशन और ग्रेच्यूटी में बदलाव से जुड़ी नई अधिसूचना ने कर्मचारियों को एक बड़ा झटका दे दिया है। सरकार ने नवंबर 2022 में एक अधिसूचना जारी कर यह चेतावनी दी है कि यदि कोई कर्मचारी अपने कार्यकाल के दौरान गंभीर लापरवाही या अपराध में दोषी पाया जाता है, तो सेवानिवृत्ति के बाद उसकी पेंशन और ग्रेच्यूटी रोक दी जाएगी।

मुख्य बिंदु:  7th Pay Commission

  • नियमों में 8 बदलाव:
    सेंट्रल सिविल सर्विसेज पेंशन नियम 2021 में किए गए 8 बदलावों के तहत, कर्मचारियों को कार्यस्थल पर किसी भी गंभीर गलती करने पर उनकी पेंशन और ग्रेच्यूटी रोकने का अधिकार संबंधित विभागों और नियुक्ति प्राधिकरणों को प्राप्त होगा।

  • अधिसूचना का उद्देश्य:  7th Pay Commission
    यह निर्देश कर्मचारियों को नियमों के पालन में संजीदा रहने की चेतावनी देता है, क्योंकि नौकरी के दौरान हुई लापरवाही से सेवानिवृत्ति के बाद आर्थिक सहायता पर भारी प्रभाव पड़ सकता है।

  • लागू करने का प्रावधान:  7th Pay Commission
    नियुक्ति से संबंधित अधिकारी – जैसे कि मंत्रालय के सचिव, अध्यक्ष और ऑडिट तथा अकाउंट विभाग – को यह अधिकार दिया गया है कि वे दोषी पाए जाने पर पेंशन और ग्रेच्यूटी रोकने का निर्णय ले सकते हैं। यदि सेवानिवृत्ति के बाद भी किसी कर्मचारी के खिलाफ चल रही जांच में दोष सिद्ध होता है, तो उसे दी गई राशि वसूल कर ली जाएगी।

  • अनुबंधित कर्मचारियों पर भी लागू: 7th Pay Commission
    आउटसोर्सिंग पॉलिसी पार्ट-1 के तहत काम करने वाले पांच साल पुराने अस्थायी कर्मचारियों पर भी यह नियम लागू होगा, जिससे उन्हें रिटायरमेंट तक नौकरी से बाहर नहीं निकाला जा सकेगा।

इस अधिसूचना का मुख्य उद्देश्य सरकारी कर्मचारियों में नियमों के प्रति जागरूकता बढ़ाना और समय रहते उचित कार्यवाही न करने पर आर्थिक दंड से बचाने का संदेश देना है।