Sirsa Play School: सिरसा में अब प्ले स्कूलों का कराना ही होगा रेजिस्ट्रेशन, ऑर्डर का उलंघन्न करने पर की जाएगी सख्त कार्यवाही

Sirsa Play School: राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है: सभी निजी प्ले स्कूलों को महिला एवं बाल विकास विभाग में पंजीकृत करना चाहिए। बच्चों की सुरक्षा और विकास की गारंटी देने के लिए यह निर्णय एक महत्वपूर्ण कदम है।

 

Sirsa Play School: राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है: सभी निजी प्ले स्कूलों को महिला एवं बाल विकास विभाग में पंजीकृत करना चाहिए। बच्चों की सुरक्षा और विकास की गारंटी देने के लिए यह निर्णय एक महत्वपूर्ण कदम है।

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रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता क्यों है?

हरियाणा के सिरसा जिले के कार्यक्रम अधिकारी डा. दर्शना सिंह ने कहा कि सभी निजी खेल स्कूलों का पंजीकरण अब अनिवार्य है। ऐसा बच्चों की सुरक्षा और उच्च स्तर की शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए किया गया है।

बाल विकास का आधार

छह वर्ष तक के बच्चों को खेल-खिलौनों से शिक्षा दी जाती है। उन्हें सही शारीरिक और मानसिक विकास मिलना इसका मुख्य लक्ष्य है। नई गाइडलाइन कहती है कि बच्चों की सुरक्षा और विकास पर पूरा फोकस होना चाहिए।

विद्यार्थी-शिक्षक अनुपात

नए दिशानिर्देशों के अनुसार, हर प्ले स्कूल कक्षा में विद्यार्थी-शिक्षक अनुपात 20:1 होना चाहिए। दूसरे शब्दों में, हर कक्षा में दो दर्जन बच्चों के लिए एक शिक्षक और एक सहायक की जरूरत होती है। ऐसा किया गया है ताकि विद्यार्थियों को निजी ध्यान और सहायता मिले।

सुरक्षित रहना महत्वपूर्ण है

ऐलनाबाद में खेल स्कूलों को निरीक्षण कमेटी ने देखा है। जिला बाल संरक्षण अधिकारी डा. गुरप्रीत कौर, संरक्षण अधिकारी; अंजना डूडी, बीईओ ऋषि कुमार और प्रधानाचार्य कृष्ण कुमार निरीक्षण टीम में शामिल थे।

प्ले स्कूल के सभी संचालकों को निरीक्षण के दौरान बच्चों की सुरक्षा को लेकर आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए। उन्हें पॉक्सो कानून की जानकारी दी गई और आपदा प्रबंधन और सुरक्षा के बारे में प्रशिक्षण मिला। निर्देशों का कड़ाई से पालन करने की सलाह दी जाती है।

निरीक्षण की शुरुआत

ऐसा ही होगा कि दूसरे प्ले स्कूलों का भी निरीक्षण किया जाएगा। विभाग गैर-मान्यता प्राप्त प्ले स्कूलों को नियंत्रित करेगा और जिले में मान्यता प्राप्त प्ले स्कूलों को भी देखेगा।

नवीन लक्ष्य

यह निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए एक नई प्रवृत्ति है। इससे उनकी सुरक्षा और शिक्षा में सुधार होगा।