Sirsa News: इस जिले ने बनाई राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रिय सत्र पर अपनी एक अलग पहचान, पूरे हुए 48 साल
Sirsa News: बधाई! आज हमारा सिरसा 48 वर्ष का हो गया है। सिरसा जिले के रूप में एक सितंबर 1975 को घोषित होने के बाद, इसने कई उतार चढ़ाव देखे हैं। सिरसा ने विकास के शिखरों को छूकर देश और दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई है। उसकी प्रतिभा ने बॉलीवुड, हॉलीवुड या खेल के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। सिरसा ने भी राजनीति में देश को उप प्रधानमंत्री और राज्य को मुख्यमंत्री पद दिया है।
Latest News: Fasal Bima Yojna: हरियाणा के इन जिलों की किसानों की हुई बल्ले-बल्ले, फसल बीमा योजना का आया ये बडा अपडेट
सिरसा को एक सितंबर 1975 को जिले का दर्जा मिला। हिसार से अलग, सिरसा अपनी क्षमताओं के कारण काफी सफल रहा है। इसलिए सिरसा आज देश भर में कई बार चर्चा में आया है। सिरसा, हालांकि, देश भर में कई प्रमुख घटनाओं के कारण भी चर्चा में रहा है। डेरा विवाद और डबवाली अग्निकांड इसमें शामिल हैं। डबवाली अग्निकांड में बहुत से लोग मारे गए थे। वहीं, डबवाली के कॉमेडियन सुनील ग्रोवर ने हॉलीवुड फिल्म "जंगल बुक" में मुख्य किरदार निभाया है।
खेल क्षेत्र में सिरसा ने परचम लहराया है और खिलाड़ियों ने देश का गौरव बढ़ाया है। सरदारा सिंह (हॉकी) और सविता पूनिया (हॉकी) ने भारतीय टीम में रहे और अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में अच्छा प्रदर्शन किया है। अन्य हॉकी खिलाड़ियों ने भी सिरसा का नाम रोशन किया है।
सिरसा के जोधकां गाँव से आने वाली भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान सविता पूनिया ने हाल ही में कॉमनवेल्थ गेम्स में कांस्य पदक जीता। सिरसा के बेटे बरिंद्र सरां ने भी भारतीय क्रिकेट टीम में जगह बनाई है। सिरसा डेरा के खिलाड़ी ने एक्रोबेटिक्स में भी अच्छा प्रदर्शन किया है। सिरसा ने राजनीति में भी देश को उप प्रधानमंत्री बनाया है। सिरसा के अन्य नेता भी राजनीति में अपनी जगह बना चुके हैं; जननायक चौधरी देवीलाल के पुत्र ओमप्रकाश चौटाला ने राज्य के मुख्यमंत्री का पद संभाला है।
सिरसा एक "धर्मनगरी" है, जहां चारों ओर धार्मिक स्थान हैं। सिरसा को कई धार्मिक संस्थाओं ने बचाया है, जिनमें डेरा सच्चा सौदा, राधा स्वामी सत्संग ब्यास, डेरा जगमाल वाली, तारा बाबा कुटिया और डेरा बाबा भूमण शाह शामिल हैं। शहर में डेरा बाबा सरसाईनाथ भी बहुत सम्मानित हैं।
सिरसा के सैनिकों ने भी देश की सुरक्षा में अपने जीवन दे दिए हैं। कारगिल सहित सिरसा के सैनिकों ने कभी पीछे नहीं हटे हैं। सिरसा में कई युवा शहादत दे चुके हैं।