Haryana Update: हरियाणा सरकार का बड़ा ऐलान, अब सरकारी जमीन पर कब्जा करने वालों के नाम करेगी जमीन

हरियाणा में सरकारी जमीन पर कब्जा करने वालों के लिए गुड न्यूज़, आपको बता दे की सरकारी जमीन पर कब्जा करने वालों के लिए सरकार नया रूल बना रही है जिससे अंदर जमीन आपके नाम कर सकती है, तो जल्दी से देखिए पूरी डिटेल्स 

 

Haryana News : हरियाणा सरकार ने किराए पर सरकारी संपत्ति निपटान नीति 2023 का Notice जारी किया जोकि पिछले 20 साल या उससे ज्यादा के समय से हरियाणा सरकार के द्वारा किराया पट्टे के जरिए Personal संस्था के कब्जे के सरकारी विभागों, बोर्डों, निगमों और प्राधिकरणों की संपत्तियों को बेचने से संबंधित है।

Chief Secretary संजीव कौशल के द्वारा पता चला है की इस नीति के अंदर 100 वर्ग गज प्रति Beneficiary और जो 1 जून 2001 से पहले पट्टे या किराए पर संपत्तियां किराए पर दी थी वे प्रति भूखंड तक शामिल की गई।

सभी विभागों को लाया जाएगा नीति के अंतर्गत

संजीव कौशल ने बताया कि हरियाणा सरकार ने 1 जून 2021 को एक नीति जारी की थी जोकि नगर निकायों की दुकानों और घरों को बेचने के लिए थी। इसके अंदर ऐसी Property शामिल की गई थी जिनके ऊपर 20 सालों से ज्यादा समय के लिए नगर निकायों या उसके पूर्ववर्ती निकायों की जगह दूसरे संस्थाओं ने कब्जा किया हुआ है।

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जब इस नीति को शहरी स्थानीय निकाय विभाग ने लागू किया तब मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इस बात पर गौर किया कि भारी संख्या में Property असलियत में हरियाणा सरकार के दूसरे बोर्डो, विभागों और निगमों के कब्जे में है लेकिन उनको निजी व्यक्तियों और स्थानों को किराए या पट्टे पर दिया गया है।

 इस वजह से मुख्यमंत्री ने एक ऐसी नीति बनाने के निर्देश दिए जिसके अंतर्गत सभी विभागों को लाया जाए और किसी भी लेवल पर किसी तरह की गलतफहमी ना हो। इसी वजह से राज्य सरकार ने इस नीति को बनाया और अभी हाल ही में Cabinetने इस नीति को मंजूरी दे दी।

किन संपत्तियों को शामिल नहीं किया जाएगा

लेकिन उन्होंने यह साफ बताया है कि यह One Time Policy है जिसके अंदर जो भी लोग आएंगे उनको इस नीति के जारी होते ही 3 महीने के अंदर आवेदन करना पड़ेगा। लेकिन इस नीति के अंतर्गत पर्यटन, परिवहन और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग शामिल नहीं होंगे। इनके साथ साथ पंचायत भूमि, शामलात भूमि, पंचायत समिति और जिला परिषद भूमि भी इस नीति के अंतर्गत शामिल नहीं होंगे।

विशिष्ट विभागीय अधिनियम और वैधानिक नियमों यानी हरियाणा विस्थापित संपत्ति प्रबंधन और निपटान नियम 2011, हरियाणा पंचायती राज नियम 1995, हरियाणा पंचायती राज अधिनियम 1994, हरियाणा ग्राम शामलात भूमि विनियमन अधिनियम 1961, विस्थापित संपत्ति प्रबंधन और निपटान अधिनियम 2008 और हरियाणा ग्राम शामलात विनियमन नियम 1964 के अंतर्गत जो भूमि आती हैं उनको भी नीति में शामिल नहीं किया जाएगा।

किन संपत्तियों को शामिल किया जाएगा

उन्होंने बताया किस नीति के अंदर उन संपत्तियों को रखा जाएगा जिनके ऊपर सरकारी संस्थाओं का कब्जा है और जो किराए या पट्टे के पैसे या तहबाजारी शुल्क अथवा लाइसेंस शुल्क के बेसिस पर खाली भूमि, दुकानों जिनका अलग-अलग दल मकान और अलग-अलग दल उद्योग और खाली जमीन के लिए सरकारी संस्था को मिले हुए हो।

ऐसी संपत्तियां जिनसे सरकारी संस्थाएं सालाना कलेक्ट्रेट मूल्य का 8 per cent और उससे ज्यादा का किराया पटा ले रही हैं तो सक्षम प्राधिकारी को उसे बेचने के लिए अनुमति नहीं मिलेगी।

कितना शुल्क देना होगा सर्कल रेट के तहत

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यदि किसी संपत्ति पर किसी व्यक्ति ने 20 साल से ज्यादा लेकिन 25 साल से कम समय के लिए कब्जा किया हुआ है, उसे सर्कल रेट का 80 per cent शुल्क देना होगा। यदि किसी व्यक्ति का 30 साल या उससे ज्यादा लेकिन 35 साल से कम समय तक कब्जा है तो उसे सर्कल रेट का 75 per cent शुल्क देना होगा। 

साथ ही साथ यदि किसी व्यक्ति का 35 साल या उससे ज्यादा लेकिन 40 साल से कम समय तक के लिए कब्जा है तो उस से सर्कल रेट का 65 per cent लिया जाएगा।वहीं यदि किसी का 40 साल या उससे ज्यादा परंतु 45 साल से कम समय के लिए कब्जा है

तो उसे सर्कल रेट का 60 per cent भुगताना देना होगा। 45 साल या उससे ज्यादा समय परंतु 50 साल से कम के समय के लिए कब्जा करने वाले व्यक्ति को सर्कल रेट का 55 per cent शुल्क देना होगा। वही जिनके पास 50 सालों से ज्यादा समय के लिए कब्जा है उनको सर्कल रेट का 50 per cent भुगतान करना होगा।