श्री श्याम संकीर्तन: इसको पढ़ने से मिलता है सम्पूर्ण श्याम कथा का फल (Khatu Shyam Sankirtan)
Shyam Sankirtan in hindi, khatu shyam ke dohe, khatu shyam ki katha
जय जय श्री श्याम प्रभु रखियो मेरी लाज
कृपा सिंधु भगवान भजो भाव सागर से पार...
भीमसुत वीर बर्बरीक, घटोत्कच कुल शान।
तीन बाण धर हाथ में, था रण का पहचान॥1
शिव प्रसन्न हो दे गए, बाण अभेद्य त्रिदेव।
जिस पर चलते एक बार, शेष न बचे सवेव॥2
मातु अहिलावती कहे, जो हार रहा हो तज।
तू उसका बन सहारा, मत कर कोई अन्य कज॥3
श्रीकृष्ण रचें युक्ति तब, ब्राह्मण रूप धराय।
शीश माँगा वीर से, रहस्य स्वयं जताय॥4
श्री रामायण संकीर्तन: इसे पढ़ने से मिलता है संपूर्ण रामायण (Ramayana) पढ़ने का फल
विराट रूप जब देख्या, समझे प्रभु की बात।
शिर दिया चरणों में धर, त्याग किया सौगात॥5
श्रीकृष्ण शीश उठाय के, अमृत कर दी धार।
रखा पहाड़ी शिखर पर, देखे रण विस्तार॥6
युद्ध के अंत पाछें, जब प्रश्न उठा वीरता।
बोला शीश बर्बरीक का, देखी केवल लीला॥7
सुदर्शन नाचत देख्या, जगदंबा पीवत लोह।
पांडव कौं न पायो मैं, यह सुन झुके सब मोह॥8
प्रसन्न होय श्रीकृष्ण तब, श्याम नाम देयो।
दानी बड़ो जगत में, कहि वरदान देयो॥9
"हारे के तू सहारा बन", श्रीकृष्ण वचन सुनाय।
जो माँग करें दरबार में, खाली नहीं जावाय॥10