Sankashti Chaturthi 2023: 7 जून की गणेश चतुर्थी पर करें इस प्रकार भगवान गणपति की पूजा, घर मे होता है ऋद्धि सिद्धि का वास
Sankashti Chaturthi 2023 Upay: संकष्टी चतुर्थी 2023 पूजा सामग्री सूची: सनातन धर्म मे गणेश संकष्टी चतुर्थी का विशेष महत्व होता है। कल 7 जून 2023 को ही आषाढ़ के महीने की संकष्टी चतुर्थी मनाई जाएगी। ये दिन भगवान गणेश की पूजा करने का सबसे अच्छा दिन होता है।
इस दिन भगवान गणेश की पूजा करना बहुत ही शुभ माना जाता है। भगवान गणेश रिद्धि-सिद्धि भी देते हैं और शुभ वरदान भी देते हैं। इनकी कृपा से व्यक्ति के जीवन में कोई कमी नहीं रहती है। भगवान गणेश की पूजा से बुद्धि और धन की प्राप्ति होती है। संकष्टी चतुर्थी के दिन लोग विधि-विधान से व्रत और पूजा करते हैं। साथ ही गणेश जी की कुछ प्रिय वस्तुएं भी हैं जिन्हें संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi 2023 Vrat) की पूजा में शामिल करना चाहिए। आइए जानते हैं इन बातों के बारे में...
Sankashti Chaturthi 2023 Vrat Puja Vidhi Vidhan:
गौरी के पुत्र भगवान श्रीगणेश को मोदक अत्यंत प्रिय है। इसलिए संकष्टी चतुर्थी में गणेश जी की पूजा करते समय मोदक और लड्डू का भोग लगाएं, क्योंकि बिना लड्डू और मोदक के गणेश जी की पूजा अधूरी मानी जाती है.
भगवान गणेश को दूर्वा घास भी बहुत प्रिय है, इसलिए भगवान गणेश की पूजा में दूर्वा घास को जरूर शामिल करें। इससे गणपति बप्पा प्रसन्न होते हैं और जल्द ही अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
गणपति बप्पा के लिए लाल फूल का भी बहुत महत्व है। इसके बिना गणेश जी की पूजा अधूरी मानी जाती है। ऐसे में संकष्टी चतुर्थी के दिन श्री गणेश को लाल फूल अर्पित करें।
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कैसे करें भगवान गणेश की पूजा:
सबसे पहले सुबह उठकर नहा धोकर स्वच्छ हो जाएँ।
भगवान गणेश की एक प्रतिमा लेकर उसे गंगाजल से स्नान करवाएँ।
तत्पश्चात गणेश भगवान को तिलक लगाएँ। और उनके समक्ष घी का दिया और धूप, दूर्वा और लाल पुष्प भेंट करें।
तत्पश्चात भगवान गणेश के संकटनाशनम स्तोत्र का पाठ करें जो इस प्रकार है:
|| संकटनाशन गणेश स्तोत्र ||
प्रणम्यं शिरसा देव गौरीपुत्रं विनायकम।
भक्तावासं: स्मरैनित्यंमायु:कामार्थसिद्धये।।1।।
प्रथमं वक्रतुंडंच एकदंतं द्वितीयकम।
तृतीयं कृष्णं पिङा्क्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम।।2।।
लम्बोदरं पंचमं च षष्ठं विकटमेव च।
सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धूम्रवर्ण तथाष्टकम् ।।3।।
नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम।
एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम।।4।।
द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्य य: पठेन्नर:।
न च विघ्नभयं तस्य सर्वासिद्धिकरं प्रभो।।5।।
विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम्।
पुत्रार्थी लभते पुत्रान् मोक्षार्थी लभते गतिम् ।।6।।
जपेद्वगणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासै: फलं लभेत्।
संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशय: ।।7।।
अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वां य: समर्पयेत।
तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादत:।।8।।
तत्पश्चात भगवान को मोदक का भोग लगाकर आरती करें जो इस प्रकार है:
गणेश आरती | Ganesh Arti
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत,
चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे,
मूसे की सवारी ॥ जय गणेश जय गणेश...
पान चढ़े फल चढ़े,
और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे,
संत करें सेवा ॥ जय गणेश जय गणेश...
अंधन को आंख देत,
कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत,
निर्धन को माया ॥ जय गणेश जय गणेश...
'सूर' श्याम शरण आए,
सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥ जय गणेश जय गणेश...
दीनन की लाज रखो,
शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो,
जाऊं बलिहारी ॥ जय गणेश जय गणेश...
आरती करने के पश्चात प्रार्थिना करें और पूरे घर मे गंगाजल के छींटे दें और धूप दीप की धूनी देनी चाहिए और प्रसाद वितरण करें।
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