Electric Vehile: भारत बनने जा रहा ईवी बनाने वाले देशों का मुखिया, जानिए 
 

भारत के पास इलेक्ट्रिक वाहन बनाने की इतनी ज्यादा क्षमता है कि इस मामले में देश दुनिया के बाकी देशों को पछाड़कर नंबर-1 की पोजिशन हासिल कर सकता है.
 

यह दावा अमेरिका में हुई एक रिसर्च में किया गया है.इस खबर में हम जानकारी दे रहे हैं कि अमेरिका में किस तरह की रिसर्च हुई और उसमें और क्या बताया गया है।

 


मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अमेरिका में एक रिसर्च की गई है जिसके मुताबिक भारत के पास दुनिया में सबसे ज्यादा इलेक्ट्रिक वाहनों का उत्पादन करने की क्षमता है.

 

इसी रिसर्च में यह बात भी सामने आई है कि अगर भारत में डीजल से चलने वाले ट्रकों की जगह इलेक्ट्रिक ट्रक आ जाते हैं तो इससे पर्यावरण पर काफी सकारात्मक प्रभाव होगा.ऐसा करने के बाद भारत 2070 तक ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन को पूरी तरह से खत्म कर सकेगा.


अभी होता है बड़ी मात्रा में तेल का आयात


मौजूदा समय में भारत अपनी तेल की जरूरतों को पूरा करने के लिए पूरी तरह से दूसरे देशों पर निर्भर है.जानकारी के मुताबिक भारत में उपयोग होने वाले तेल का 88 प्रतिशत का आयात किया जाता है.

इससे देश को बड़ी मात्रा में विदेशी करेंसी का उपयोग करना पड़ता है.इसके अलावा देश के परिवहन क्षेत्र में जितना तेल खर्च होता है उसका 60 प्रतिशत तेल सिर्फ मालवाहक ट्रक करते हैं।


 
भारत लगा रहा इलेक्ट्रिक वाहनों वाहनों पर जोर


भारत की ओर से इस बात पर जोर दिया जा रहा है कि देशभर में ज्यादा से ज्यादा वाहन पेट्रोल और डीजल जैसे पारंपरिक ईंधन की जगह इलेक्ट्रिक ईंधन से चलाए जाएं.

इसके लिए सरकार की ओर से सब्सिडी भी दी जा रही है.केंद्र के साथ ही कई राज्य सरकारें भी अपनी ओर से इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने पर भारी छूट दे रही हैं.

जिसका सकारात्मक परिणाम भी हो रहा है.अब देश में कई कंपनियां इलेक्ट्रिक वाहनों पर फोकस कर रही हैं और लगातार इलेक्ट्रिक वाहनों को पेश किया जा रहा है।

लागत हो रही कम


इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहन मिलने के बाद लोग भी इन्हें खरीदना पसंद कर रहे हैं.ऐसा करने से उन्हें सब्सिडी का फायदा तो मिल ही रहा है साथ में पेट्रोल और डीजल के मुकाबले इलेक्ट्रिक वाहन से चलने पर प्रति किलोमीटर की लागत भी काफी कम आ रही है.जिससे इनका प्रयोग काफी बढ़ रहा है।


किसने की रिसर्च
रिपोर्ट्स के मुताबिक अमेरिका के लॉस एंजेलिस शहर में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफॉर्निया और बर्कले लैब की ओर से यह रिसर्च की गई थी।