CNG Car Disadvantages: केवल माइलेज को देखकर ना ले CNG कारें, इनके साथ आती है बहुत सी परेशानियां

Disadvantages of CNG Cars:यदि आप भी CNG कारों को केवल उनकी माइलेज को देखकर ले रहे है तो आपको बता दे कि इनके साथ आपको बहुत सी परेशानियां भी देखने को मिलती हैं. आज हम आपको यहि बताएगे अगर आप सीएनजी कार को लेते है तो आपको किन परेशानियों का सामना करना पड़ेगा.

 

Haryana Update: पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों के बीच सीएनजी कारों की बिक्री में तेजी देखने को मिली है.

अच्छा माइलेज देने वाली सीएनजी कारों को लोग पसंद कर रहे हैं और कंपनियों ने भी ये देख अपनी कारों के सीएनजी वेरिएंट बाजार में उतारने शुरू कर दिए हैं.

ये सच है कि सीएनजी कारें बेहतरीन माइलेज देकर आपके पैसे तो बचाती हैं लेकिन इनके कुछ नुकसान भी हैं जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.

सीएनजी कारों को लेकर सेफ्टी की समस्या हमेशा रहती है. इसी के साथ कई और बातें भी हैं जो इन्हें सामान्य कारों से कमतर करती हैं.

आइये आपको बताते हैं सीएनजी कार लेने पर आपको किस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.

इन कारो में बहुत आती है लीकेज प्रॉब्लम-

सीएनजी कारों में गैस लीकेज की प्रॉब्लम आम है. ये आपकी सेफ्टी के लिए भी बड़ा खतरा बन जाता है. इन कारों में आग लगने और सीएनजी टैंक के फटने का खतरा बना रहता है.

हालांकि समय समय पर सीएनजी किट की सर्विस और मेंटेनेंस करवाने से ये खतरा कम हो जाता है.

इन गाड़ियों में नही है सामान रखने की जगह-

सीएनजी कारों में बूट स्पेस बिल्कुल नहीं होता है, खासकर हैचबैक मॉडल में तो ये न के बराबर होता है. इसका कारण है कि सीएनजी टैंक को कार की डिग्गी में ही सेट किया जाता है.

ऐसे में परिवार के साथ कहीं लंबी ट्रिप पर जाने में काफी परेशानी हो सकती है. हालांकि अब टाटा मोटर्स ने इसका सॉल्यूशन किया है और अल्ट्रॉज में पहली बार दो सिलेंडर लगा कर बूट स्पेस को बचाने की कोशिश की गई है.

इनकी बहुत कम होती है पावर-

सीएनजी कारों में पेट्रोल के मुकाबले कम पावर होती है. एक सा इंजन होने पर भी इसका बीएचपी कम जनरेट होता है.

साथ ही एसी चलाने पर सीएनजी कार का पिकअप और टॉप स्पीड काफी कम हो जाती है. ऐसे में कार को ओवरटेक करने या फिर हाईवे पर चलाने में आपको पावर की काफी कमी महसूस होगी.

इनकी समय-समय पर करवानी पड़ती है सर्विस-

सीएनजी किट के साथ आने वाली कारों का सर्विस इंटरवेल काफी कम होता है. इन्हें हर 7 से 8 हजार किलोमीटर पर ही सर्विस की जरूरत होती है.

वहीं कार के स्पार्क प्लग और इंजेक्टर भी सामान्य कारों के मुकाबले जल्दी खराब होते हैं. कार की सर्विस के साथ ही सीएनजी किट की भी आपको बार बार सर्विस करवानी पड़ती है.

वहीं इसका इंजन ऑयल और फिल्टर भी सामान्य कार की तुलना में जल्दी बदलना पड़ता है.