Facts: एक बंदूक से निकली गोली कितनी दूर जा सकती है

HaryanaUpdate, Facts.बंदूक से जब गोली निकलती है तो उसमें जबरदस्त ऊर्जा और स्पीड होती है, लिहाजा उसका असर बहुत विध्वसंक होता है। 

अब सवाल ये है कि बंदूक, रिवाल्वर या स्नाइपर से जब गोली यानि बुलेट निकलती है तो कितनी दूर तक जाती है और इसकी स्पीड क्या होती है। वैसे ये दोनों ही बातें हैरान करने वाली हैं कि गोली इतनी दूर तक भी जा सकती है।

 

Facts. एक दिन पहले ये खबर आई कि एलओसी पर मौजूद स्नाइपर्स को अब ऐसी गन मिलने वाली है, जिससे वो डेढ़ किलोमीटर दूर तक निशाना लगा सकते हैं। स्नाइपर्स उन गन को कहते हैं, जिनके बैरल यानि नली काफी लंबी होती है। करीब एक मीटर से लेकर डेढ़ मीटर तक की। इनसे जब गोली निकलती है तो पूरे स्पीड से काफी दूर तक जाती है।

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अब सवाल ये है कि बंदूक, रिवाल्वर या स्नाइपर से जब गोली यानि बुलेट निकलती है तो कितनी दूर तक जाती है और इसकी स्पीड क्या होती है। वैसे ये दोनों ही बातें हैरान करने वाली हैं कि गोली इतनी दूर तक भी जा सकती है।

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बंदूक से जब गोली निकलती है तो उसमें जबरदस्त ऊर्जा और स्पीड होती है, लिहाजा उसका असर बहुत विध्वसंक होता है। अगर किसी को लगी तो उसकी मौत हो सकती है या फिर वो बड़ा नुकसान कर सकती है। हर पिस्तौल, रिवाल्वर की अलग रेंज होती है। अलग बुलेट्स की भी उनके भार और मोटाई के साथ आकार-प्रकार पर निर्भर अलग रेंज होती है। कोई गोली यानि बुलेट कहां तक जाएगी, वो कई बार इस पर भी निर्भर करता है कि मौसम कैसा है, हवा कैसी चल रही है और उसकी ट्रेजेक्ट्री क्या होती है। वैसे स्नाइपर गन्स आमतौर पर 30 फीसदी कोण पर इस तरह सेट होती हैं कि लंबी मार कर सकें।

अमेरिका की नेशनल राइफल एसोसिएशन के अनुसार, 09 एमएम हैंडगन सबसे लोकप्रिय बंदूक मानी जाती है, इससे मारी गई गोली 2130 यार्ड यानि 1।2 मील तक जा सकती है। काफी कुछ इस पर निर्भर करता है कि हम जिस बंदूक का इस्तेमाल कर रहे हैं, उसकी बैरल यानि नली कितनी लंबी है। कुछ साल पहले एक कनाडियन स्पेशनल फोर्स के स्नाइपर ने ईरान में इस्लामिक स्टेट के एक आंतकवादी पर जो गोली चलाई थी, वो 3870 यार्ड यानि 2.2 मील तक जाकर उसे ढेर कर आई थी। ये बात तब काफी चर्चा में भी आई थी, क्योंकि उसकी स्नाइपर ने रेंज से कहीं ज्यादा दूर तक मार की थी।

जो आंकड़े कहते हैं उसके अनुसार .22कैलिबर की बुलेट डेढ़ मील तक जा सकती है। सेंटरफायर बुलेट कई मील तक की यात्रा कर सकती है। छोटे शाट यानि रिवाल्वर या पिस्टल से मारी गई गोली 200-300 गज तक जा सकती है। लेकिन इसी में लंबी दूरी वाली बंदूकों से 600 गज तक की मार की जा सकती है। वैसे औसत बंदूक की गोली की रफ्तार 2500 फीट प्रति सेकेंड होती है।

बंदूक से पहले आदिम मानव गुलेल का इस्तेमाल करना सीख गया था। इसी के पत्थर चलाकर वो अपना शिकार करता था। उसके बाद बंदूक बनी तो गोलियों को लेकर काफी शोध हुए। बहुत बाद में जाकर कोई ढंग की गोली बन पाई। सबसे सही गोली जो शुरू में काफी असरदार थी, वो तांबे के खोल वाली बुलेट थी। 1882 में रूडवर्ड रूबिन ने इसे बनाया था।

वैसे रूस ने कुछ समय पहले ऐसी स्नाइपर गन भी बनाई है जो 04 किलोमीटर तक मार कर सकती है। इसका नाम SVLK - 145 Sumark है, इसे रूसी हथियार कंपनी पुष्का ने अमेरिकी तकनीक से विकसित किया था। इसकी स्पीड 900मीटर प्रति सेकेंड है यानि 03-04 किलोमीटर दूर खड़े शिकार को भी 04-05 मिनट में ढेर कर सकती है

वैसे स्नाइपर बंदूकों की सबसे बड़ी खासियत उनकी नली ही होती है जो वाकई लंबी होती है। इन गन चलाने वालों के एक से एक किस्से भरे पड़े हैं। ये मीलों दूर छिपे आतंकियों या शिकार को मार गिराने के लिए सटीक निशाना लगाते हैं। हालांकि इसके लिए अच्छा-खासा प्रशिक्षण भी लिया जाता है