Nuns' Life In Church : जीसस से शादी के नाम पर करते हैं यौन शोषण, क्या है चर्च के अन्दर का सच जानिए...

हाल के सालों में भारत, लैटिन अमेरिका, इटली और अफ्रीका में बिशप और प्रीस्ट ने नन्स का यौन शोषण किया है. ईसाइयों के सबसे बड़े धर्म गुरु पोप फ्रांसिस ने पहली बार इस सच को स्वीकार लिया.

 

Haryana Update, Nuns' LIfe Story : 5 फरवरी 2019 में पोप फ्रांसिस अपने प्लेन से UAE से रोम लौट रहे थे. प्लेन में ही पत्रकारों ने कॉन्वेंट में नन्स(nuns) के साथ हो रहे यौन शोषण के बारे में उनसे सवाल पूछा.
पोप ने जवाब दिया, "हाल के सालों में भारत, लैटिन अमेरिका, इटली और अफ्रीका में बिशप और प्रीस्ट ने नन्स का यौन शोषण किया है". ईसाइयों के सबसे बड़े धर्म गुरु पोप फ्रांसिस ने पहली बार इस सच को स्वीकार लिया.

"कौन होती हैं नन्स"


वो महिलाएं, जो धर्म के नाम पर जीसस से शादी करती हैं और अपना पूरा जीवन धर्म की सेवा के लिए समर्पित कर देती हैं, लेकिन इस पवित्र परंपरा को अपनाने वालीं नन्स एक बड़ा तबका , जो हर तरह के शोषण का शिकार है.
 

नन्स(Nuns' Life In Church) की जिंदगी को करीब से जानने के लिए मैंने रुख किया केरल के मालाबार इलाके का. मैं कालीकट के चाय के बागानों, तेज बारिश और घने कोहरे से होते हुए पहाड़ की चोटी पर बसे वायनाड के मानंथवाडी सिटी पहुंची.

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फोन पर लूसी ने कहा- कॉन्वेंट में मत आओ, लोग तुम्हें परेशान करेंगे और मेरे लिए भी परेशानी हो जाएगी. मैं ही तुम्हारे होटल आती हूं. थोड़ी देर बाद लूसी सादा सूट-सलवार में होटल आईं.

लूसी Franciscan Clarist Congregation (FCC) से हैं. कैथोलिक ईसाइयों में नन्स अलग-अलग Congregation से होती हैं. Congregation यानी जहां प्रेयर के लिए ईसाई कम्युनिटी के लोग इकट्ठे होते हैं. यह उनके सामाजिक-धार्मिक काम के आधार पर बंटे होते हैं.
 

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17 साल की उम्र में लूसी ने FCC जॉइन किया था. वह 11 भाई बहनों में 7वें नंबर पर थीं. वे बताती हैं- बचपन के दिनों की बात है. पांच नन्स और प्रीस्ट रेगुलर घर आते. वे लोग मुझे नन बनने के लिए प्रेरित करते. लगातार मेरा और परिवार का ब्रेन वॉश करते.

वे लोग धार्मिक ज्ञान देते और हैवन या स्वर्ग ले जाने का सपना दिखाते. तब समझ ज्यादा नहीं थी. लगातार ब्रेन वॉश की वजह से मेरे मन में भी हैवन की बात बैठ गई, क्योंकि फादर लोग हेल यानी नर्क की भयानक कहानियां सुनाकर डराते.

लूसी ने दसवीं के बाद ही नन बनने का फैसला ले लिया. परिवार ने इसका विरोध किया, लेकिन वह नहीं मानीं और आखिरकार 12वीं बाद 1982 में कॉन्वेंट में चली गईं, जहां तीन साल बाद वह नन बन गईं. इसके बाद लूसी एक गवर्नमेंट एडेड स्कूल में बतौर इंग्लिश टीचर पढ़ाने लगीं, लेकिन उनकी पूरी सैलरी कॉन्वेंट के पास जाती थी. एक रुपया भी उन्हें नहीं मिलता था.

इसी बीच सितंबर 2018 में फ्रेंको मुलाक्कल पर मिशनरीज ऑफ जीसस की 46 साल की नन के साथ 13 बार रेप करने का आरोप लगा. इसके विरोध में केरल की सड़कों पर नन्स का हुजूम निकल पड़ा. लूसी की अगुआई में वे लोग बिशप की गिरफ्तारी की मांग कर रहे थे.बिशप को गिरफ्तार किया गया, लेकिन रिहा भी कर दिया गया. पीड़ित नन को न्याय नहीं मिला

"नन्स की कोई प्राइवेसी नहीं होती"

कॉन्वेंट में लूसी से कोई बात नहीं करता है. खाना भी नहीं मिलता है. लाइब्रेरी, रसोई, आयरन, गार्डन में जाना, मेडिकल, प्रेयर रूम में उनकी एंट्री नहीं है. उन पर नजर रखने के लिए 16 CCTV कैमरे लगे हैं.

एक कैमरा तो उस जगह पर है, जहां से वह रात में टॉयलेट जाती हैं. उनका कहना है कि कम से कम वो कैमरा तो हटा दो, क्योंकि रात में वह शॉर्ट ड्रेस में टायलेट जाती हैं. कैमरे में सब कुछ कैद होता है. इसे हटाने के लिए उन्होंने राष्ट्रीय महिला आयोग में भी एप्लिकेशन दी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.

लूसी के मुताबिक नन्स(Nuns' Life In Church) की कोई प्राइवेसी नहीं होती. अगर कोई नन कॉन्वेंट की चारदीवारी के अंदर हो रहे अत्याचार पर बोलती है, तो उसे इतना प्रताड़ित कर दिया जाता है कि वो आत्महत्या तक कर लेती है. केरल में बीते 20 सालों में 28 नन ने आत्महत्या की है.

इसके बाद मैंने तय किया कि किसी मौजूदा नन से बात करूं. केरल के कई कॉन्वेंट का चक्कर लगाया, लेकिन नन दुनिया से कट चुकी हैं. उनकी पूरी लाइफ सीक्रेट है. अगर कोई नन आवाज उठाती है, तो या तो उसे कॉन्वेंट से बाहर निकाल दिया जाता है या उसे प्रताड़ित किया जाता है.

1992 में कोटय्यम की 30 साल की नन अभया की दर्दनाक हत्या ने तो कॉन्वेंट और चर्च व्यवस्था की तह खोल के रख दी. पहले इससे आत्महत्या माना गया, लेकिन पब्लिक प्रोटेस्ट के बाद मामले की जांच CBI को सौंपी गई. जांच में फादर थॉमस कुट्टूर और सिस्टर सेफी दोषी पाए गए. उन्हें आजीवन कारावास की सजा मिली, लेकिन बाद में केरल हाईकोर्ट ने जमानत दे दी.

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अभया का कसूर इतना था कि उसने फादर और सिस्टर सेफी को कोट्टयम के PIUS X कॉन्वेंट में संबंध बनाते देख लिया था.

जैसेमे ने कालिकट यूनिवर्सिटी से एमफिल की है. वे त्रिसूर की विमला कॉलेज में वाइस प्रिंसिपल और सेंट मेरी कॉलेज में प्रिंसिपल रही हैं. इनके कॉन्वेंट का नाम मदर ऑफ कार्मल कॉन्ग्रिगेशन है. उन्होंने अपने शोषण के खिलाफ आवाज उठाई, तो उन्हें पागल घोषित कर दिया गया. कॉन्वेंट से निकाल दिया गया.

उन लोगों ने मुझे पागल घोषित कर दिया. वे मेरा इलाज कराना चाहते थे, लेकिन मैंने भी तय कर लिया था कि किसी भी कीमत पर इलाज नहीं कराऊंगी, क्योंकि मैं पूरी तरह ठीक थी. मैं दिल्ली चली गई और 6 महीने के बाद कॉन्वेंट छोड़ दिया.


"आखिर क्यों नहीं मिल रहा नन्स को इंसाफ?"

दुनिया की कैथोलिक महिलाओं के धार्मिक आदेशों का प्रतिनिधित्व करने वाला संगठन, इंटरनेशनल यूनियन ऑफ सुपीरियर्स जनरल भी नन्स के शोषण की खुलकर निंदा कर चुका है. 2019 में उसने कहा था कि कई नन्स कल्चर ऑफ साइलेंस और सीक्रेसी के नाम पर चुप रह जाती हैं. इससे और ज्यादा शोषण होता है. नन्स(Nuns' Life In Church) को अपने शोषण के खिलाफ आवाज उठाने की जरूरत है.

नन रह चुकीं जैसेमे का आरोप है कि चर्च बहुत पावरफुल हैं. उनके सामने सत्ता और सरकार की भी नहीं चलती है. हमने हर जगह शिकायत की, महिला आयोग में भी अपील की, लेकिन कुछ नहीं हुआ.

कोच्चि के फादर ऑगस्टाइन वाट्टोली कहते हैं- कॉन्वेंट में नन्स(Nuns' Life In Church) की शिकायतों के लिए व्यवस्था है, लेकिन अगर किसी शिकायत से कैथोलिक चर्च का समाज में नाम खराब होता है, तो उसे दबाने की कोशिश की जाती है. कैथोलिक में इस मान्यता की जड़ें भी बहुत गहरी हैं कि प्रीस्ट की शिकायत से नर्क मिलता है, गॉड खफा हो जाते हैं. इस वजह से ज्यादातर नन्स शिकायत ही नहीं करती हैं.

जैसेमे कहती हैं कि हमारी मांग है कि जल्द से जल्द थर्ड वैटिगन काउंसिल बुलाई जाए. जिसे शादी करनी है, उसे शादी करने की इजाजत दी जाए. शादी करने के बाद बिशप, प्रीस्ट या नन बनने की परमिशन दी जाए.