सरकार की मदद से स्वरोजगार कर ऐसे बनेगा उज्ज्वल भविष्य

सरकार की मदद से स्वरोजगार की दिशा में कदम बढ़ाना अब और भी आसान हो गया है। विभिन्न योजनाएं जैसे "प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना" और "मुद्रा योजना" स्वरोजगार को बढ़ावा देती हैं, जिससे आप बिना किसी बड़े निवेश के अपना कारोबार शुरू कर सकते हैं। इन योजनाओं से न सिर्फ आपको वित्तीय सहायता मिलती है, बल्कि व्यवसाय संबंधी प्रशिक्षण और मार्गदर्शन भी उपलब्ध होता है। जानें, इन योजनाओं के तहत आपको कैसे फायदा हो सकता है और किस तरह आपका भविष्य उज्ज्वल बन सकता है।

 
Haryana update : प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP) भारत सरकार की एक प्रमुख योजना है, जिसका उद्देश्य नए व्यवसायों को वित्तीय सहायता प्रदान करना और रोजगार के अवसर उत्पन्न करना है। यह योजना छोटे उद्योगों, कारीगरों, और स्वरोजगार के इच्छुक व्यक्तियों के लिए लाभकारी साबित होती है।

पीएमइजीपी के लक्ष्य:

  1. रोजगार सृजन: शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार के माध्यम से रोजगार के अवसर बढ़ाना।
  2. ग्रामीण विकास: ग्रामीण इलाकों में छोटे उद्योगों की स्थापना को प्रोत्साहित करना।
  3. आत्मनिर्भरता: बेरोजगार युवाओं को आत्मनिर्भर बनाना और उनके उद्यमशीलता कौशल का विकास करना।
  4. स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देना: परंपरागत कारीगरों और हस्तशिल्प से जुड़े व्यक्तियों को उनकी कला और उत्पादों के लिए सहायता प्रदान करना।

नए व्यवसायों को होने वाले लाभ:

  1. आर्थिक सहायता: इस योजना के तहत, बैंक ऋण पर सब्सिडी प्रदान की जाती है, जो व्यवसाय शुरू करने के लिए आर्थिक रूप से सहायक होती है। परियोजना की कुल लागत का 15-35% तक की सब्सिडी उपलब्ध होती है।

    • शहरी क्षेत्र: 15-25% सब्सिडी।
    • ग्रामीण क्षेत्र: 25-35% सब्सिडी।
  2. रोजगार सृजन: यह योजना व्यवसायी को आत्मनिर्भर बनाती है और स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए-नए अवसर भी प्रदान करती है।

  3. व्यवसाय के प्रकार पर कोई प्रतिबंध नहीं: इस योजना में लगभग सभी प्रकार के उत्पादन और सेवा आधारित उद्योगों के लिए आवेदन किया जा सकता है।

  4. सरकार द्वारा मार्गदर्शन: प्रशिक्षण और व्यवसाय प्रबंधन में सहायता के लिए विशेष कार्यक्रम उपलब्ध हैं।

आवेदन की प्रक्रिया:

  1. आवेदन ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से किया जा सकता है।
  2. ऑनलाइन आवेदन के लिए PMEGP की आधिकारिक वेबसाइट पर पंजीकरण अनिवार्य है। पंजीकरण करते समय अपनी एजेंसी (KVIC, DIC या KVIB) का चयन करना होता है।
  3. लाभार्थी को एक उद्यमिता विकास प्रशिक्षण (EDP) में भाग लेना अनिवार्य है, जिससे व्यवसाय के लिए आवश्यक कौशल और जानकारी मिलती है।

अतिरिक्त सहायता:

  1. लाभार्थियों के लिए नि:शुल्क उद्यमिता प्रशिक्षण (EDP) प्रदान किया जाता है।
  2. परियोजना रिपोर्ट और बाजार रणनीतियों को तैयार करने में मार्गदर्शन मिलता है।
  3. कार्यान्वयन एजेंसियों के माध्यम से मदद और मार्गदर्शन उपलब्ध होता है।
  4. योजना के अंतर्गत समय-समय पर जागरूकता शिविरों का आयोजन किया जाता है।

यह योजना नए व्यवसायों को शुरू करने के इच्छुक व्यक्तियों को न केवल वित्तीय मदद प्रदान करती है, बल्कि उन्हें व्यवसाय चलाने की आवश्यक जानकारी और समर्थन भी देती है, जिससे वे आत्मनिर्भर बन सकते हैं और रोजगार सृजन में योगदान कर सकते हैं।