Success Story: कभी जूतों की फेक्टरी मे तो कभी होटल रिसेप्शनिस्ट की करता था नौकरी, आज दुनिया मे खड़ा किया 12,700 करोड़ का होटल कारोबार

Haryana Update:ये सफलता की कहानी एक ऐसे शख्स की है जो भारतीय होटल उद्योग का पिता कहा जाता है, एक ऐसा शख्स जो कभी जूतों की फेक्टरी मे काम करता था, कैसे आज चला रहा दुनिया भर मे 5 स्टार होटल्स, जानेंगे इस Success Story मे...
 

Success Story: एक व्यक्ति जिसने कई वर्षों तक होटल रिसेप्शनिस्ट (hotel receptionist) के रूप में काम किया। फिर एक दिन वह अपना खुद का होटल खोलता है और कड़ी मेहनत और लगन (hard work) से देश भर में 5 सितारा होटलों की एक पूरी श्रृंखला खड़ी कर लेता है। आज वह 12,700 करोड़ रुपये के होटल समूह का प्रबंधन करते हैं।

पहली नजर में आपको भी लगा होगा कि ये किसी फिल्म की स्क्रिप्ट है. लेकिन यह इतिहास नहीं, बल्कि संघर्ष और सफलता की जीती-जागती मिसाल है। इस होटल की नींव की एक-एक ईंट मेहनत के पसीने से धुल गई थी।

दरअसल हम बात कर रहे हैं ओबेरॉय होटल ग्रुप (oberoi hotel group) के मालिक मोहन सिंह ओबेरॉय की। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत शिमला के सेसिल होटल से की जहां उन्होंने एक रिसेप्शनलिस्ट के रूप में काम किया। उनका जन्म भारत के विभाजन से पहले झेलम जिले (अब पाकिस्तान में) में हुआ था। पिता की असामयिक मृत्यु ने उन पर पारिवारिक जिम्मेदारियों का बोझ लाद दिया।

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कभी करता था जूतों की फैक्ट्री मे काम
मोहन ओबेरॉय (mohan singh oberoi) ने अपने परिवार का समर्थन करने के लिए अपने चाचा के जूते के कारखाने में काम करना शुरू किया। कुछ दिनों बाद, भारत और पाकिस्तान के विभाजन के दौरान हुए दंगों के कारण कारखाने को बंद कर दिया गया। इसके बाद वे शिमला चले गए और यहां सेसिल होटल में क्लर्क के रूप में काम करने लगे। उन्हें नहीं पता था कि एक दिन उनकी यह क्षमता उन्हें देश की सबसे सफल होटल श्रृंखला बनाने में मदद करेगी।

एक और बड़ा दांव लगा
मोहन सिंह ओबेरॉय ने होटल सेसिल से पैसा और प्रतिभा दोनों अर्जित किया और 1934 में अपनी पहली संपत्ति, The Clarkes Hotel का निर्माण किया। इस संपत्ति को खरीदने के लिए, उन्होंने अपनी पत्नी के गहने सहित अपना सब कुछ गिरवी रख दिया। उनकी मेहनत जल्द ही रंग लाई। होटल से प्राप्त आय के साथ, उन्होंने पांच साल के भीतर पूरा कर्ज चुका दिया।

आगे बढ्ना नहीं छोड़ा
मोहन सिंह ओबेरॉय को अब एहसास हुआ कि किस्मत ने उन्हें सही जगह पर खड़ा कर दिया है। फिर उन्होंने कलकत्ता में एक बड़ा होटल खरीदा। उस समय कोलकाता में एक बीमारी फैलने के बावजूद, मोहन सिंह ने सौदा पूरा कर दिया और अंततः एक दूरदर्शी होटल व्यवसायी (hotel businessmen) के रूप में अपना नाम बनाया।

एक बार फिर अपना साम्राज्य खड़ा कर दिया
उसके बाद ओबेरॉय की नजर फैल गई। उन्होंने भारत और दुनिया के कई देशों में एक के बाद एक होटल खरीदना शुरू किया। आज, ओबेरॉय ग्रुप कुल 31 लक्ज़री होटल (luxury hotels)
 और रिसॉर्ट (resort) का संचालन करता है। दोनों प्रथम श्रेणी की सुविधाएं और सेवाएं प्रदान करते हैं। भारतीय आतिथ्य उद्योग में उनके योगदान की मान्यता में, भारत सरकार ने उन्हें 2001 में पद्म भूषण से सम्मानित किया। उन्हें भारतीय होटल उद्योग के पिता के रूप में श्रेय दिया जाता है। वर्तमान में, ओबेरॉय समूह का बाजार पूंजीकरण (market capitalization)  लगभग 1,270 अरब रुपये है। समूह के पास भारत के अलावा चीन, संयुक्त अरब अमीरात, ग्रेट ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका और कई अन्य देशों में होटल हैं।