आचार्य के अनुसार इस सबक को जान लेने के बाद ज़िदगी में कभी नही खानी पड़ेगी मात !

Chanakya niti: बेहतर जीवन के लिए चाणक्य की नीतियां बहुत उपयोगी मानी जाती है. इनका अनुसरण करने वाला व्यक्ति जिंदगी में कभी परेशान नहीं होता.जानें आचार्य चाणक्य के कुछ खास अनमोल वचन...

 

Chanakya niti: बेहतर जीवन के लिए चाणक्य की नीतियां बहुत उपयोगी मानी जाती है. इनका अनुसरण करने वाला व्यक्ति जिंदगी में कभी परेशान नहीं होता.जानें आचार्य चाणक्य के कुछ खास अनमोल वचन.

मुश्किल वक्त में हारता नहीं बल्कि उससे निकलने का रास्ता खोज ही लेता है.  चाणक्य नीति कहती है कि असली सफलता वही है जो दूसरों को भी सफल बनने के लिए प्रेरित करे, ऐसे लोगों पर धन की देवी लक्ष्मी जी भी प्रसन्न रहती है.

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दूसरों की कामयाबी से ईष्या रखने वाला कभी खुश नहीं रह सकता है और न ही अपना लक्ष्या प्राप्त कर सकता है. जानें आचार्य चाणक्य के कुछ खास अनमोल वचन.

  • चाणक्य कहते हैं कि विद्या अर्जित करना उस कामधेनु गाय के समान है जो मनुष्य को हर मौसम में अमृत प्रदान करती है, इसलिए ज्ञान जब भी, जहां से भी मिले उसे ग्रहण कर लेना चाहिए. ज्ञान कभी व्यर्थ नहीं जाता. स्वदेशे पूज्यते राजा विद्वान्सर्वत्र पूज्यते । (चाणक्य निति)अर्थात राजा की पूछ परख सिर्फ उसी के राज्य में होती है लेकिन विद्वानों और ज्ञानियों को सभी क्षेत्रों में पूजा जाता है. ज्ञान ऐसी शक्ति है जो संकट में व्यक्ति की सबसे बड़ी ताकत बनती है.
  • चाणक्य नीति के अनुसार जब व्यक्ति दूसरों की गलतियों से सीख लेता है तो वह कभी मात नहीं खाता. अगर खुद पर प्रयोग करके सीखेंगे तो उम्र भी कम पड़ जाएगी और संघर्ष बढ़ जाएगा.(चाणक्य निति) सफलता हासिल करने है तो दूसरों का अनुभव जानने में गुरेज न करें.
  • चाणक्य कहते हैं कि दोस्ती हमेशा अपने समान ओहदा रखने वाले व्यक्ति से करना चाहिए. कम या अधिक प्रतिष्ठा रखने वालों के मित्रता ज्यादा दिन तक नहीं टिकती. जिस तरह  सांप, बकरी और बाघ की कभी आपस में दोस्ती नहीं कर सकते हैं. उसी प्रकार कभी भी विपरीत स्वभाव के वालों से दोस्ती नहीं करना चाहिए.(चाणक्य निति)
  • चाणक्य के अनुसार ऐसा धन किसी काम का नहीं जिसके लिए धर्म का त्याग करना पड़े, क्योंकि धर्म को हमेशा धन से ऊपर रखना चाहिए. वहीं जिस पैसे के लिए दुश्मनों की खुशामद करना पड़े, अपने अभिमान से समझौता करना पड़े उसका मोह करना सबसे बड़ी मूर्खता है. ऐसा करने वाला व्यक्ति अपने वजूद के साथ मान-सम्मान भी खो देता है.(चाणक्य निति)

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