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Makhana New species: मखाने की नई प्रजाति विकसित, 40 डिग्री तापमान में भी फसल नहीं होगी खराब

Makhana New species: किसानों के लिए बिहार से बड़ी खुशखबरी सामने आई है.दरभंगा बिहार मखाना अनुसंधान केंद्र ने मखाना की एक नई प्रजाति विकसित की है.
 
Makhana New species: मखाने की नई प्रजाति विकसित, 40 डिग्री तापमान में भी फसल नहीं होगी खराब
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Makhana New species:   जिसको लेकर दावा किया जा रहा है कि इसकी फसल 40 डिग्री तापमान पर भी सुरक्षित रहेगी और इसकी बुवाई कर किसान बंपर उत्पादन पा सकते हैं. वैज्ञानिकों ने मखाने की इस नई प्रजाति का नाम 'सुपर सेलेक्शन-वन' दिया है.

 

'सुपर सेलेक्शन-वन' की गई विकसित

 

बिहार कृषि विभाग के मुताबिक, दरभंगा बिहार मखानाअनुसंधान केंद्र ने मखाने की अधिक रोग प्रतिरोधक क्षमता वाली प्रजाति 'सुपर सेलेक्शन-वन' विकसित की है.

बता दें कि इस प्रजाति को विकसित करने में वैज्ञानिकों को 7 साल लगे हैं. जी हां, 7 साल के शोध के बाद अब जाकर वैज्ञानिकों को सफलता हाथ लगी है.

वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि नई प्रजाति से किसानों को मखाने की फसल से अच्छी पैदावार मिलेगी, जिससे उनकी इनकम भी बढ़ेगी. इसके साथ ही मखाने की नई प्रजाति 'सुपर सेलेक्शन-वन' के कई सारे फायदे के दावे किए जा रहे हैं.

मखाने की नई प्रजाति सूरत के बढ़ते तापमान को सहने में सक्षम

मखाने की नई विकसित की गई प्रजाति पर सूरज के बढ़ते तापमान का भी कोई असर नहीं पड़ेगा. इससे किसानों की मेहनत पर पानी नहीं फिरेगा. जैसा की मखाने के फूल जून-जुलाई में निकलते हैं. उस दौरान तापमान 34 डिग्री से ज्यादा रहता है.

सामान्य प्रजाति के मखाने के फूल इस तापमान में झुलसने लगते हैं, जिससे पैदावार में भारी कमी देखने को मिलती है. लेकिन सुपर सेलेक्शन वन प्रजाति के मखाने में रोग प्रतिरोधक क्षमता 20% ज्यादा होने की वजह से ये झुलसने वाले तापमान को भी सहने में सक्षम है.

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बुवाई में लगेगा कम बीज, मिलेगा अधिक पैदावार

'सुपर सेलेक्शन-वन' के बुवाई करने में 40 प्रतिशत कम बीज लगने का दावा किया जा रहा है. इसके साथ ही इसकी फसल से 20-25 प्रतिशत उत्पादन बढ़ने का भी दावा किया जा रहा है. उत्पादन अधिक होने से मखाने की खेती करने वाले किसानों की इनकम भी बढ़ेगी.

साथ ही कहा जा रहा है कि इसकी फसल से निकलने वाले मखाने में प्रोटीन की मात्रा अधिक पाई जायेगी. फिलहाल वैज्ञानिकों के खेत परीक्षण सफल होने के बाद किसानों को यह प्रजाति उपलब्ध कराने की सैद्धांतिक सहमति भी बन गई है.