सच्ची कहानी: 6 राक्षसी आत्माओं ने किया शरीर पर कब्जा, टूटी हड्डियाँ और दर्दनाक मौत- एमिली रोज का रहस्य
23 साल की उम्र, 66 पाउंड वजन और 67 एक्ज़ॉर्सिज़्म-कौन था उसके शरीर में? शरीर उसका था… लेकिन आवाज़ें किसी और की थीं, वो लड़की जिसने नरक को जिया… और अपनी मौत से सबको डरा दिया। सुनने मे लगता है न कोई झूठी कहानी, पर नहीं ये है सच्ची कहानी। आइए जानते हैं 'अननेलिज़ मिशेल' या (एमिली रोज) की आत्मा की सच्ची दहशत जो आपको सोचने पर मजबूर कर देगी क्या सचमुच भूत प्रेत होते हैं। आइए जानते हैं उस केस के बारे मे जो आज भी अनसुलझा है।
भूत प्रेत होते हैं या नहीं, आप मानते है या नहीं, आपका नजरिया इस स्टोरी को पढ़ने के बाद यकीनन बदल जाएगा। क्योंकि आज इस लेख मे आपको कोई झूठी कहानी नहीं बल्कि हकीकत मे एक केस को बताने वाले हैं जो आज भी अनसुलझा है। भारत मे ज़्यादातर लोग नहीं जानते होंगे या जिन्होने 'अननेलिज़ मिशेल' Anneliease Michel या (एमिली रोज Emily Rose)' के केस के बारे मे नहीं सुना होगा। लेकिन ये सच्चाई है।

साल 1976 की एक गर्मियों की सुबह, पश्चिमी जर्मनी के बवेरिया प्रांत से एक ऐसी खबर आई, जिसने पूरी दुनिया को चौंका दिया। 23 वर्षीय एक युवती की मृत्यु हो गई थी-भूख, बीमारी और थकावट से। लेकिन यह कोई सामान्य मौत नहीं थी। अननेलिज़ मिशेल (एमिली रोज) नाम की उस युवती पर बीते 10 महीनों में 67 बार "एक्ज़ॉर्सिज़्म" यानी तांत्रिक रूप से भूत-प्रेत भगाने की क्रिया की गई थी।
21 सितंबर 1952 को जर्मनी के लीब्लफ़िंग, बवेरिया मे एक कैथोलिक धार्मिक परिवार मे जन्मी एमिली रोज एक धार्मिक और चर्च जाने वाली लड़की थी। बचपन से ही चर्च की घंटियाँ सुनने वाली एमिली रोज के जीवन मे कुछ ऐसा घटा की उसकी जिंदगी ही नर्क बन गई।
आगे जो हुआ वो दिल दहला देने वाला था...
एमिली 16 साल की ही थी की एक दिन स्कूल मे बेहोश हो गई और बेहोशी की हालत मे ही अजीब तरीके से घूमने लगी। एक साल बाद उसके शरीर मे झटके आने लगे और बेहोशी के समय बिस्तर गीला कर दिया। हालांकि एमिली को ये सब याद नहीं था, लेकिन उसके दोस्तों ने उसे बताया की वो एक तरह से बेहोशी की हालत मे थी।
शरीर पूरी तरह से अकड़ गया और शरीर पूरा बेकाबू हो गया था। उसके बाद वो वुर्जबर्ग विश्वविद्यालय में कॉलेज भी गई, हालाँकि उसके सहपाठियों ने उसे एकांतप्रिय और बेहद धार्मिक बताया था। लेकिन उसे फिर से वही सब हो रहा था। जब डॉक्टर के पास चेकअप करवाया गया तो उन्होने उसे एक बीमारी बताया- जिसका नाम था टेम्पोरल लोब मिर्गीटेम्पोरल लोब (एक तरह का मिर्गी का दौरा)। उसका इलाज शुरू किया गया। लेकिन उसकी हालत मे सुधार होने की बजाए और बिगड़ती गई। मिशेल (एमिली रोज) फिर भी दवाएं लेती रही।
एमिली को लगता था की उसके अंदर से उसे अजीब सी फुसफुसाहट की आवाजें सुनाई देती है, यहाँ तक तो उसे राक्षसी चेहरे भी दिखाई देने लगे। डॉक्टरों ने उसकी दवाएं और इलाज बदला, लेकिन कोई असर नहीं हो रहा था। अब मिशेल (एमिली रोज) को लगने लगा की उसपर किसी भूत प्रेत का साया है। एक दिन जब वो प्रार्थना कर रही थी तो उसे राक्षसी आवाजें सुनाई देने लगी-'वो शापित है, नरक मे सड़ेगी'। उसके बाद उसे लग रहा था कि वो किसी बुरी शक्ति के बस मे है।
उसका शरीर कमजोर होने लगा था, हालात बिगड़ने लगे थे। भूत प्रेत के बस मे आने से उसका व्यवहार बदलने लगा था।
हालात बिगड़ते देख परिवार ने चर्च से सहायता मांगी, लेकिन पादरियों ने ये कहकर मना कर दिया कि उसे मेडिकल सहायता लेनी चाहिए। आगे जो हुआ यहाँ से हालात बहुत ही ज्यादा बिगड़ गए।
उसका खुद पर से काबू खो चुका था। आत्माओं ने उसके शरीर पर कब्जा कर लिया था। उसके परिवार ने देखा कि वो अपने सारे कपड़े फाड़ दिये। 400 बार उठक बैठक करने लगी। यहाँ तक कि 2 दिन तक मेज के नीचे रेंगती रही। उससे भी खौफनाक एक मरे हुए पक्षी का सिर काट डाल का खा लिया, कुत्ते की तरह आवाजें निकाल रही थी। दीवारों को कुरेदना, मकड़ियाँ और कोयला खाने लगी। यहाँ तक की खुद का पेशाब भी पीने लगी।
वो अब किसी भी धार्मिक चीज को सहन नहीं कर पा रही थी।
मिशेल ने पियासेंज़ा स्थित सैन डैमियानो के अनधिकृत मंदिर का दौरा किया, एक पारिवारिक मित्र के साथ जो नियमित रूप से इटली में ईसाई तीर्थयात्राओं का आयोजन करता था। पियासेंज़ा में उसके अनुरक्षक को यकीन हो गया था कि वह प्रेतबाधा से पीड़ित है क्योंकि वह एक क्रूस के पास से नहीं जा पा रही थी और उसने एक ईसाई पवित्र झरने का पानी पीने से इनकार कर दिया था।
फ्राउ हेन ने इसकी पुष्टि की-कि वह मंदिर में प्रवेश नहीं कर पा रही थी। वह बहुत झिझक के साथ मंदिर के पास गई, फिर कहा कि वहाँ की मिट्टी आग की तरह जल रही है और वह इसे बर्दाश्त नहीं कर सकती। फिर वह मंदिर के चारों ओर एक चौड़े चाप में घूमी और पीछे से मंदिर के पास जाने की कोशिश की। उसने छोटे से बगीचे के आसपास घुटने टेके लोगों को देखा, और उसे लगा कि वे प्रार्थना करते हुए अपने दाँत पीस रहे हैं। वह छोटे से बगीचे के किनारे तक पहुँची, फिर उसे वापस लौटना पड़ा। फिर से सामने से आते हुए, उसे घर के गिरजाघर में ईसा मसीह की तस्वीर से अपनी नज़र हटानी पड़ी। वह कई बार बगीचे तक पहुँची, लेकिन आगे नहीं बढ़ पाई। उसने यह भी बताया कि अब वह पदकों या संतों के चित्रों को नहीं देख सकती; वे इतने चमकते थे कि वह उन्हें बर्दाश्त नहीं कर सकती थी।
ये हालात देखकर परिवार सहम गया और चर्च से फिर सहायता मांगी।
आखिरकार, उसे और उसकी माँ को एक पादरी, अर्नस्ट ऑल्ट, मिले, जो उसके भूत-प्रेत में विश्वास करते थे। उन्होंने बाद के अदालती दस्तावेज़ों में कहा कि "वह मिर्गी जैसी नहीं दिखती थी"।
एमिली रोज की शारीरिक हालत बिगड़ती गई और वह आक्रामक हो गई, खुद को घायल कर लिया, अपना मूत्र पी गई और कीड़े-मकोड़े खाने लगी। नवंबर 1973 में, मिशेल ने टेग्रेटोल नामक एक दौरे-रोधी और मनोदशा स्थिर करने वाली दवा से इलाज शुरू किया। धार्मिक अनुष्ठानों के दौरान उसे मनोविकार रोधी दवाएँ दी गईं और अपनी मृत्यु से कुछ समय पहले तक उसने अक्सर इनका सेवन किया। इन न्यूरोलेप्टिक दवाओं को लेने के बावजूद, मिशेल के लक्षण बिगड़ते गए और वह "अश्लील बातें करने, गले से गालियाँ निकालने और बेतहाशा बड़बड़ाने" लगी।
एनेलिस मिशेल (एमिली रोज़) ने ऑल्ट को लिखा, "मैं कुछ भी नहीं हूँ, मेरे बारे में सब कुछ व्यर्थ है, मुझे क्या करना चाहिए, मुझे सुधारना है, आप मेरे लिए प्रार्थना करें" और एक बार उनसे यह भी कहा, "मैं दूसरों के लिए कष्ट सहना चाहती हूँ... लेकिन यह बहुत क्रूर है।"
ऑल्ट ने स्थानीय बिशप, बिशप जोसेफ स्टैंगल से प्रार्थना की, जिन्होंने आखिर मे उनका अनुरोध स्वीकार कर लिया और स्थानीय पादरी, अर्नोल्ड रेन्ज़ को भूत-प्रेत को भगाने की अनुमति दे दी, लेकिन आदेश दिया कि यह पूरी तरह से गुप्त रूप से किया जाए।
उसके बाद जो हुआ वो कल्पना से परे था।
एमिली रोज पर तांत्रिक प्रक्रियाएं (exorcism) शुरू किया गया। जब भी ये प्रार्थना प्रक्रियाँ शुरू की जाती, तो एमिली रोज बेकाबू हो जाती। कभी अश्लील बाते करने लगी, तो कभी अंदर से अलग अलग आवाजें आने लगती। यकीन मानिए इसकी रिकॉर्डिंग और टेप आज भी मौजूद है। इनमे एमिली रोज की अलग अलग आवाजें रिकॉर्ड की गई है, जिसमे एक्सरसीजम के दौरान रिकॉर्ड की गई है। उसमे एमिली ने बताया कि उसके शरीर पर कुल 6 आत्माओं ने कब्जा किया था। उनके नाम भी लिए गए हैं। यकीन मानिए ये टेप सुनकर आपके भी होश उड़ जाएंगे और डर जाएंगे क्या ऐसा भी होता है।
एमिली पर हर हफ्ते एक ये तांत्रिक प्रक्रियाँ की गई। इन प्रक्रियाओं के दौरान उसे बांध दिया जाता था। इन अलग अलग प्रक्रिया 10 महीने तक चली। उसकी हालत बिगड़ी चली गई। उसकी हालत मे कोई भी सुधार नहीं हुआ। उसके शरीर की हड्डियाँ टूट चुकी थी। घुटनों की नसें फट गई थी। उसने खाना पीना बंद कर दिया था। आखिरकार 1 जुलाई, 1976 के दिन उसने घुटने टेक दिये और इस दुनिया को अलविदा कह दिया। एमिली रोज का ये केस आज भी एक सवाल बना हुआ है। क्या सचमुच आत्माएं होती है, क्या भूत प्रेत होते हैं। इस एक केस ने पूरी दुनिया को हिला दिया था।
एमिली रोज के जीवन की घटना पर एक फिल्म भी बनी है जिसका नाम है- 'exorcism of emily rose'। इस फिल्म को 2005 मे बनाया गया था। आप Netflix पर ये फिल्म देख सकते हैं।
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