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RBI News : UPI पर इतने रूपए भेजने वालों की अब खैर नही, CIBIL Score को लेकर RBI गवर्नर ने लिया एक्शन

RBI News: अगर आप UPI के जरिए बड़े ट्रांजेक्शन करते हैं, तो अब सतर्क हो जाएं! RBI गवर्नर ने CIBIL Score को लेकर अहम फैसला लिया है। नए नियमों के तहत, यूजर्स पर खास नजर रखी जाएगी, जिससे उनके क्रेडिट स्कोर पर असर पड़ सकता है। अगर ट्रांजेक्शन सीमा से अधिक हुए, तो CIBIL Score डाउन होने का खतरा रहेगा। जानिए नए नियमों की पूरी जानकारी नीचे।
 
 
RBI News : UPI पर इतने रूपए भेजने वालों की अब खैर नही, CIBIL Score को लेकर RBI गवर्नर ने लिया एक्शन
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Haryana update, RBI News  भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में सिबिल स्कोर (CIBIL Score) से जुड़े मुद्दों पर एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट जारी की है, जिसमें उन्होंने कई कड़े नियम और दिशानिर्देश घोषित किए हैं। इन नियमों का उद्देश्य क्रेडिट स्कोर से संबंधित शिकायतों को सुलझाना और सुधार लाना है, क्योंकि पिछले कुछ समय से ग्राहकों की शिकायतें बढ़ रही थीं। RBI ने अप्रैल में ही इन नियमों को लागू करने की चेतावनी दी थी। बैंक और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ (NBFCs) हर बार ग्राहक का सिबिल स्कोर जांचती हैं, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि ऋण संबंधी लेन-देन पारदर्शी और सुरक्षित तरीके से हो। आइए, RBI द्वारा घोषित कुल पाँच नियमों के बारे में विस्तार से जानते हैं:

1. सिबिल चेक करने की जानकारी ग्राहकों तक पहुंचाएं RBI News
RBI ने सभी क्रेडिट इन्फॉर्मेशन कंपनियों को निर्देश दिया है कि जब भी कोई बैंक या NBFC किसी ग्राहक की क्रेडिट रिपोर्ट (CIBIL रिपोर्ट) की जांच करता है, तो उस ग्राहक को इसकी जानकारी तुरंत भेजी जाए। यह सूचना एसएमएस या ईमेल के माध्यम से दी जा सकती है। इस कदम का मुख्य उद्देश्य ग्राहकों को उनके क्रेडिट स्कोर की जानकारी देना है, ताकि वे जान सकें कि उनके स्कोर में कब-कब और किस कारण से बदलाव हो रहे हैं। इससे ग्राहकों को अपने वित्तीय रिकॉर्ड पर निगरानी रखने में मदद मिलेगी और किसी भी अनियमितता का पता चल सकेगा।

2. रिक्वेस्ट अस्वीकार करने पर कारण बताना अनिवार्य RBI News
अगर किसी ग्राहक की क्रेडिट रिपोर्ट देखने या उसमें बदलाव करने की रिक्वेस्ट को अस्वीकार किया जाता है, तो बैंक या NBFC को इस अस्वीकृति का कारण स्पष्ट रूप से बताना अनिवार्य होगा। इसका मतलब है कि ग्राहक को यह जानकारी दी जानी चाहिए कि किस वजह से उनका अनुरोध खारिज कर दिया गया है। इसके अलावा, सभी क्रेडिट संस्थाओं को एक सूची तैयार करके यह जानकारी साझा करनी होगी, जिससे ग्राहकों को यह समझने में आसानी हो कि उनके साथ क्या गलत हुआ और भविष्य में वह किस प्रकार सुधार कर सकते हैं।

3. ग्राहकों को साल में एक बार मुफ्त पूरी क्रेडिट रिपोर्ट प्रदान करें
RBI ने क्रेडिट कंपनियों से यह भी कहा है कि हर वर्ष ग्राहकों को एक बार उनकी पूरी क्रेडिट रिपोर्ट मुफ्त में उपलब्ध कराई जाए। इसके लिए क्रेडिट कंपनियों को अपनी वेबसाइट पर एक लिंक दिखाना होगा, जिसके माध्यम से ग्राहक आसानी से अपनी रिपोर्ट डाउनलोड कर सकें। इससे ग्राहकों को अपने क्रेडिट इतिहास की पूरी जानकारी मिल सकेगी और वे समय-समय पर अपने स्कोर में हुए परिवर्तनों की समीक्षा कर सकेंगे।

4. डिफॉल्ट रिपोर्ट करने से पहले ग्राहक को सूचित करें RBI News
यदि कोई ग्राहक ऋण चुकाने में चूक करता है या डिफॉल्ट होने वाला है, तो लोन देने वाली संस्थाओं को चाहिए कि डिफॉल्ट रिपोर्ट दर्ज करने से पहले ग्राहक को इसकी सूचना दे। SMS या ईमेल के जरिए ग्राहक को पूरी जानकारी दी जानी चाहिए। साथ ही, बैंकों और लोन देने वाली संस्थाओं में एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाना चाहिए, जो क्रेडिट स्कोर से संबंधित समस्याओं का समाधान करें। इससे ग्राहक को अपनी गलती सुधारने का अवसर मिलेगा और अनावश्यक दंड से बचा जा सकेगा।

5. शिकायतों के समाधान में देरी पर जुर्माना RBI News
RBI ने यह भी निर्देश दिया है कि यदि कोई क्रेडिट इन्फॉर्मेशन कंपनी ग्राहकों की शिकायतों का समाधान 30 दिनों के अंदर नहीं करती है, तो उसे हर दिन 100 रुपये का जुर्माना देना होगा। विस्तृत रूप से, लोन देने वाली संस्थाओं को शिकायत के समाधान के लिए 21 दिन का समय दिया जाएगा, जबकि क्रेडिट ब्यूरो को 9 दिन का समय होगा। यदि निर्धारित समयावधि में शिकायत का समाधान नहीं होता, तो संबंधित बैंक या क्रेडिट ब्यूरो पर जुर्माना लगाया जाएगा। यह कदम ग्राहकों के हितों की रक्षा करते हुए, नियमों के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।
इन पांच नियमों के माध्यम से RBI ने सिबिल स्कोर से जुड़े मुद्दों पर कड़ी नजर रखने का प्रयास किया है। ग्राहक अब न केवल अपने क्रेडिट स्कोर की जानकारी आसानी से प्राप्त कर सकेंगे, बल्कि किसी भी असमान्यता के बारे में स्पष्ट जानकारी भी पा सकेंगे। यह पहल वित्तीय पारदर्शिता को बढ़ावा देने के साथ-साथ, ग्राहकों और वित्तीय संस्थाओं के बीच विश्वास को भी मजबूत करेगी। RBI का यह कदम निश्चित ही क्रेडिट सिस्टम को और अधिक सुरक्षित और जिम्मेदार बनाएगा, जिससे समग्र वित्तीय व्यवस्था में सुधार की आशा की जा सकती है।