Haryana News : हरियाणा में यमुना ने दिखाया अपना रोध्र रूप, फसलें की तहस नहस, जाने कितनी हुई तबाही
यमुना का पानी इन गांवों में भर गया है, जिससे गढ़ी सनौली, गढ़ी बेसिक, नवादा आर, नवादा पार, पत्थरगढ़, तामशाबाद और राणा माजरा सभी गांव प्रभावित हुए हैं। यमुना नदी इन सभी सात गांवों से मिलती है।
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हथिनी कुंड बैराज से पानी निकालने पर हुई दुर्घटना
सोमवार सुबह तक हथिनी कुंड बैराज से 1 लाख 94 हजार क्यूसेक पानी निकाला गया था। इससे यमुना नदी का जल स्तर खतरे में था। जब यह पानी पानीपत की यमुना नदी में पहुँचा, यहां यमुना से सटे गांवों को नुकसान हुआ।
लाखों की क्षति
बारिश के पानी ने फसलों को नष्ट कर दिया है। खेतों में जलभराव होता है।
धान की फसल भी जलभराव से लगभग डूब चुकी है। अब किसानों को धान की फसलों को फिर से बोना होगा।
यमुना नदी से सटे क्षेत्रों में अभी भी बड़ी समस्या है।
करनाल पहुंचने पर यमुना का पानी कई क्षेत्रों में फसलों को बर्बाद कर दिया।
यमुना से सटे क्षेत्रों में रहने वाले किसानों ने प्लेज की फसलें लगाई थीं, लेकिन पानीपत की तरफ यमुना का जल तेजी से बह गया। धान भी डूब गया है।
20 हजार हेक्टेयर फसल बर्बाद
किसानों ने बताया कि सोमवार तक 20 हजार एकड़ हरे चारे की फसलें राणामाजरा, पत्थरगढ़, नवादा आर, नवादा पार, गढ़ी बेसिक, जलालपुर, तामशाबाद, सनौली खुर्द, रामड़ा आर, नन्हेड़ा, रिशपुर, अधमी, जलमाणा, गोयला खुर्द, मिर्जापुर, गोयला कलां और खोजकीपुर में खड़ी थीं।
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बांध मंगलवार को टूटने से हालात और खराब हो गए हैं।
खतरे का संकेत से ऊपर यमुना
सोमवार को हथिनीकुंड बैराज से रविवार को छोड़ा गया 1.45 लाख क्यूसेक पानी पानीपत में पहुंचा।
इससे यमुना उफान पड़ा। यहां जलस्तर दो मीटर से अधिक बढ़ा।
सोमवार शाम को जलस्तर 228.95 मीटर से 231.15 मीटर पहुंच गया।
यमुना नदी ने खतरे का निशान 231.500 मीटर पार कर लिया है, जो कुछ समय पहले 210 मीटर पार कर चुकी थी।
यमुना अब खतरे के निशान के ऊपर बह रही है, जो तटवर्ती क्षेत्रों के किसानों और बाशिंदों को चिंतित कर रहा है।
बांध पहले भी यहीं टूटा था
आपको बता दें कि 2012 में भी इसी स्थान पर यह बांध टूटा था। उस समय भी गांवों को नुकसान हुआ था। मंगलवार को भी बांध वहीं से टूट गया था।
2 JCB राहत कार्य कर रहे हैं। आसपास के गाँव मिलकर काम कर रहे हैं।
पत्थरगढ़ से 2 से 3 किल्ले का चौड़ा रास्ता बना हुआ है।
अगर पानी की स्थिति यही रही तो शाम तक पानी नगला, बबैल और आसपास के क्षेत्रों तक पहुंच सकता है।