Chanakya Niti: ज़िंदगी में लागू करे ये बातें, दूसरे से रहेंगे हमेशा आगे
चाणक्य नीति के चार सिद्धांत हमेशा आपको दूसरों से चार कदम आगे रखेंगे।
आचार्य चाणक्य को भारत के सबसे बड़े विद्वानों में गिना जाता है। उन्होंने चाणक्य नीति में कई विषयों पर विस्तार से चर्चा की है। श्लोकों में चाणक्य ने अपने विचारों को मानव कल्याण के लिए प्रस्तुत किया है। सफलता के लिए चाणक्य की नीति को रामबाण कहा जाता है।
नात्यन्तं सरलैर्भाव्यं गत्वा पश्य वनस्थलीम्। छिद्यन्ते सरलास्तत्र कुब्जास्तिष्ठन्ति पादपाः।
अर्थ: आचार्य चाणक्य ने कहा कि अधिक सीधापन भी गले की हड्डी का कारण हो सकता है। उदाहरण के लिए, चाणक्य कहते हैं कि वन में पहले सीधे पेड़ काटे जाते हैं क्योंकि टेढ़े पेड़ों से काटने में अधिक मेहनत नहीं लगती। यही कारण है कि इस युग में सफलता के लिए थोड़ा चालाकी आवश्यक है क्योंकि व्यक्ति के सीधेपन का हर कोई लाभ उठाता है।
कः कालः कानि मित्राणि को देशः कौ व्ययागमौ?मुहुर्मुहुः कश्चाहं का च मे शक्तिरिति चिन्त्यं मुहुर्मुहुः॥
अर्थ: अगर आप अपने भविष्य को बचाना चाहते हैं, तो सही समय, सही दोस्त, सही जगह, पैसे कमाने के सही साधन, पैसे खर्च करने के सही तरीके और अपने ऊर्जा के स्रोत पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है। यही आपको हर क्षेत्र में सफलता मिलेगी।
ध्रुवाणि परित्यज्य अध्रुवं परिषेवते।ध्रुवं तस्य नश्यन्ति चाध्रुवं नष्टमेव हि॥
Chanakya Niti: शादीशुदा औरतों के इन अंगों को छूते ही क्यों खो देती है आपा, जाने क्या है राज़
इस श्लोक में अर्थ-चाणक्य ने कहा कि हर चीज को पाने के लालच में रहने वाले लोग सही को भी छोड़ देते हैं। जब कोई व्यक्ति स्पष्ट सही को छोड़कर अस्पष्ट गलत का सहारा लेता है, तो उसका सही भी नष्ट हो जाता है। इसलिए, सही और गलत को देखकर निर्णय लें।
गुणैरुत्तमतां याति नोच्चैरासनसंस्थितः किं प्रासादशिखरस्थो काकः गरुडायते?
अर्थ-चाणक्य कहते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति अपने कर्मों और गुणों से श्रेष्ठ है। उनका कहना था कि विद्वान लोग गरीब लोगों में सम्मानित होते हैं। व्यक्ति धन, संपत्ति और पद से बड़ा नहीं बनता; यह बिल्कुल वैसा ही है जैसे कौआ महल के शिखर पर बैठकर गर नहीं बनता।
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