logo

हरियाणा मे 1 अक्तूबर से चुनावी दंगल, 4 को नतीजे, कॉंग्रेस का कोन्फ़िडेंस हाई

Haryana Assembly Election 2024: शुक्रवार को चुनाव आयोग ने जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में विधानसभा चुनावों की तिथि घोषित की। जम्मू-कश्मीर में चुनाव तीन चरणों में होंगे, जबकि हरियाणा में 90 सीटों पर चुनाव एक चरण में होंगे।
 
haryana news 2024
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

Haryana Update: शुक्रवार को चुनाव आयोग ने जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में विधानसभा चुनावों की तिथि घोषित की। जम्मू-कश्मीर में चुनाव तीन चरणों में होंगे, जबकि हरियाणा में 90 सीटों पर चुनाव एक चरण में होंगे। 4 अक्टूबर को दोनों राज्यों के चुनावी परिणामों की घोषणा होगी। लोकसभा चुनावों के परिणामों के बाद ये पहला मौका है जब बीजेपी और कांग्रेस एक बार फिर चुनावी दंगल में आमने-सामने होंगे। लोकसभा चुनाव के बाद हरियाणा में पहली सीधी टक्कर होनी है। 

अब चुनाव में विजेता कौन होगा? भाजपा हैट्रिक करेगी या कांग्रेस वापस आ जाएगी? विभिन्न पार्टियों ने चुनाव में अपने प्रदर्शन को लेकर अलग-अलग दावे किए हैं, लेकिन चुनावी अखाड़े में दो प्रमुख खिलाड़ी हैं। हरियाणा के चुनाव में बीजेपी, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, जेजेपी, इंडियन नेशनल लोकदल और बीएसपी का गठबंधन सबसे बड़ी पार्टी है। मुख्य बात यह है कि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस दिल्ली में गठबंधन के तहत काम कर रहे हैं, लेकिन हरियाणा में दोनों पार्टियां अलग-अलग चुनाव लड़ेंगी।

कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी विधानसभा चुनाव में पराजित हो जाएगा। लोकसभा में उनका प्रदर्शन कांग्रेस का दावा करने की वजह का कारण है। वास्तव में, कांग्रेस 2019 में हरियाणा में एक भी सीट नहीं जीत पाई, लेकिन 2024 में पांच सीटों तक पहुंच गई। कांग्रेस का वोट शेयर 2019 में 28.51 प्रतिशत से 43.67 प्रतिशत तक बढ़ा। सरल शब्दों में, बीजेपी को विधानसभा चुनाव जीतना मुश्किल होगा क्योंकि लोकसभा चुनाव 50-50 पर रहेंगे। चुनाव की तिथि घोषित होने से ठीक पहले, मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने किसानों को राहत देने के लिए कई योजनाओं का ऐलान किया।

ये तीन प्रमुख मुद्दे होंगे हरियाणा चुनाव में

कांग्रेस हरियाणा विधानसभा चुनाव में तीन प्रमुख मुद्दों पर हमला कर रही है, जबकि बीजेपी पीछे है। MSP पर किसानों की नाराजगी पहला मुद्दा है। अग्निवीर योजना से असंतोष दूसरा मुद्दा है। महिला पहलवान के यौन शोषण का मामला तीसरा मुद्दा है। किसान पंजाब और हरियाणा में MSP की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं, हालांकि तीनों कृषि कानून रद्द हो चुके हैं। किसानों ने हरियाणा-पंजाब बॉर्डर पर कई महीनों से धरना किया है। किसानों के एक गुट ने कुछ दिन पहले संसद में राहुल गांधी से मुलाकात की थी। राहुल ने किसानों को MSP पर कानूनी गारंटी देने का वादा किया था।

ऐसे में किसानों का मुद्दा राज्य के विधानसभा चुनावों में भी छाया रहेगा. दूसरी ओर, बीजेपी सोशल इंजीनियरिंग का उपयोग करके विपक्ष का ध्यान भटकाएगी। बीजेपी ने मनोहर लाल खट्टर को हटाकर नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया। प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर ब्राह्मण चेहरे को बैठाया और कांग्रेस की बागी और हरियाणा के पूर्व सीएम बंसी लाल की पत्नी किरण चौधरी को पार्टी में लाया। BJP का पूरा ध्यान गैर जाट मतदाताओं पर हरियाणा में है, इसलिए किरण चौधरी के आगमन से जाट समाज की नाराज़गी कम हो जाएगी। 

यह हरियाणा का जातीय समीकरण है

हरियाणा में जातीय समीकरण को नियंत्रित करने के लिए प्रत्येक पार्टी ने सोशल इंजीनियरिंग का एक फॉर्मूला बनाया है। कांग्रेस जाट और दलित मतदाताओं पर केंद्रित है, जबकि बीजेपी और आईएनएलडी केवल जाट मतदाताओं पर ध्यान देते हैं। सभी मतदाताओं पर आपका ध्यान है। ऐसे ही हरियाणा का जातीय समीकरण समझा जा सकता है। जाट 22% हैं, दलित 20% हैं, अहीर 10% हैं, ब्राह्मण 8% हैं, पंजाबी 8% हैं, मुस्लिम 7% हैं, सिख 5% हैं, राजपूत 4% हैं, गुर्जर 2% हैं, सैनी 2.5% हैं, विश्नोई 2% हैं। 

10 वर्ष बाद जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव होंगे

जम्मू-कश्मीर में चुनावों की तारीखें भी घोषित कर दी गई हैं। 2014 के बाद, यानी 10 वर्ष बाद, जम्मू-कश्मीर में चुनाव होंगे। जम्मू कश्मीर में 18 सितंबर को 24 सीटों पर मतदान होना है, 25 सितंबर को 25 सीटों पर मतदान होना है, और 1 अक्टूबर को 40 सीटों पर मतदान होना है. 4 अक्टूबर को नतीजे घोषित होंगे। लेकिन 370 के खत्म होने के बाद स्थिति बदल गई है। परिसीमन के बाद जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश बन गया है और इसकी सीटें भी बढ़ी हैं। 2014 में जम्मू-कश्मीर में 87 सीटें थीं, लेकिन अब 90 सीटें हैं। जम्मू क्षेत्र में 37 सीटें थीं, जो अब 43 हो गई हैं, और कश्मीर क्षेत्र में 46 सीटें थीं, जो अब 47 हो गई हैं। लद्दाख की चार सीटें पहले जम्मू-कश्मीर में थीं, लेकिन अब लद्दाख एक अलग यूटी है।