Pitru Paksha 2025: पितृपक्ष में चंद्रग्रहण के साथ होगा महालय, जानें सभी श्राद्ध तिथियां
इस बार पितृपक्ष की शुरुआत एक खास संयोग के साथ होगी। सात सितंबर को पूर्णिमा तिथि पर मातृकुल के पितरों का श्राद्ध किया जाएगा और इसी रात को खग्रास चंद्रग्रहण भी लगेगा।
Aug 25, 2025, 15:29 IST
follow Us
On
Pitru Paksh 2025: इस बार पितृपक्ष 2025 भाद्रपद पूर्णिमा से आरंभ होकर आश्विन अमावस्या तक चलेगा। इस अवधि में पितरों (पूर्वजों) के प्रति श्रद्धा और कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान किए जाएंगे। सात सितंबर को महालय की शुरुआत होगी, जिसमें विशेष रूप से मातृकुल के पितरों जैसे नाना-नानी का तर्पण किया जाएगा। पितृ विसर्जन 21 सितंबर को किया जाएगा।
Pitru Paksha 2025: महालय और चंद्रग्रहण का संयोग
इस बार पितृपक्ष की शुरुआत एक खास संयोग के साथ होगी। सात सितंबर को पूर्णिमा तिथि पर मातृकुल के पितरों का श्राद्ध किया जाएगा और इसी रात को खग्रास चंद्रग्रहण भी लगेगा। यह चंद्रग्रहण पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में दिखाई देगा। ग्रहण रात 9:52 बजे से शुरू होकर 1:27 बजे तक चलेगा। चंद्रग्रहण समाप्त होते ही आश्विन कृष्ण प्रतिपदा लग जाएगी, जिसके कारण प्रतिपदा का श्राद्ध 8 सितंबर को होगा।
पितृपक्ष का महत्व और धार्मिक विधान
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन अमावस्या तक का समय पितरों को समर्पित होता है। सनातन संस्कृति में यह पर्व पूर्वजों के प्रति समर्पण और कृतज्ञता का प्रतीक माना जाता है। इस दौरान श्राद्ध, तर्पण और अर्पण के माध्यम से पितरों का स्मरण कर उन्हें संतुष्ट करने का विधान है।
पंचमी और षष्ठी का श्राद्ध (12 सितंबर)
आचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी के अनुसार, 12 सितंबर को दोपहर 1:20 बजे तक पंचमी तिथि रहेगी। इसके बाद षष्ठी तिथि शुरू होकर 13 सितंबर की सुबह 11:04 बजे तक चलेगी। पिंडदान और तर्पण दोपहर 12 से 2 बजे के बीच ही करने का विधान है। इस कारण 12 सितंबर को पंचमी और षष्ठी, दोनों तिथियों का श्राद्ध एक ही दिन संपन्न होगा।
also read- Gold Price Hike: सोने ने बनाए नए रिकॉर्ड, जानिए आज कितने बढ़े सोने के रेट
पितृपक्ष की प्रमुख तिथियां
7 सितंबर – पूर्णिमा श्राद्ध (मातृकुल के पितरों का श्राद्ध)
12 सितंबर – पंचमी एवं षष्ठी श्राद्ध
15 सितंबर – मातृ नवमी (माताओं का श्राद्ध)
18 सितंबर – द्वादशी (संन्यासियों का श्राद्ध)
20 सितंबर – चतुर्दशी (दुर्घटना या शस्त्र से मृतकों का श्राद्ध)
21 सितंबर – अमावस्या (पितृ विसर्जन)