BSSC Recruitment 2023: बिहार महाविद्यालयों में तृतीय श्रेणी के पदों बंफर भर्ती, यहां जाने आवेदन प्रोसेस और पूरी भर्ती डेटल
BSSC Recruitment 2023: जल्द ही तृतीय श्रेणी के कर्मियों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। शिक्षा विभाग की ओर से बिहार कर्मचारी चयन आयोग को नियुक्ति की जवाबदेही सौंपी जाएगी। इधर कई कुलसचिव ने बताया कि रिक्तियां भेज दी गई हैं।
Haryana Update: बिहार के विश्वविद्यालयों और अंगीभूत महाविद्यालयों में तृतीय श्रेणी के पदों पर नियुक्ति होगी। शिक्षा विभाग की ओर से सभी विश्वविद्यालयों से रोस्टर के हिसाब से रिक्तियां मांगी गई थीं। कई ने रिक्तियां भेज भी दीं। वहीं कई की भेजी रिक्तियां में खामियां थीं, लिहाजा इसमें सुधार कर दोबारा मांगा गया है।
विभाग की ओर से रिक्तियों की गणना की जा रही है। जल्द ही तृतीय श्रेणी के कर्मियों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। शिक्षा विभाग की ओर से बिहार कर्मचारी चयन आयोग को नियुक्ति की जवाबदेही सौंपी जाएगी। इधर कई कुलसचिव ने बताया कि रिक्तियां भेज दी गई हैं।
कर्मियों की संख्या घट गयी है। विश्वविद्यालयों और अंगीभूत महाविद्यालयों में पिछले दो दशकों से तृतीय श्रेणी के कर्मियों की नियुक्ति नहीं हो सकी है। इससे एक-एक कर्मी को तीन पद संभालने पड़ रहे हैं। वहीं कई विश्वविद्यालयों में चतुर्थ वर्गीय कर्मियों को विभागीय परीक्षा लेकर प्रोन्नति दी गई है। तृतीय श्रेणी के पदों को भरा गया है। बावजूद इसके काफी संख्या में रिक्तियां हैं।
पटना विवि के कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सुबोध कुमार ने बताया कि वर्ष 2002 के बाद पीयू में कोई नियुक्ति नहीं हुई है। वह भी बैकलॉग की रिक्तियां निकाली गई थीं। इनमें 15 कर्मियों की नियुक्ति हुई थी। वर्तमान में 1436 पदों में 575 कर्मी कार्यरत हैं। इनमें अनुकंपा धारियों की संख्या ज्यादा है। ऑटउसोर्सिंग से भी कम चल रहा है।
पाटलिपुत्र विवि शिक्षकेत्तर कर्मचारी संघ के अध्यक्ष ने बताया कि विवि में सृजित 45 कर्मियों की नियुक्ति नहीं हो सकी है। महाविद्यालयों में कर्मियों के सृजित पदों की संख्या 1200 है। इनमें 750 कार्यरत हैं। वहीं पाटलिपुत्र विवि में ज्यादातर कर्मी डेपुडेटशन पर हैं। वहीं कुछ कर्मी ट्रांसफर कराकर आ गए। यहां भी आउटसोर्स से कम चल रहा है।
एआईफुटको के जोन सचिव अशोक कुमार सिंह ने बताया कि विश्वविद्यालयों और अंगीभूत महाविद्यालयों में कर्मियों की काफी कमी है। कई महाविद्यालय तो ऐसे बचे हैं जहां इक्का-दुक्का कर्मी ही हैं। शेष आउटर्सोस वाले हैं।
दो-तीन दशक से विश्वविद्यालयों में कर्मियों की नियुक्त नहीं हुई है। विश्वविद्यालयों में 40 फीसदी सीटें खाली पड़ी है। यह स्थिति राज्य के तमाम विश्वविद्यालयों की है। चतुर्थवर्गीय कर्मियों का कार्य तो पूरी तरह से आउटसोर्सिंग के माध्यम से निजी एजेंसी को सौंप दिया गया है।
कमीशन वाले पदों पर तैनात हैं शिक्षक
विश्वविद्यालयों में कमीशन वाले पदों पर शिक्षकों की तैनाती कर दी गई है। प्रत्येक विवि में कुलसचिव, उप कुलसचिव, परीक्षा नियंत्रक, उप परीक्षा नियंत्रक, लाइब्रेरियन, वित्त पदाधिकारी सहित कई पदों को शिक्षकों से भरा जा रहा है। पहले इन पदों कमीशन के माध्यम से भरा जाता रहा है। लेकिन अब राजभवन या कुलपतियों की ओर से अपने खास शिक्षकों को लाकर बैठा दिया जाता है।
महाविद्यालयों में स्थायी प्राचार्यों की नियुक्ति नहीं हुई
विश्वविद्यालयों में कमीशन के माध्यम से लंबे समय से प्राचार्यों की नियुक्ति नहीं हो सकी है। सरकार की ओर से महाविद्यालयों में स्थायी प्राचार्यों की नियुक्ति की जानी है। लेकिन अभी तक प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी है। अभी वरीयता के आधार पर और कुलपति अपने विशेषाधिकार का प्रयोग करके प्राचार्यों की नियुक्ति करते हैं। स्थायी प्राचार्यों के नहीं रहने से कई तरह के कार्य प्रभावित होते हैं। मगध विवि और पटना विवि की ओर से एक दशक पहले प्राचार्यों की नियुक्ति हुई थी। इसमें काफी विवाद हुआ था।