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Indian Drone: भारतीय कंपनी बनाएगी ड्रोन,चीन को पछाड़ा

Indian Drone: Indian company will make drone, overtake China

 
Indian Drone:भारतीय कंपनी बनाएगी ड्रोन,चीन को पछाड़ा 

Haryana Update: विश्व में ड्रोन बनाने और उसे निर्यात करने के क्षेत्र में चीन इस समय दुनिया में सबसे आगे (China is forefront of manufacturing and exporting drones in the world) है। लेकिन आने वाले समय में भी ऐसा ही रहेगा यह कहना मुश्किल है, क्योंकि इस क्षेत्र में अब भारत भी उतर चुका है और न सिर्फ देश में बल्कि विदेशी धरती पर भी अब भारतीय कंपनी ड्रोन (India Drone company) बनाने का अपना प्लांट लगाने जा रही है।

 

 

 

ड्रोन तकनीक (drone technology) अब चीन के हाथ से फिसलती जा रही है और अब यह तकनीक भारत में आ गई है, कई भारतीय कंपनियां देसी ड्रोन बाजार (India companies making Desi Drone market)  )में उतार चुकी हैं, हालांकि भारत में यह तकनीक इस समय शुरूआती दौर में है इसलिए इसके कई कलपुर्जे विदेशों से आते (Many parts come from abroad) हैं जिसमें चीन का वर्चस्व है लेकिन जल्दी ही यह तस्वीर बदलने वाली है।

 

भारत में तमिलनाडु की गरुड़ एयरोस्पेस कंपनी (Garuda Aerospace Company of Tamil Nadu in India) ने मलेशिया में अपनी प्रोडक्शन यूनिट (Own production unit in Malaysia) लगाकर एक नया कीर्तिमान स्थापित (set new record) किया है। ड्रोन का डिजाइन बनाना और उसका निर्माण अब देश में ही होने लगा है। कई तरह के ड्रोन (many types of drones) इस समय भारत में बनने लगे हैं और मलेशिया ने चीन की किसी कम्पनी के साथ कोई अनुबंध करने की जगह भारत को अपने देश में जगह दी है। मलेशिया में गरुड़ का अनुबंध वहां की स्थाई कंपनी हाईएलएसई (Company HILSE) के साथ हुआ है और यह फैक्टरी अढ़ाई एकड़ क्षेत्र में फैली है।

इस कंपनी के मलेशिया में काम शुरू करने पर मलेशिया के 3000 लोगों को नौकरियां मिलेंगी। ज्वाइंट वैंचर के तहत इस कंपनी के ड्रोन्स को मलेशिया के सरकारी और निजी संस्थान खरीदेंगे(Drones will be bought by Malaysian government and private institutions) । इससे जहां मलेशिया ड्रोन्स की जरूरत को पूरा करने में सक्षम होगा तो वहीं कुछ हद तक ड्रोन्स के आयात को कम कर पाएगा।

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मलेशिया में बनने वाले ड्रोन्स में आर्टिफिशियल इंटैलीजैंस (artificial intelligence) , मशीन लॄनग तकनीक की क्षमता और डीप लॄनग तकनीक (Ability of Machine Learning Technique and Deep Learning Technique) का इस्तेमाल किया जाएगा। भारत में बने ड्रोन्स में इस समय विदेशी उपकरण लगाए जाते हैं क्योंकि भारत में ड्रोन्स में लगने वाले उपकरणों का निर्माण अभी नहीं होता है और ऐसा ईको सिस्टम भी अभी नहीं बना है तो इस बात को लेकर अभी थोड़ा असमंजस है कि मलेशिया में बनने वाले ड्रोन्स में कौन से देश के उपकरण लगेंगे।

मलेशिया खुद नहीं चाहता कि किसी भी तरह से चीन के उपकरणों का इस्तेमाल किया जाए। लेकिन ड्रोन्स के उपकरण बनाने में इस समय चीन का वर्चस्व है। बहुत संभव है कि इन ड्रोन्स में चीन के उपकरणों का इस्तेमाल किया जाए। ड्रोन्स के उपकरण बनाने के क्षेत्र में भारत सरकार की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसैन्टिव योजना (Production Linked Incentive Scheme of Government of India) जारी है लेकिन अभी तक इस क्षेत्र में व्यावसायिक शुरूआत अभी तक नहीं हुई है।

कृषि और औद्योगिक क्षेत्र (agricultural and industrial sector)

कृषि और औद्योगिक क्षेत्र (agricultural and industrial sector) में इस्तेमाल होने वाले ड्रोन्स के अलावा गरुड़ कंपनी के पास रिमोट से चलने वाली तेज गश्त की नौका और पनडुब्बी (Remotely operated fast patrol boat and submarine near Garuda Company making techonology) बनाने की तकनीक मौजूद है, बहुत संभव है कि यह कंपनी अगले कुछ ही वर्षों में इस क्षेत्र में भी व्यावसायिक निर्माण शुरू कर दे। इसके साथ ही एंटी ड्रोन्स तंत्र विकसित (anti drone system developed) करने की तकनीक में कुछ कंपनियों के साथ मिलकर काम हो रहा है। भारत इस समय रक्षा से जुड़े उपकरणों के निर्यात में अपना मजबूत कदम रख चुका है। इसी कड़ी में मलेशिया तेजस लड़ाकू विमान (Malaysia Tejas fighter jet) की खरीद में सबसे आगे है वहीं फिलीपींस भारत से सुपरसॉनिक मिसाइल ब्रह्मोस (Supersonic Missile BrahMos from Philippines India) की खरीद पर समझौता कर चुका है। इसके अलावा विध्वंस जहाज, फ्रिगेट्स और तेज गति से चलने वाली नौकाओं के कई अंतर्राष्ट्रीय आर्डर भारत पहले ही पूरे कर चुका है। (India has already placed several international orders for Demolition Ships, Frigates and High Speed ​​Boats) 

डिफैंस उपकरणों और हथियारों के बाजार (Defense equipment and weapons market) 

डिफैंस उपकरणों और हथियारों के बाजार (Defense equipment and weapons market) में भारत धीरे-धीरे अपने मजबूत कदम आगे बढ़ा रहा है, लेकिन ड्रोन तकनीक भारत के लिए अभी नई है। इस क्षेत्र में अमरीका, रूस के अलावा, चीन, तुर्की और इसराईल भारत (Apart from America, Russia, China, Turkey and Israel India) से आगे हैं। हाल ही में भारत का तपस बीएच-201 कॉम्बैट ड्रोन शिमान (India's Tapas BH-201 Combat Drone Shiman) 28 हजार फीट पर 18 घंटे की सफल उड़ान भर चुका है, सेना के एयरवर्दीनैस प्रमाण पत्र (Army Airworthiness Certificate) के लिए इसे भेजा जा चुका है इस पर अभी और शोध चल रहा है। इसके बाद हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स (Hindustan Aeronautics) 5 तपस बनाने वाला है, tapas के 75 फीसदी उपकरण भारत में ही बने हैं लेकिन इसका इंजन यूरोपीय देश ऑस्ट्रिया से आयात किया गया है। डी.आर.डी.ओ कोयम्बटूर (DRDO Coimbatore) की एक कंपनी के साथ इसका स्वदेशी इंजन बना रहा है और जल्दी ही बीएच 201 भारतीय इंजन के साथ आसमान में उड़ान भरेगा।

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जो देश अपनी रक्षा के लिए महंगे हथियार और रक्षा उपकरण नहीं खरीद सकते वह भारत से अपने हथियार और रक्षा उपकरण खरीद रहे हैं। भारत के हथियार और रक्षा उपकरण गुणवत्ता में अव्वल हैं तो चीन के हथियार अंतर्राष्ट्रीय बाजार (International market) में भारत की तुलना में महंगे हैं और उनकी गुणवत्ता पर कई देशों ने सवाल उठाया है। जिन देशों ने एक बार चीन से अपने हथियार खरीदे अब दोबारा चीन को अपने रक्षा उपकरणों और हथियारों के आर्डर नहीं दे रहे हैं। ऐसे में भारत का भविष्य उज्जवल है क्योंकि भारत में बने उपकरणों में गुणवत्ता को लेकर कोई शंका नहीं होगी। आने वाले कुछ वर्षों में जब ड्रोन के उपकरणों का ईको सिस्टम (Eco system) भारत में बनेगा तो भारत अंतर्राष्ट्रीय ड्रोन बाजार (International drone market) में अपनी मजबूत पकड़ बनाने में सफल होगा।









 


 

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