Effect of inflation: स्टूडेंट्स-अभिभावकों पर महंगाई की मार,सामान की कीमतों में 20 फीसदी का इजाफा
Haryana Update: स्कूल-कॉलेज के स्टूडेंट्स (School/ College) students) और उनके अभिभावकों को एक बार फिर महंगाई का झटका लगा है। कागज और कच्चे माल की लागत बढ़ने से कॉपी-किताब और स्टेशनरी (copy-book and stationery) की कीमतों में एक बार फिर 15 से 20 प्रतिशत तक बढ़ोतरी हो गई है।

कागज की कीमतों में बढ़ोतरी का असर किताबों पर भी पड़ रहा है। कारोबारी इसके लिए स्टेशनरी सामान पर जीएसटी बढ़ोतरी को मुख्य कारण बता रहे हैं। कॉपी-किताबों के लिए जरूरी कच्ची लुगदी की बाजार में कमी हो गई है। इस कारण भी कीमतों में इजाफा हो रहा है।
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बिहार की राजधानी पटना (Bihar/ Patna) में कॉपियों की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। ब्रांडेड कंपनियों (branded companies) ने कॉपियों की पृष्ठ संख्या कम करने के साथ ही इसकी लंबाई और चौड़ाई तक कम करने लगे हैं। 128 पेज की कॉपी अब 120 पेज की हो गई है। 64 पेज की कॉपी की पृष्ठ संख्या घटकर 48 पेज रह गई है। इसी तरह 64 पेज की कॉपी पहले 10 रुपये में मिलती थी वहीं अब 48 पेज के कॉपी की कीमत बढ़कर 15 रुपये हो गयी है। रफ पेज की कॉपियों की कीमतों में भी इजाफा हुआ है। 80 रुपये में मिलने वाली रफ कॉपी की कीमत (raff copy) 100 रुपये हो गयी है। कारोबारी बताते हैं कि किताबों की कीमत भी पहले की तुलना में 30 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी हो चुकी है।

Pencil-pen prices also increased
पेंसिल, शार्पनर, स्याही और कलम पर पहले 12 प्रतिशत जीएसटी (GST) की दर बढ़ाकर 18 फीसदी कर दी गई। इसके कारण पांच रुपये में मिलने वाली पेंसिल की कीमत 6 रुपये हो गई है। वहीं 10 रुपये में मिलने वाली कलम की कीमत बढ़कर 15 रुपये हो गई है। वहीं 10 रुपये में मिलने वाले रबड़ की कीमत (Rubber price incerse) अप्रैल में ही 15 रुपये हुई है। इसी तरह 60 रुपये में मिलने वाला स्केच पेन की कीमत बढ़कर 80 रुपये हो गई है। मार्कर की कीमत भी 55 रुपये से बढ़कर 70 रुपये पहुंच गयी है। स्टेशनरी कारोबारी बबलू कुमार (stationery trader babl kumar) कहते हैं कि अभी ब्रांडेंड कंपनियों (branded companies) की कीमतें नहीं बढ़ी है। आने वाले दिनों में कीमतों में और बढ़ोतरी हो सकती है।
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lack of pulp
उद्यमी दीपशिखा (Entrepreneur Deepshikha) कहती हैं कि कोरोना के बाद से ही कागज उद्योग को लुगदी की कमी से जूझना पड़ रहा था अभी पॉलिथीन बंद होने से अखबारी कागज से बड़ी संख्या में ठोंगा बनने लगा है। इसके कारण लुगदी का ज्यादा अभाव हो गया है। कई मिलों में लुगदी नहीं मिलने के कारण कागज मिल अपनी क्षमता से आधा उत्पादन कर रहे है। इन्हें लुगदी को ऊंचे दाम में खरीदने से उत्पादन लागत में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, जिसके कारण कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
