RBI News : लोन ना भरने वालों को RBI ने दिए ये 5 अधिकार !
Loan Default : किसी को भी बैंक से उधान, यानी लोन लेने की जरूरत हो सकती है। यदि आप होम लोन या पर्सनल लोन लेते हैं, तो आपको EMI (किश्त) देना ही होगा जब ऋण की अवधि समाप्त होती है।
Feb 21, 2024, 14:30 IST
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RBI : लोग बैंक से लोन लेकर अपनी महत्वपूर्ण आवश्यकताओं को पूरा करते हैं, जैसे कार खरीदने (Car Loan), बच्चों की पढ़ाई और शादी, बिजनेस करने (Business Loan) और घर खरीदने (Home Loan)। आज बैंक भी ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए विभिन्न सौदे देते हैं। गौरतलब है कि बैंक लोन एक बड़ी वित्तीय दायित्व है। आपको हर महीने EMI चुकानी पड़ती है। बैंक ग्राहकों को फोन और मैसेज करने लगते हैं अगर वे लोन लेने के बाद समय पर लोन की किस्त नहीं भरते हैं। बैंकों के रिकवरी एजेंटों को भी धमकाया और डराया जाता है अगर वे पैसे नहीं भेजते हैं। अब सवाल है कि आप ऐसी स्थिति में क्या कर सकते हैं? इसके लिए रिजर्व बैंक (RBI) के दिशानिर्देशों को जानना आवश्यक है। नीचे अधिक विवरण देखें..।
यदि आप लोन की मासिक किस् त, यानी EMI, चुकाने में असफल रहते हैं, तो आपको पेनाल्टी मिलेगी। हालाँकि, इसके लंबी अवधि के परिणाम भी दिखाई देते हैं।
CLXNS (कलेक्शंस) के MD एवं सीईओ मानवजीत सिंह ने कहा कि अगर आपको लगता है कि आप लोन की राशि समय पर नहीं चुका सकते हैं, तो आप शुरुआत में ही कुछ उपाय कर सकते हैं। ईएमआई को कम करने के लिए आप लोन (EMI) की अवधि बढ़ा सकते हैं। इसी तरह, लोन संबंधी शर्तों को निर्धारित करने से पहले अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारना और लोन का पुनर्गठन करना भी बहुत फायदेमंद हो सकता है। आप एक वित्तीय आपदा के कारण अस्थायी राहत मांग सकते हैं, लेकिन इस दौरान आपको जुर्माना देना पड़ सकता है।
मानवजीत सिंह ने कहा कि लोन डिफॉल्टर के रूप में आपको अपने अधिकारों का पता होना चाहिए अगर आप ऐसा नहीं कर पाए हैं या आप जो कुछ भी कर सकते थे, उसके बाद भी आप लोन का रीपेमेंट नहीं कर पाए हैं। कानून के अनुसार, वित्तीय संस्थान उधार लिया गया पैसा वापस करने के लिए कदम उठाते हैं। यद्यपि, बैंकों और कर्जदाता ऐसा करते समय नियमों का पालन करना चाहिए। लोन लेने वालों को भी कुछ अधिकारों का पता होना चाहिए..।
आपको लोन डिफॉल्टर के रूप में अपनी बातें सुनने का अधिकार है। आप लोन चुकाने में असफलता के कारणों (विशेष रूप से नौकरी छूटने या मेडिकल इमरजेंसी) को लिख सकते हैं। फिर भी, यदि आप लोन राशि का भुगतान नहीं कर सकते हैं और आपको बैंक से एक आधिकारिक नोटिस मिल गया है, तो आप अधिकारियों को रिप्रेजेंटेशन नोटिस पर किसी भी आपत्ति के साथ रिप्रेजेंट कर सकते हैं।
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कॉन्ट्रैक्ट की शर्तों का अधिकार: दूसरी ओर, बैंक या कोई भी थर्ड पार्टी वसूली एजेंट कर्जदार को दिन के किसी भी समय लोन की रकम चुकाने के लिए परेशान या बाध्य नहीं कर सकता। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने कहा कि बैंकों को वसूली कार्य की आउटसोर्सिंग करते समय एक आचार संहिता का पालन करना होगा और ग्राहकों को बहुत संवेदनशीलता से देखने वाले प्रशिक्षित एजेंटों को नियुक्त करना होगा।
उन्हें ग्राहक की गोपनीयता और कॉल करने के घंटे का पता होना चाहिए। ल्ज्ञैन् रिकवरी का समय और स्थान पहले से तय कर सकते हैं, उदाहरण के लिए सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे तक।
आपका अधिकार है कि सभ्य नागरिकों की तरह व्यवहार किया जाए। यदि बैंक या कर्जदाता के कर्मचारी चिल्लाते हैं, शारीरिक हिंसा करते हैं या धमकी देते हैं, तो आप कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं। बैंक या कर्जदाता को भी वसूली एजेंट का विवरण देना होगा। एजेंट के पास जाते समय सभ्य तरीके से व्यवहार करना चाहिए और अपनी प्राइवेसी का सम्मान करना चाहिए।
उचित मूल्य पाने का अधिकार: यदि आप अपना बकाया चुकाने में असमर्थ रहे हैं और बैंक ने भुगतान की वसूली के लिए आपकी संपत्ति की नीलामी शुरू कर दी है, तो आपको बैंक से एक नोटिस मिलना चाहिए। इसमें आरक्षित मूल्य, नीलामी का समय और तिथि, संपत्ति का उचित मूल्य और अन्य विवरण भी होना चाहिए। यदि संपत्ति का मूल्यांकन कम किया गया है, तो आपको लोन डिफॉल्टर के रूप में आपत्ति करने का अधिकार मिलता है।
आय संतुलन का अधिकार: यदि संपत्ति की बिक्री के बाद बरामद धन से अधिक राशि है, तो लोन देने वाले संस्थानों को इसे वापस देना होगा। किसी भी समय संपत्ति या परिसंपत्ति का मूल्य बढ़ सकता है, इसलिए इसका मूल्य उस राशि से अधिक हो सकता है जो आपको बैंक को देना था। इसलिए, नीलामी पूरी तरह से देखभाल करना महत्वपूर्ण है।
बैंक आप पर कार्रवाई करेंगे अगर आप इतनी EMI नहीं भरते हैं
अब हम रिजर्व बैंक (RBI) से होम लोन नहीं चुकाने पर क्या दिशानिर्देश हैं। जब कोई ग्राहक होम लोन की पहली किस्त (Home Loan EMi) नहीं चुकाता है, बैंक या वित्तीय संस्थान उसे गंभीरता से नहीं लेते। बैंक मानता है कि एक किश्त (EMI) देरी हो रही है। लेकिन बैंक एक रिमाइंडर देता है अगर ग्राहक दो बार EMI नहीं भरता है। इसके बाद भी, अगर ग्राहक तीसरी EMI की किस्त भुगतान करने में असफल रहता है, तो ग्राहक को बैंक से फिर से लोन चुकाने के लिए एक कानूनी नोटिस मिलेगा। बैंक एक तरह से तीसरी EMI नहीं चुकाने पर कार्रवाई करता है।
अगर ग्राहक कानूनी नोटिस के बाद लोन नहीं चुकाता है, तो बैंक उसे डिफॉल्टर घोषित करता है। साथ ही बैंक लोन अकाउंट को गैर-निष्पादित नगदी (NPA) मानता है। अन्य वित्तीय संस्थाओं में ये अवधि 120 दिन की है। सीमा समाप्त होने पर बैंक वसूली के बारे में सोचने लगता है।
भारतीय रिज़र्व बैंक के निर्देशों को जानें
सिक् योर्ड लोन में संपत्ति गिरवी रखी जाती है, ताकि बैंक लोन नहीं चुकाने पर संपत्ति को बेचकर अपने पैसे की भरपाई कर सके। लेकिन बैंक इसे अंतिम विकल्प मानता है। ग्राहक लोन को चुकाने के लिए पर्याप्त समय मिलता है, RBI गाइडलाइंस कहते हैं।
Property auction कानूनी तौर पर बैंक के पास पैसे वापस लेने का आखिरी उपाय है। बैंक अक्सर ग्राहक को 3 महीने की किश्त (EMI) नहीं चुकाने पर दो महीने का अतिरिक्त समय देता है। अगर ग्राहक इसमें भी चूक जाते हैं, तो बैंक ग्राहक संपत्ति के अनुमानित मूल्य के साथ नीलामी का नोटिस भेजता है। नीलामी की तारीख से पहले यानी नीलामी नोटिस मिलने के एक महीने बाद भी ग्राहक EMI नहीं भरता है, तो बैंक नीलामी की प्रक्रिया को आगे बढ़ाता है। इसके बावजूद, ग्राहक छह महीने के दौरान किसी भी समय बैंक से संपर्क कर बकाया राशि का भुगतान कर मामले को हल कर सकता है।
समय पर लोन नहीं चुकाने का सबसे बड़ा नुकसान है कि बैंक ग्राहक को डिफॉल्डर घोषित कर देता है। इससे ग्राहक का CIBIL स्कोर गिर जाता है, जो भविष्य में बैंकों को लोन नहीं देगा।
यदि आप लोन की मासिक किस् त, यानी EMI, चुकाने में असफल रहते हैं, तो आपको पेनाल्टी मिलेगी। हालाँकि, इसके लंबी अवधि के परिणाम भी दिखाई देते हैं।
CLXNS (कलेक्शंस) के MD एवं सीईओ मानवजीत सिंह ने कहा कि अगर आपको लगता है कि आप लोन की राशि समय पर नहीं चुका सकते हैं, तो आप शुरुआत में ही कुछ उपाय कर सकते हैं। ईएमआई को कम करने के लिए आप लोन (EMI) की अवधि बढ़ा सकते हैं। इसी तरह, लोन संबंधी शर्तों को निर्धारित करने से पहले अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारना और लोन का पुनर्गठन करना भी बहुत फायदेमंद हो सकता है। आप एक वित्तीय आपदा के कारण अस्थायी राहत मांग सकते हैं, लेकिन इस दौरान आपको जुर्माना देना पड़ सकता है।
मानवजीत सिंह ने कहा कि लोन डिफॉल्टर के रूप में आपको अपने अधिकारों का पता होना चाहिए अगर आप ऐसा नहीं कर पाए हैं या आप जो कुछ भी कर सकते थे, उसके बाद भी आप लोन का रीपेमेंट नहीं कर पाए हैं। कानून के अनुसार, वित्तीय संस्थान उधार लिया गया पैसा वापस करने के लिए कदम उठाते हैं। यद्यपि, बैंकों और कर्जदाता ऐसा करते समय नियमों का पालन करना चाहिए। लोन लेने वालों को भी कुछ अधिकारों का पता होना चाहिए..।
आपको लोन डिफॉल्टर के रूप में अपनी बातें सुनने का अधिकार है। आप लोन चुकाने में असफलता के कारणों (विशेष रूप से नौकरी छूटने या मेडिकल इमरजेंसी) को लिख सकते हैं। फिर भी, यदि आप लोन राशि का भुगतान नहीं कर सकते हैं और आपको बैंक से एक आधिकारिक नोटिस मिल गया है, तो आप अधिकारियों को रिप्रेजेंटेशन नोटिस पर किसी भी आपत्ति के साथ रिप्रेजेंट कर सकते हैं।
हरियाणा के इन परिवारों को Family Id के जरिए मिलेंगे इतने रुपए
कॉन्ट्रैक्ट की शर्तों का अधिकार: दूसरी ओर, बैंक या कोई भी थर्ड पार्टी वसूली एजेंट कर्जदार को दिन के किसी भी समय लोन की रकम चुकाने के लिए परेशान या बाध्य नहीं कर सकता। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने कहा कि बैंकों को वसूली कार्य की आउटसोर्सिंग करते समय एक आचार संहिता का पालन करना होगा और ग्राहकों को बहुत संवेदनशीलता से देखने वाले प्रशिक्षित एजेंटों को नियुक्त करना होगा।
उन्हें ग्राहक की गोपनीयता और कॉल करने के घंटे का पता होना चाहिए। ल्ज्ञैन् रिकवरी का समय और स्थान पहले से तय कर सकते हैं, उदाहरण के लिए सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे तक।
आपका अधिकार है कि सभ्य नागरिकों की तरह व्यवहार किया जाए। यदि बैंक या कर्जदाता के कर्मचारी चिल्लाते हैं, शारीरिक हिंसा करते हैं या धमकी देते हैं, तो आप कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं। बैंक या कर्जदाता को भी वसूली एजेंट का विवरण देना होगा। एजेंट के पास जाते समय सभ्य तरीके से व्यवहार करना चाहिए और अपनी प्राइवेसी का सम्मान करना चाहिए।
उचित मूल्य पाने का अधिकार: यदि आप अपना बकाया चुकाने में असमर्थ रहे हैं और बैंक ने भुगतान की वसूली के लिए आपकी संपत्ति की नीलामी शुरू कर दी है, तो आपको बैंक से एक नोटिस मिलना चाहिए। इसमें आरक्षित मूल्य, नीलामी का समय और तिथि, संपत्ति का उचित मूल्य और अन्य विवरण भी होना चाहिए। यदि संपत्ति का मूल्यांकन कम किया गया है, तो आपको लोन डिफॉल्टर के रूप में आपत्ति करने का अधिकार मिलता है।
आय संतुलन का अधिकार: यदि संपत्ति की बिक्री के बाद बरामद धन से अधिक राशि है, तो लोन देने वाले संस्थानों को इसे वापस देना होगा। किसी भी समय संपत्ति या परिसंपत्ति का मूल्य बढ़ सकता है, इसलिए इसका मूल्य उस राशि से अधिक हो सकता है जो आपको बैंक को देना था। इसलिए, नीलामी पूरी तरह से देखभाल करना महत्वपूर्ण है।
बैंक आप पर कार्रवाई करेंगे अगर आप इतनी EMI नहीं भरते हैं
अब हम रिजर्व बैंक (RBI) से होम लोन नहीं चुकाने पर क्या दिशानिर्देश हैं। जब कोई ग्राहक होम लोन की पहली किस्त (Home Loan EMi) नहीं चुकाता है, बैंक या वित्तीय संस्थान उसे गंभीरता से नहीं लेते। बैंक मानता है कि एक किश्त (EMI) देरी हो रही है। लेकिन बैंक एक रिमाइंडर देता है अगर ग्राहक दो बार EMI नहीं भरता है। इसके बाद भी, अगर ग्राहक तीसरी EMI की किस्त भुगतान करने में असफल रहता है, तो ग्राहक को बैंक से फिर से लोन चुकाने के लिए एक कानूनी नोटिस मिलेगा। बैंक एक तरह से तीसरी EMI नहीं चुकाने पर कार्रवाई करता है।
अगर ग्राहक कानूनी नोटिस के बाद लोन नहीं चुकाता है, तो बैंक उसे डिफॉल्टर घोषित करता है। साथ ही बैंक लोन अकाउंट को गैर-निष्पादित नगदी (NPA) मानता है। अन्य वित्तीय संस्थाओं में ये अवधि 120 दिन की है। सीमा समाप्त होने पर बैंक वसूली के बारे में सोचने लगता है।
भारतीय रिज़र्व बैंक के निर्देशों को जानें
सिक् योर्ड लोन में संपत्ति गिरवी रखी जाती है, ताकि बैंक लोन नहीं चुकाने पर संपत्ति को बेचकर अपने पैसे की भरपाई कर सके। लेकिन बैंक इसे अंतिम विकल्प मानता है। ग्राहक लोन को चुकाने के लिए पर्याप्त समय मिलता है, RBI गाइडलाइंस कहते हैं।
Property auction कानूनी तौर पर बैंक के पास पैसे वापस लेने का आखिरी उपाय है। बैंक अक्सर ग्राहक को 3 महीने की किश्त (EMI) नहीं चुकाने पर दो महीने का अतिरिक्त समय देता है। अगर ग्राहक इसमें भी चूक जाते हैं, तो बैंक ग्राहक संपत्ति के अनुमानित मूल्य के साथ नीलामी का नोटिस भेजता है। नीलामी की तारीख से पहले यानी नीलामी नोटिस मिलने के एक महीने बाद भी ग्राहक EMI नहीं भरता है, तो बैंक नीलामी की प्रक्रिया को आगे बढ़ाता है। इसके बावजूद, ग्राहक छह महीने के दौरान किसी भी समय बैंक से संपर्क कर बकाया राशि का भुगतान कर मामले को हल कर सकता है।
समय पर लोन नहीं चुकाने का सबसे बड़ा नुकसान है कि बैंक ग्राहक को डिफॉल्डर घोषित कर देता है। इससे ग्राहक का CIBIL स्कोर गिर जाता है, जो भविष्य में बैंकों को लोन नहीं देगा।