घर खरीदने वालों की हुई बल्ले-बल्ले, नियमों में हुआ अहम बदलाव, अब पैसे चुकाते ही मिलेगा Flat
Real Estate: देश भर में हजारों रियल एस्टेट परियोजनाएं असफल हो गई हैं। ज्यादातर मामलों में, होमबायर्स कई वर्षों से फ्लैट मिलने का इंतजार कर रहे हैं। ऐसे लोगों को अच्छी खबर मिली है। उन्हें राहत देने के लिए आईबीबीआई ने कई नियमों में बदलाव सुझाए हैं।आइए इसके बारे में विस्तार से जानें।
Haryana Update: लंबे समय से फ्लैट की प्रतीक्षा कर रहे हजारों होमबायर्स को अच्छी खबर मिली है। अब उन्हें इंतजार करना नहीं पड़ेगा। उन्हें राहत देने के लिए, इनसॉल्वेंसी रेगुलेटर आईबीबीआई (IBBI) ने नियमों में कई बदलाव सुझाए हैं। इस बारे में इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी बोर्ड ऑफ इंडिया ने एक डिस्कशन पेपर जारी किया है। इसमें छह महत्वपूर्ण सुधार सुझाए गए हैं जो घरेलू मालिकों को संपत्ति संभालने में आसानी देंगे। इसके मुताबिक होमबायर्स को अपना फ्लैट पाने के लिए इनसॉल्वेंसी प्रोसेस के पूरा होने का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। उन्हें फ्लैट पर कब्जा दिया जा सकता है अगर वे सभी शर्तों को पूरा करते हैं। वे रजिस्ट्री भी कर सकते हैं।
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NCLS में फंसे कुल मामलों में से २१ प्रतिशत रियल एस्टेट सेक्टर से संबंधित हैं। लेकिन रिजॉल्यूशन में उनका योगदान केवल पंद्रह प्रतिशत है। इनमें बहुत से हाई प्रोफाइल मामले भी हैं। पूरे देश में हजारों होमबायर्स इन मामलेों की अनदेखी से प्रभावित हुए हैं। अमिताभ कांत कमेटी की सिफारिशों के अनुरूप, आईबीबीआई ने विभिन्न पक्षों से बातचीत करके कुछ सुझाव दिए हैं। इसके अनुसार, प्रत्येक रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल (RP) को प्रत्येक परियोजना को रेरा के तहत रजिस्टर करना होगा और प्रत्येक के लिए अलग-अलग बैंक अकाउंट चलाना होगा। RP अलॉटी को कमीटी ऑफ क्रेडिटर्स की मंजूरी से पजेशन दे सकता है।
किसे राहत मिलेगी?
यदि इन सुझावों को मान लिया जाता है, तो होमबायर्स बहुत राहत पा सकते हैं। जिन लोगों ने पूरा भुगतान किया है, उन्हें खास राहत मिलेगी। मामलों में पजेशन को कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स से मंजूरी मिलने के बाद रजिस्ट्री कराई जा सकती है। यदि होमबायर पूरा भुगतान करता है, तो संपत्ति आधार पर हैंडओवर की जा सकती है। जो संपत्ति अलॉटी में है, वह लिक्विडेशन एस्टेट में नहीं होना चाहिए। साथ ही, इनसॉल्वेंसी बोर्ड ने सुझाव दिया है कि रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल को हर प्रोजेक्ट के लिए अलग रिजॉल्यूशन प्लान मांगना चाहिए क्योंकि इनसॉल्वेंसी में फंसी कई कंपनियों के पास कई प्रोजेक्ट हैं।
ARC Association के सीईओ हरि हर मिश्रा ने बिजनसलाइन को बताया कि आईबीसी प्रक्रिया के दौरान पजेशन देने और अलॉटी के नाम पर रजिस्ट्री कराने के प्रस्ताव से होमबायर्स को राहत मिलेगी। उन्हें समाधान होने तक इंतजार नहीं करना होगा। शार्दुल अमरचंद मंगलदास एंड कंपनी के पार्टनर आशू गुप्ता ने कहा कि रेरा में अनिवार्य रजिस्ट्रेशन से पारदर्शिता बढ़ेगी। आईबीबीआई के प्रस्तावों को कानून में शामिल करना होगा। इसमें पहले से ही कई परिवर्तन प्रस्तावित किए गए हैं। बिल इस विषय पर बनाया गया है, लेकिन सरकार ने इसे संसद में पेश नहीं किया है।