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Da Arrears 2025 : 18 महीने के बकाया एरियर को लेकर मई 2025 में आई अपडेट

Da Arrears 2025 : 18 महीने के डीए बकाया को लेकर केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। लंबे समय से इंतजार कर रहे कर्मचारियों के लिए यह खबर राहत भरी हो सकती है। जानिए क्या है सरकार की नई योजना और कब तक मिल सकता है बकाया डीए का भुगतान।
 
Da Arrears 2025 : 18 महीने के बकाया एरियर को लेकर मई 2025 में आई अपडेट 
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DA Arrears News: संसद में उठा मुद्दा - लोकसभा सांसद आनंद ने 3 फरवरी को संसद में यह सवाल उठाया कि केंद्र सरकार द्वारा कोविड-19 के दौरान रोके गए DA और DR (Dearness Relief) के 18 महीने के बकाया भुगतान को कब जारी किया जाएगा। उन्होंने सरकार से स्पष्ट जवाब देने की मांग की थी।


क्यों रोका गया था DA Arrears?

कोरोना महामारी के दौरान केंद्र सरकार ने वित्तीय दबाव के चलते 34,402 करोड़ रुपये के DA और DR भुगतान को रोक दिया था। यह रोक 1 जनवरी 2020 से 30 जून 2021 तक प्रभावी थी। सरकार ने इस कदम को आर्थिक स्थिरता बनाए रखने के लिए आवश्यक बताया था।


सरकार का जवाब

वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने संसद में दो टूक जवाब देते हुए स्पष्ट किया कि 18 महीने के DA Arrears जारी नहीं किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के कारण उत्पन्न वित्तीय प्रभाव और सरकार के कल्याणकारी खर्चों को देखते हुए यह निर्णय लिया गया था।


कर्मचारी संगठनों की प्रतिक्रिया

एनसीजेसीएम (NCJCM) और अन्य कर्मचारी संघों ने सरकार से बकाया भुगतान की मांग की है।

वित्त मंत्रालय को ज्ञापन सौंपकर कर्मचारियों ने DA Arrears को किस्तों में जारी करने का सुझाव दिया है।

सरकार ने 18 महीने के डीए एरियर पर लिया बड़ा फैसला – जानिए पूरी जानकारी!

कर्मचारी संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का हवाला दिया, जिसमें बकाया राशि पर ब्याज सहित भुगतान का निर्देश दिया गया था।

बजट में कोई राहत नहीं

सरकारी कर्मचारियों को उम्मीद थी कि केंद्रीय बजट 2025 में DA Arrears पर कोई घोषणा होगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

आगे क्या?

सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स की मांगों के बावजूद, सरकार का रुख स्पष्ट है कि 18 महीने का बकाया DA जारी नहीं किया जाएगा। कर्मचारी संगठन अब नए वेतन आयोग (8th Pay Commission) की सिफारिशों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जिससे भविष्य में वेतन संरचना में सुधार हो सकता है।

सरकार के इस फैसले से लाखों सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स को निराशा हाथ लगी है। अब सभी की नजरें आगामी नीतिगत फैसलों और संभावित भत्तों की वृद्धि पर टिकी हैं।